आखिर क्या है एग्जिट पोल? कब से शुरू हुई इसकी गणना?

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आज हम आपको एग्जिट पोल और उसकी शुरुआत के बारे में बताने वाले हैं! तेलंगाना में आज शाम वोटिंग खत्म होने के बाद अब 3 दिसंबर को आने वाले विधानसभा चुनाव नतीजों पर अब सबकी नजर होगी। उससे पहले आज शाम ही पांचों राज्यों के एग्जिट पोल आने वाले हैं। वोटिंग खत्म होने के बाद उसका काउंडाउन भी शुरू हो जाएगा। लेकिन क्या आप जानते हैं कि एग्जिट पोल असल में होता क्या है? इसे दुनिया और मुख्यत: भारत में पहली बार कब उपयोग में लाया गया था? क्या एग्जिट पोल हमेशा सटीक होते हैं? एग्जिट पोल एक तरह का चुनावी सर्वे है जो मतदान के दिन किया जाता है। इसमें मतदान करके बाहर निकले मतदाताओं से पूछा जाता है कि उन्होंने किस पार्टी या प्रत्याशी को वोट दिया है। इस तरह से प्राप्त आंकड़ों का विश्लेषण करके यह अनुमान लगाया जाता है कि चुनावी नतीजे क्या होंगे। भारत में, चुनाव आयोग ने एग्जिट पोल के परिणामों को मतदान के दिन प्रसारित करने पर प्रतिबंध लगा रखा है। हालांकि, यह प्रतिबंध मतदान के बाद प्रसारित किए जाने वाले एग्जिट पोल पर लागू नहीं होता है। एग्जिट पोल कई तरह से किए जा सकते हैं। आमतौर पर, सर्वेक्षणकर्ता मतदान केंद्रों के बाहर मतदाताओं से संपर्क करते हैं और उनसे कुछ सवाल पूछते हैं। इन सवालों में आमतौर पर यह शामिल होता है कि उन्होंने किस पार्टी या प्रत्याशी को वोट दिया है, और उन्होंने ऐसा क्यों किया।एग्जिट पोल का उपयोग चुनावी नतीजों का अनुमान लगाने के लिए एक उपयोगी उपकरण हो सकता है। हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि एग्जिट पोल हमेशा सटीक नहीं होते हैं। कई कारक हैं जो एग्जिट पोल के परिणामों को प्रभावित कर सकते हैं, जैसे कि मतदाताओं का झूठ बोलना या याद रखना कि उन्होंने किस पार्टी को वोट दिया था।

एग्जिट पोल मतदान के दिन ही किए जाते हैं। मतदान के बाद मतदान केंद्रों के बाहर मतदाताओं से पूछा जाता है कि उन्होंने किस पार्टी या प्रत्याशी को वोट दिया है। इस तरह से प्राप्त आंकड़ों का विश्लेषण करके यह अनुमान लगाया जाता है कि चुनावी नतीजे क्या होंगे। उदाहरण के लिए, यदि एक चुनाव में दो चरण हैं, तो एग्जिट पोल आमतौर पर दूसरे चरण के बाद जारी किया जाता है। हालांकि, कुछ मामलों में, एग्जिट पोल मतदान के पहले चरण के बाद भी जारी किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, यदि चुनाव में दो चरण हैं और पहले चरण में मतदान प्रतिशत बहुत कम है, तो एग्जिट पोल के परिणामों से दूसरे चरण के परिणामों का अनुमान लगाने में मदद मिल सकती है। सबसे पहला एग्जिट पोल संयुक्त राज्य अमेरिका में 1936 में हुआ था। जॉर्ज गैलप और क्लॉड रोबिंसन ने न्यूयॉर्क शहर में एक चुनावी सर्वेक्षण किया, जिसमें मतदान करके बाहर निकले मतदाताओं से पूछा गया कि उन्होंने किस राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को वोट दिया है। इस तरह से प्राप्त आंकड़ों का विश्लेषण करके यह अनुमान लगाया गया कि फ्रैंकलिन डी. रूजवेल्ट चुनाव जीतेंगे। रूजवेल्ट ने वास्तव में चुनाव जीता, लेकिन एग्जिट पोल के परिणामों ने चुनावी परिणामों को प्रभावित किया। इसके बाद, एग्जिट पोल अन्य देशों में भी लोकप्रिय हो गए। 1937 में, ब्रिटेन में पहला एग्जिट पोल हुआ। 1938 में, फ्रांस में पहला एग्जिट पोल हुआ।

भारत में एग्जिट पोल की शुरुआत 1996 में हुई थी। इसे सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज ने किया था। इस एग्जिट पोल में अनुमान लगाया गया था कि भारतीय जनता पार्टी लोकसभा चुनाव जीतेगी। BJP ने वास्तव में चुनाव जीता, लेकिन एग्जिट पोल के परिणामों ने चुनावी परिणामों को प्रभावित किया। इसके बाद, भारत में एग्जिट पोल का चलन बढ़ता गया। 1998 में, पहली बार किसी निजी न्यूज चैनल ने एग्जिट पोल का प्रसारण किया। आजकल, भारत में कई एग्जिट पोल होते हैं, जिन्हें विभिन्न एजेंसियों द्वारा किया जाता है।

एग्जिट पोल मतदान के दिन किए जाते हैं। मतदान करके बाहर निकले मतदाताओं से पूछा जाता है कि उन्होंने किस पार्टी या प्रत्याशी को वोट दिया है। इस तरह से प्राप्त आंकड़ों का विश्लेषण करके यह अनुमान लगाया जाता है कि चुनावी नतीजे क्या होंगे। ओपिनियन पोल चुनाव से पहले किए जाते हैं। इनमें सभी लोगों को शामिल किया जा सकता है, भले ही वो वोटर हों या नहीं। इनमें आमतौर पर यह पूछा जाता है कि लोग किस पार्टी या प्रत्याशी को वोट देने की योजना बना रहे हैं। एग्जिट पोल और ओपिनियन पोल दोनों ही उपयोगी उपकरण हो सकते हैं, लेकिन इनकी सीमाएं भी हैं। एग्जिट पोल हमेशा सटीक नहीं होते हैं, क्योंकि मतदाता मतदान के बाद अपनी राय बदल सकते हैं। ओपिनियन पोल भी हमेशा सटीक नहीं होते हैं, क्योंकि मतदाता चुनाव से पहले अपनी राय बदल सकते हैं।