आज हम आपको प्रज्वल रेवन्ना का सेक्स स्कैंडल बताने जा रहे हैं! सोशल मीडिया पर प्रज्वल नाम ट्रेंड कर रहा है। दरअसल, कर्नाटक के हासन सीट से सांसद और चुनावों में भाजपा की सहयोगी जेडीएस के मौजूदा उम्मीदवार प्रज्वल रेवन्ना अश्लील वीडियो की वजह से चर्चा में है। पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा के पोते प्रज्वल पर यौन उत्पीड़न, सैकड़ों आपत्तिजनक वीडियो रिकॉर्ड करने, धमकाने और साजिश रचने के आरोप हैं। उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। वहीं, भाजपा नेता देवराजे गौड़ा का एक लेटर भी सामने आया है, जिसमें उन्होंने बीते साल दिसंबर में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र को लिखी थी। इस लेटर में उन्होंने दावा किया है कि मेरे पास एक पेन ड्राइव है, जिसमें महिलाओं के यौन शोषण के करीब 3000 वीडियो हैं, जिनका इस्तेमाल महिलाओं को ब्लैकमेल करने में किया जाता रहा है। अंग्रेजी के चर्चित उपन्यासकार जेम्स ग्राहम बैलार्ड का एक मशहूर कथन है-पोर्नोग्राफी का बढ़ता चलन का मतलब यह है कि प्रकृति हमें अलर्ट कर रही है कि हमारे विलुप्त होने का खतरा बढ़ गया है। भारत में इंटरनेट पोर्नोग्राफी बेहद पॉपुलर है। जो इस वक्त 30 फीसदी से बढ़कर 70 फीसदी जा पहुंची। वहीं, इंडियन स्ट्रीम्स रिसर्च जर्नल की एक रिपोर्ट के अनुसार, शहरी युवा जैसे हरियाणा में पोर्नोग्राफी देखने का चलन काफी ज्यादा है। इनमें से ज्यादातर लोग 74 फीसदी अपने मोबाइल फोन में ही ये अश्लील वीडियो या फोटो देखते हैं। क्वार्ट्ज की एक रिपोर्ट के अनुसार, इंटरनेट इस्तेमाल करने वाले 50 फीसदी भारतीय अपने मोबाइल फोन पर पॉपुलर पोर्नोग्राफी वेबसाइट्स देखते हैं।
किसी के आपत्तिजनक वीडियो या फोटो लेना एक तरह का पैराफिलिया है। यह एक ऐसा मनोवैज्ञानिक विकार है, जिसमें कुंठा या अवसाद से पीड़त यौन कल्पनाओं की दुनिया में डूबा रहता है। वैसे तो पैराफिलिया यूनानी भाषा का शब्द है, जिसका मतलब है कि प्यार से इतर असामान्य यौन इच्छा। ये एक तरह की कुंठा है, जो सामाजिक तौर पर खतरनाक मानी जाती है। अमेरिका की नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के अनुसार, पैराफिलिया लगभग 550 तरह के होते हैं। वहीं, कुछ लोगों में बचपन में ‘सेक्शुअल मैसोचिज्म डिसऑर्डर’ यानी दूसरों को सताने में आनंद आने जैसा विकार पनपता है। ऐसा व्यक्ति पोर्नोग्राफी और सेक्शुअल कंटेंट को लगातार देखता रहता है और कुछ असामान्य हालात में वह खुद पर काबू नहीं रख पाता। कुछ कुंठित लोग रेप जैसे अपराध भी कर बैठते हैं। ऐसे मनोविकार को ‘बायस्टोफिलिया’ भी कहते हैं। हमारे शरीर में दिमाग ही हमसे सबकुछ कराता है। यह सब कुछ हॉर्मोन के बदलाव की वजह से भी होता है। अमेरिका की नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार, जो लोग पैराफिलिया से ग्रस्त होते हैं, उनके शरीर में सिरोटोनिन और नॉरपीनेफ्रिन हॉर्मोन काफी बढ़ जाता है। वैसे तो यौन कल्पनाओं में डूबा व्यक्ति तभी तक ठीक है, जब तक वह खुद को या दूसरे को नुकसान नहीं पहुंचाता है। इन 5 लक्षणों से पैराफिलिया से ग्रस्त व्यक्ति की पहचान की जा सकती है। ऐसे लोगों में बार-बार यौन भावनाएं उमड़ती हैं। किसी वस्तु या व्यक्ति के बारे में यौन फैंटेसी बुनते रहते हैं। बार-बार खुद को या दूसरों को पीड़ा पहुंचाते हैं। बच्चों या लड़कियों को शिकार बनाते हैं। बिना पार्टनर की सहमति के संबंध बनाते हैं और आक्रामक बर्ताव हो जाता है।
एक्सप्लोरिंग योर माइंड’ पर प्रकाशित एक स्टडी में कहा गया है कि आम तौर पर पहले यही माना जाता था कि पैराफिलिया के मनोरोगी सिर्फ पुरुष ही होते हैं। मगर, कई स्टडी के अनुसार, पैराफिलिया पुरुषों में 85 फीसदी तो महिलाओं में 15 फीसदी पाया जाता है। पैराफिलिया का किसी दवा से 100 फीसदी इलाज संभव भी नहीं है। अमेरिका की नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के अनुसार, पैराफिलिया ग्रस्त व्यक्ति किसी भी माहौल में आसानी से ढल जाता है। इनमें विनम्रता के साथ अहंकार भी होता है। ऐसी दोहरी पर्सनालिटी की वजह से इनके इलाज में मुश्किल आती है। ऐसा व्यक्ति अपने भीतर की कमी को नहीं मानता है और दूसरों से अपनी खामी बताते भी नहीं हैं।
सेक्शटॉर्शन यानी आपत्तिजनक वीडियो बनाकर ब्लैकमेल करने का चलन गलत तरीके से जल्दी पैसे कमाने का जरिया बन चुका है। इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट यानी आईटी एक्ट की धारा 67 में कहा गया है कि आपत्तिजनक फोटो या वीडियो जैसे अश्लील कंटेंट को फेसबुक, इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया पर पोस्ट करना और इंटरनेट पर फैलाना अपराध है। ऐसे मामलों में पहली बार दोषी ठहराए जाने पर 5 साल तक की कैद और 10 लाख तक जुर्माना हो सकता है। दूसरी बार ऐसा करते हुए पाए जाने पर 7 साल तक की कैद और 10 लाख तक जुर्माना या दोनों हो सकता है। तकनीकी आधारित अपराध के मामले दिनोंदिन बढ़ रहे हैं। ये नए-नए रूपों में आ रहे हैं। ऐसे में इसके लिए अलग से कानून बनाया जाना चाहिए।