आज हम आपको उपहार और वसीयत में गहरा अंतर बताने जा रहे हैं! उपहार वर्तमान में मौजूद चल या अचल संपत्ति का हस्तांतरण है। यह संपत्ति के स्वैच्छिक हस्तांतरण को दर्शाता है। मतलब यह है कि आप जो गिफ्ट दे रहे हैं, वह पूरी तरह से निःशुल्क है। इसके बदले आपको कोई प्रतिफल नहीं मिलेगा। मुस्लिम कानून में भी यह मान्य है। मुस्लिम कानून में इस प्रकार के गिफ्ट को हिबा कहा जाता है। गिफ्ट देने की प्रक्रिया में जो व्यक्ति उपहार हस्तांतरित करता है उसे दाता कहा जाता है। जो व्यक्ति उपहार स्वीकार करता है उसे प्राप्तकर्ता कहा जाता है। यहां ध्यान देने योग्य बात यह है कि डोनर किसी अनुबंध contract करने के लिए सक्षम व्यक्ति होना चाहिए। साथ ही उपहार प्राप्तकर्ता द्वारा स्वीकार किया जाना चाहिए। यदि उपहार स्वीकार नहीं किया जाता है तो वह अमान्य माना जाता है।
जैसे ही कोई वस्तु या चल-अचल संपत्ति दान की जाती है, उसका स्वामित्व बदल जाता है, क्योंकि प्राप्तकर्ता दानकर्ता से उपहार स्वीकार करता है। उपहारों में चल या अचल संपत्ति शामिल हो सकती है। अचल संपत्ति के मामले में गिफ्ट का पंजीकरण अनिवार्य है। उपहार पर इनकम टैक्स लगता भी है और नहीं भी लगता है। जैसे मां-बाप, दादा-दादी, नाना-नानी, भाई-बहन से मिला उपहार टैक्स फ्री होता है। भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम इस पर कोई प्रतिबंध नहीं है। मुस्लिम संप्रदाय के लोग से गवर्न होते हैं। कोई भी मुसलमान किसी के पक्ष में अपनी कुल संपत्ति के केवल एक तिहाई हिस्से तक ही वसीयत कर सकता है। यदि वसीयत संपत्ति के एक तिहाई से अधिक के लिए बनाई गई है, तो कानूनी उत्तराधिकारियों की सहमति अनिवार्य है। चाहे वह वसीयत किसीके पक्ष में की गई हो।इसी तरह शादी में मिला उपहार भी टैक्स फ्री होता है। आम दिनों में मिला कोई उपहार टैक्सेबल होता है। कोई भी व्यक्ति साल भर में 50 हजार रुपये तक के ही उपहार टैक्स फ्री ले सकता है। उसके बाद उस पर उसी हिसाब से टैक्स लगेगा, जिस टैक्स ब्रेकेट में वे आते हैं।
वसीयत (Will) एक औपचारिक कानूनी दस्तावेज है जिसमें कोई व्यक्ति अपनी मृत्यु पर अपनी संपत्ति और संपत्ति के वितरण से संबंधित अपनी इच्छाओं को रेखांकित करता है। वसीयत बनाने वाला व्यक्ति, जिसे “वसीयतकर्ता” के रूप में जाना जाता है, एक निष्पादक को नामित करता है। इन्हें ही वसीयत में विस्तृत निर्देशों लागू करने या देखरेख करने का काम सौंपा जाता है। यह निष्पादक यह सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार है कि वसीयतकर्ता द्वारा व्यक्त की गई इच्छाओं को निर्दिष्ट अनुसार निष्पादित किया जाता है।
वसीयत में संपत्ति लाभार्थी या वसीयतकर्ता को केवल वसीयतकर्ता की मृत्यु के बाद ही हस्तांतरित की जाएगी। ध्यान रखने वाली बात यह है कि वसीयत करने वाला व्यक्ति चाहे विल को रजिस्टर्ड क्यों नहीं करा लिया हो, लेकिन वह अपनी मृत्यु से पहले वसीयत को रद्द, संशोधित आदि कर सकता है। वसीयत किसी व्यक्ति की संपत्ति के संबंध में उसके इरादे की घोषणा है। वसीयतकर्ता या वसीयत करने वाला अपनी पूरी संपत्ति या आंशिक संपत्ति के लिए वसीयत परिवार में या परिवार से बाहर किसी को भी कर सकता है। भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम इस पर कोई प्रतिबंध नहीं है। मुस्लिम संप्रदाय के लोग से गवर्न होते हैं। कोई भी मुसलमान किसी के पक्ष में अपनी कुल संपत्ति के केवल एक तिहाई हिस्से तक ही वसीयत कर सकता है। यदि वसीयत संपत्ति के एक तिहाई से अधिक के लिए बनाई गई है, तो कानूनी उत्तराधिकारियों की सहमति अनिवार्य है। चाहे वह वसीयत किसीके पक्ष में की गई हो।
किसी भी वसीयत के अनुसार प्राप्त संपत्ति, चाहे रिश्तेदार हो या गैर-रिश्तेदार, भारत में आयकर अधिनियम के तहत कर से मुक्त है।बता दें कि अचल संपत्ति के मामले में गिफ्ट का पंजीकरण अनिवार्य है। उपहार पर इनकम टैक्स लगता भी है और नहीं भी लगता है। जैसे मां-बाप, दादा-दादी, नाना-नानी, भाई-बहन से मिला उपहार टैक्स फ्री होता है। इसी तरह शादी में मिला उपहार भी टैक्स फ्री होता है। आम दिनों में मिला कोई उपहार टैक्सेबल होता है। कोई भी व्यक्ति साल भर में 50 हजार रुपये तक के ही उपहार टैक्स फ्री ले सकता है। हालांकि कई देशों में, यह विरासत कर के नाम पर कर योग्य है। भारत में विरासत कर समाप्त कर दिया गया है। इसलिए लाभार्थी आमतौर पर वसीयत के माध्यम से विरासत में प्राप्त संपत्ति पर कर का भुगतान नहीं करते हैं।