यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या हिंदुओं पर बयान देना राहुल गांधी पर भारी पड़ेगा या नहीं! लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को बीजेपी पर देश में हिंसा, नफरत तथा डर फैलाने का आरोप लगाया। कांग्रेस नेता ने दावा किया कि ‘ये लोग हिंदू नहीं हैं क्योंकि 24 घंटे की हिंसा की बात करते हैं। उन्होंने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर लाए गए धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लेते हुए यह बातें कहीं। राहुल के इस बयान पर अब बीजेपी आक्रामक है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राहुल ने इस मुद्दे पर सेल्फ गोल बीजेपी को बड़ा मौका दे दिया है। सदन में राहुल गांधी ने कहा कि हिंदू कभी हिंसा नहीं कर सकता, कभी नफरत और डर नहीं फैला सकता। सदन में सत्तापक्ष और विपक्ष के सदस्यों के बीच तीखी नोंकझोंक के बीच राहुल गांधी ने कहा कि जो अपने आप को हिंदू कहते हैं कि वो 24 घंटे हिंसा की बात करते हैं। आप (भाजपा) हिंदू नहीं हैं। राहुल गांधी ने जब भाजपा पर यह आरोप लगाया तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने आपत्ति जताते हुए यह कहा कि कांग्रेस नेता ने पूरे हिंदू समाज को हिंसक कहा है।
इस पर प्रधानमंत्री ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि पूरे हिंदू समाज को हिंसक कहना ठीक नहीं है। गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि नेता विपक्ष ने कहा है कि जो अपने आपको हिंदू कहते हैं वो हिंसा करते हैं। इनको मालूम नहीं है कि करोड़ों लोग अपने आप को गर्व से हिंदू को कहते हैं, क्या वो सभी लोग हिंसा करते हैं। उन्हें (राहुल) माफी मांगनी चाहिए।नेता प्रतिपक्ष ने सदन में भगवान शिव की तस्वीर दिखाई। राहुल ने कहा कि शंकर भगवान से सच, साहस और अहिंसा की प्रेरणा मिलती है। उनका कहना था, भगवान शिव कहते हैं कि डरो मत, डराओ मत। उन्होंने भगवान शिव की ‘अभय मुद्रा’ का उल्लेख करते हुए कहा कि इस मुद्रा का उल्लेख इस्लाम, सिख, ईसाई, बौद्ध और जैन, सभी धर्मों में हैं।
संसद में राहुल गांधी के बयान पर केंद्रीय मंत्री और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने ट्वीट कर अपनी बात रखी। नड्डा ने ट्वीट में लिखा पहला दिन, सबसे खराब प्रदर्शन! झूठ + हिंदू घृणा = संसद में राहुल गांधी जी। नड्डा ने आगे लिखा कि तीसरी बार असफल हुए नेता प्रतिपक्ष को उत्तेजित, दोषपूर्ण तर्क करने की आदत है। नड्डा का कहना था कि उनके आज के भाषण से पता चला है कि न तो उन्होंने 2024 के जनादेश को समझा है (उनकी लगातार तीसरी हार) और न ही उनमें कोई विनम्रता है। इसी बीच चिराग पासवान के दिवंगत पिता और रामविलास पासवान ने 10 दिसंबर 1998 को लोकसभा में एक बयान दिया था। अल्पसंख्यकों पर अत्याचार पर चर्चा के दौरान उन्होंने कहा था कि किसी भी धर्म को विवाद में नहीं घसीटना चाहिए। उन्होंने हिंदू धर्म को लेकर यह भी कहा था कि वेदों में कहीं भी ‘हिंदू’ शब्द का उल्लेख नहीं मिलता। संसद में राम विलास पासवान ने कहा था कि वे लगातार ‘हिंदू धर्म-हिंदू धर्म’ सुन रहे हैं, लेकिन वे इस बहस में नहीं पड़ना चाहते। उन्होंने कहा कि सदन में बहुत से पढ़े-लिखे लोग हैं, खासकर संस्कृत और वेदों के जानकार। उन्होंने चुनौती देते हुए कहा कि अगर कोई वेदों, गीता या महाभारत में ‘हिंदू’ शब्द दिखा दे तो वे सजा भुगतने को तैयार हैं।अपने भाषण के दौरान उन्होंने वाल्मीकि और तुलसीदास द्वारा रचित रामायण का उदाहरण देते हुए कहा कि इन दोनों ही ग्रंथों में ‘हिंदू’ शब्द का उल्लेख नहीं है। उनका कहना था कि यह तो जीने का एक तरीका है, एक दूसरे के साथ कैसे रहना है। सहनशीलता की बात करते हुए उन्होंने कहा कि हर चीज में हिंदू, हिंदुत्व जोड़ा जा रहा है, जबकि हिंदू है ही नहीं तो हिंदुत्व कहां से आया? उन्होंने कहा कि यह सबको पता है कि ‘हिंदू’ शब्द विदेशियों द्वारा दिया गया नाम है, जो सिंधु को हिंदू बोलते थे।
नड्डा ने कहा कि राहुल गांधी जी को सभी हिंदुओं को हिंसक कहने के लिए तुरंत उनसे माफ़ी मांगनी चाहिए। यह वही व्यक्ति है जो विदेशी राजनयिकों से कह रहा था कि हिंदू आतंकवादी हैं। हिंदुओं के प्रति यह अंतर्निहित नफरत बंद होनी चाहिए। विपक्ष के नेता ने हमारे मेहनती किसानों और बहादुर सशस्त्र बलों से जुड़े मामलों सहित कई मामलों में झूठ बोला है।