आज हम आपको बताएंगे कि उत्तर प्रदेश में बीजेपी की हार का कारण क्या है! उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की हार का कारण सामने आया है। भाजपा की समीक्षा रिपोर्ट सामने आई है। इसमें साफ हुआ है कि प्रदेश के सभी क्षेत्रों में भाजपा के वोट घटे। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, तमाम इलाकों में सीटों का नुकसान पार्टी को झेलना पड़ा। पार्टी के मजबूत इलाके अवध, काशी, गोरखपुर क्षेत्र में भी पार्टी की सीटें घटी। भाजपा की समीक्षा रिपोर्ट में कई अहम बातें सामने आई हैं। पार्टी ने समीक्षा का बिंदू यूपी में बीजेपी क्यों हारी रखा। सूत्रों के हवाले से आई समीक्षा रिपोर्ट में माना गया है कि भाजपा के लिए संविधान संशोधन वाले बयान भारी पड़े। पार्टी की ओर से यूपी की 78 सीटों पर करीब 40 टीमों ने समीक्षा की। अपनी रणनीति को बेहतर किया। समीक्षा में कहा गया है कि टिकट वितरण में जल्दबाजी की गई और यह भी हार का कारण बनी। 15 पेज की रिपोर्ट में गिनाए गए कारणों में समर्थकों के नाम मतदाता सूची से हटाने को भी कारण माना गया है।करीब 40 हजार कार्यकर्ताओं से बात की गई। इसमें माना गया है कि पिछड़ी जातियां भाजपा से अलग हुई। हार की समीक्षा की 15 पेज की रिपोर्ट में 12 कारण गिनाए गए हैं। अब इस समीक्षा रिपोर्ट पर राष्ट्रीय स्तर पर बैठक में चर्चा होगी। यूपी में लोकसभा चुनाव परिणाम ने साफ कि योगी-मोदी इफेक्ट प्रदेश में कम हुआ है। समीक्षा बैठक में साफ किया गया कि ‘बीजेपी आरक्षण हटा देगी’, यह नैरेटिव बना। विपक्षी दल इस नैरेटिव को जनता के बीच स्थापित करने में कामयाब हो गए। रिपोर्ट में कहा गया है कि गैर यादव ओबीसी और गैर जाटव एससी वोट समाजवादी पार्टी को गए। लोकसभा चुनाव 2019 में भाजपा करीब 50 फीसदी वोट शेयर तक पहुंच गई थी। इस चुनाव में पार्टी को करीब 8 फीसदी वोट शेयर में गिरावट झेलनी पड़ी।
बीजेपी की समीक्षा रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रतियोगी परीक्षाओं में पेपर लीक का मुद्दा काफी चर्चा में रहा। इस मुद्दे ने भाजपा को लोकसभा चुनाव में काफी नुकसान पहुंचाया। युवाओं के साथ-साथ उनके परिजनों के वोट भी बीजेपी से दूर हुए। वहीं, समीक्षा रिपोर्ट में सामने आया है कि यूपी में सरकारी अधिकारियों से कार्यकर्ताओं की नाराजगी काफी ज्यादा थी। अधिकारियों की मनमानी के कारण यूपी में कार्यकर्ता चुनाव के समय में उदासीन हो गए। समीक्षा में यह भी कहा गया है कि सरकारी स्तर पर बीजेपी कार्यकर्ताओं की अनदेखी की गई। इस कारण मोटिवेटेड कार्यकर्ता भी पार्टी से दूर हो गए। समीक्षा में यह भी कहा गया कि सरकारी विभागों में कॉन्ट्रैक्ट से भर्ती और आउटसोर्सिंग की गई। इससे भी कार्यकर्ताओं और वोटरों में नाराजगी थी।
लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा ने पहले ही अपने पत्ते साफ कर दिए थे। उम्मीदवारों की घोषणा के बाद विपक्षी दलों ने उनके काट खोजे। अपनी रणनीति को बेहतर किया। समीक्षा में कहा गया है कि टिकट वितरण में जल्दबाजी की गई और यह भी हार का कारण बनी। 15 पेज की रिपोर्ट में गिनाए गए कारणों में समर्थकों के नाम मतदाता सूची से हटाने को भी कारण माना गया है।
अयोध्या में बीजेपी की समीक्षा बैठक के दौरान भी कार्यकर्ताओं ने भाजपा समर्थकों के नाम मतदाता सूची से हटाए जाने का मुद्दा उठाया था। साथ ही, ठाकुर मतदाताओं के भी बीजेपी से दूर जाने की बात समीक्षा में कही गई है। बहुजन समाज पार्टी उम्मीदवारों के मुस्लिम और अन्य वोट न काट पाने को भी हार के कारणों में गिना गया है। बता दें कि समीक्षा की 15 पेज की रिपोर्ट में 12 कारण गिनाए गए हैं। अब इस समीक्षा रिपोर्ट पर राष्ट्रीय स्तर पर बैठक में चर्चा होगी। यूपी में लोकसभा चुनाव परिणाम ने साफ कि योगी-मोदी इफेक्ट प्रदेश में कम हुआ है। समीक्षा बैठक में साफ किया गया कि ‘बीजेपी आरक्षण हटा देगी’, यह नैरेटिव बना। विपक्षी दल इस नैरेटिव को जनता के बीच स्थापित करने में कामयाब हो गए।गैर यादव ओबीसी और गैर जाटव एससी वोट समाजवादी पार्टी को गए। लोकसभा चुनाव 2019 में भाजपा करीब 50 फीसदी वोट शेयर तक पहुंच गई थी। इस चुनाव में पार्टी को करीब 8 फीसदी वोट शेयर में गिरावट झेलनी पड़ी। रिपोर्ट में कहा गया है कि गैर यादव ओबीसी और गैर जाटव एससी वोट समाजवादी पार्टी को गए। अब भाजपा के राष्ट्रीय पदाधिकारी बैठक में यूपी की हार वाली समीक्षा रिपोर्ट पर चर्चा होगी।