आज हम आपको भारत के तीन नए कानून के बारे में बताने जा रहे हैं! 1 जुलाई 2024 से भारतीय कानून में परिवर्तन हो चुका है! दरअसल, ब्रिटिश काल के कानून आईपीसी, सीआरपीसी और इंडियन एविडेंस एक्ट को बदलकर अब नए तीन कानून बना दिए गए हैं! आज हम आपको इन तीनों नए कानून के बारे में जानकारी देंगे!
आपको बता दें कि लोकसभा ने 20 दिसंबर 2023 को तीन संशोधित आपराधिक कानून विधेयक पारित किए। जो भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 हैं। दरअसल, इन तीनों नए कानून को आईपीसी, सीआरपीसी और इंडियन एविडेंस एक्ट के स्थान पर लाया गया है! आइए अब आपको तीनों कानून के बारे में संक्षिप्त में जानकारी देते हैं! बता दें कि भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय दंड संहिता IPC 1860 का स्थान लेगी। ये देश में क्रिमिनल ऑफेंस पर प्रमुख लॉ है। नए विधेयक में सामुदायिक सेवा को सजा के रूप में परिभाषित किया गया है। इसके अंतर्गत पहले की 511 धाराओं के बजाय अब 358 धाराएं होंगी। इसमें 21 नए अपराध जोड़े गए हैं और 41 अपराधों में सजा के टाइम को बढ़ा दिया गया है। वहीं अगर बात भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की की जाए तो, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023, आपराधिक प्रक्रिया संहिता 1973 CrPC की जगह लेगी। CrPC अरेस्ट, प्रॉसीक्यूशन और बेल के लिए है। इसके अंतर्गत नागरिक सुरक्षा संहिता में 531 धाराएं होंगी, जबकि पहले केवल 484 धाराएं थीं। नए विधेयक में 177 धाराओं में बदलाव किए गए हैं और 9 नई धाराएं जोड़ी गई हैं और 14 धाराओं को निरस्त कर दिया गया है।
अब बात भारतीय साक्ष्य संहिता 2023 की! तो आपकी जानकारी के लिए बता दे कि यह विधेयक भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 का स्थान लेगा। यह अधिनियम इंडियन कोर्ट्स में एविडेंस की ऐडमिसिबिलिटी पर आधारित है। यह सभी नागरिक और आपराधिक कार्यों पर लागू होता है। इन कानूनों में FIR से लेकर केस डायरी, आरोप पत्र, और पूरी प्रक्रिया को डिजिटल बनाने का प्रावधान किया गया है। इसके अंतर्गत पहले की 167 धाराओं के बजाय अब 170 धाराएं होंगी। 24 धाराओं में बदलाव किये गये हैं। बता दें कि लोकसभा में वॉईस वोट से विधेयकों को पारित किया गया। इसका उद्देश्य ब्रिटिश काल के कानूनों को बदलना है। नया कानून मौजूदा आपराधिक न्याय प्रणाली में बड़ा बदलाव लाएगा। वर्तमान कानूनों में केवल दंडात्मक कार्रवाई के प्रावधान हैं लेकिन नए कानून मानवीय दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए तैयार किए गए हैं। इसमें महिलाओं और बच्चों को प्राथमिकता दी गई है।
इन प्रस्तावित कानूनों ने राजद्रोह को अपराध के रूप में खत्म कर दिया और “राज्य के खिलाफ अपराध” नामक एक नई धारा पेश की। इनमें पहली बार, आतंकवाद को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है। इसमें मॉब लिंचिंग के लिए भी मौत की सजा दी गई है। नाबालिग से दुष्कर्म में फांसी की सजा का प्रावधान है। ट्रायल अदालतों को FIR दर्ज होने के तीन साल में हर हाल में सजा सुनानी होगी। अपराध कर विदेश भाग जाने वाले या कोर्ट में पेश न होने वालों के खिलाफ उसकी अनुपस्थिति में सुनवाई होगी। सजा भी सुनाई जा सकेगी। यही नहीं भारतीय न्याय संहिता की धारा-106 (1) और (2) के प्रावधान को जानते हैं कि आखिर क्या कहता है प्रावधान। धारा-106 (1) के तहत कहा गया है कि अगर कोई लापरवाही से गाड़ी चलाता है तो होने वाली मौत का मामला गैर इरादतन अपराध की श्रेणी में होगा और दोषी पाए जाने पर पांच साल तक कैद की सजा हो सकती है। वहीं अगर कोई रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिक्शनर द्वारा लापरवाही से किसी मरीज की मौत हो तो उस मामले में उसे अधिकतम दो साल कैद की सजा हो सकती है। मौजूदा आईपीसी की धारा-304 ए में प्रावधान है कि लापरवाही से मौत के मामले में ड्राइवर को अधिकतम दो साल कैद की सजा हो सकती है। नई कानून में कुछ महत्वपूर्ण धाराओं में भी परिवर्तन किया गया है इनमें धोखाधड़ी के मामले में 420 धारा की जगह अब 318 धारा का प्रयोग किया जाएगा! साथ ही साथ धारा 144 की जगह 187 से 189 ,रेप में 375 D की जगह 63 तथा हत्या के मामले में 302 की जगह 101 धारा का हवाला दिया जाएगा!
वहीं भारतीय न्याय संहिता की धारा-106 (2) में प्रावधान है कि अगर लापरवाही से मौत के बाद ड्राइवर मौके से भाग जाता है और वह बिना पुलिस व मैजिस्ट्रेट को बताए मौके से फरार होता है तो दोषी पाए जाने पर उसे 10 साल तक कैद और जुर्माने की सजा होगी।हिट एंड रन मामले से जुड़े प्रावधान का सड़क पर हुआ था भारी विरोध