आज हम आपको वाइब्रेशन बाबा के बारे में जानकारी देने वाले हैं! उत्तर प्रदेश के हाथरस में सूरज जाटव उर्फ भोले बाबा के सत्संग में भगदड़ की घटना के बाद तरह-तरह के बाबाओं को लेकर चर्चा हो रही है। इस सब के बीच सोशल मीडिया पर गुजरात में पंचमहाल जिले से आने वाले भरत माड़ी उर्फ वाइब्रेशन बाबा भी सुर्खियों में आ गए हैं। अपने कार्यक्रमों में जीभ निकालकर हिलने वाले भरत माड़ी के कार्यक्रमों में हजारों-लाखों की संख्या में भीड़ उमड़ती है। वे खौलते हुए तेल में हाथ डालते हैं और तेल अपने चेहरे पर लगा लेते हैं। कभी-कभी भरत माड़ी (Bharat madi) अपने भक्तों का इलाज भी इसी विधि से करते हैं। भरत माड़ी को मनाने वाले लोगों को कहना है कि उनमें कोई दैवीय शक्ति है। इससे उनका दुख और तकलीफ कम हो जाती है जो भी हो हाथरस की घटना के बाद पंचमहाल जिले में भरत माड़ी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर इन दिनों खूब वायरल हो रहा है। तो यह स्वाभाविक है कि उनका बाबाओं पर विश्वास बढ़ेगा। रेत के महलों के चारों ओर पत्थर की दीवारें बनाने और उनकी प्राचीरों की रक्षा ‘डिजाइनर’ गुरुओं द्वारा करने की लगातार आवश्यकता होगी, जिनका भगवान के साथ एक विशेष समझौता है। थोड़े बहुत बदलावों के साथ ऐसी ही घटना अमेरिका में भी देखने को मिलती है। इसमें वह कई सौ किलो गुलाब के फूलों के ऊपर बैठकर हिल रहे हैं। उन्हें वाइब्रेशन बाबा का टैग दिया गया है। इस वीडियो में लाखों भक्तों की भीड़ भी मौजूद है। वह बाबा के जयकारे लगाए जा रही है। वीडियो में मौजूद भरत माड़ी खुद को मां अंबे का भक्त बताते हैं। इसी शक्ति के वह दुख-तकलीक को दूसर करने का दावा भी करते हैं। एक इंटरव्यू में भरत माड़ी ने इसका दावा भी किया है। वह गुजरात के आदिवासी इलाके में मोरवा हड़फ में अपना दरबार लगाते हैं। कई मौकों पर वह धार्मिक आयोजनों में भी अपनी उपस्थिति को दर्ज करवा चुके हैं। भरत माड़ी खौलते तेल में से हाथों से पूड़ियों को बाहर निकालते हैं। वह इसके लिए अंबाजी माता के कई पाटोत्सव में भी शिरकत कर चुके हैं।
वाइब्रेशन बाबा उर्फ भरत माड़ी का दावा है कि उनके शरीर में माता आती हैं। एक इंटरव्यू में भरत माड़ी ने खुलासा किया था कि अंबे माता तो उनके साथ ही हैं। भरत माड़ी खौलते हुए तेल से चमत्कार दिखाते हैं। बाबा को करंट वाली माता भी कहा जाता है। वह गुजरात के पंचमहाल और दूसरे पास के जिलों बड़े लोक गीतों और पटोत्सव में अपनी मौजूदगी दर्ज करा चुके हैं। जहां पर बाबा का आशीर्वाद लेने के लिए नेता भी पहुंचते रहे हैं। वाइब्रेशन बाबा मंगलवार और रविवार को अपनी गद्दी पर बैठते हैं और इलाज करते हैं। भरत माड़ी कहते हैं एक बार उन्हें पानी गरम करने के हीटर से करंट लग गया था। तब बचने की कोई उम्मीद नहीं थी। डॉक्टरों ने भी जवाब दे दिया था, लेकिन भरत माड़ी का दावा है कि वह इसके बाद भी बच गए थे। भरत माड़ी का कहना है कि उन्हें माता आती हैं इसी के आधार पर वह इलाज करते हैं। बता दें कि नौकरी करने वाले ही नहीं या उद्यम करने वाले लोग भी अनिश्चितताओं और नीतियों को देखते हुए चिंतित रहते हैं। ऐसे में अमीर वर्ग भी चिंताओं से पूरी तरह मुक्त नहीं हैं। जब बहुत कुछ भाग्य पर निर्भर करता है और आत्मविश्वासी कौशल पर कम, तो यह स्वाभाविक है कि उनका बाबाओं पर विश्वास बढ़ेगा। रेत के महलों के चारों ओर पत्थर की दीवारें बनाने और उनकी प्राचीरों की रक्षा ‘डिजाइनर’ गुरुओं द्वारा करने की लगातार आवश्यकता होगी, जिनका भगवान के साथ एक विशेष समझौता है। थोड़े बहुत बदलावों के साथ ऐसी ही घटना अमेरिका में भी देखने को मिलती है।
जैसे रसायन विज्ञान और अन्य प्राकृतिक विज्ञान भौतिक दुनिया की सच्चाइयों से व्यवहार करते हैं। वीडियो में मौजूद भरत माड़ी खुद को मां अंबे का भक्त बताते हैं। इसी शक्ति के वह दुख-तकलीक को दूसर करने का दावा भी करते हैं। एक इंटरव्यू में भरत माड़ी ने इसका दावा भी किया है। वह गुजरात के आदिवासी इलाके में मोरवा हड़फ में अपना दरबार लगाते हैं।एक और महान आध्यात्मिक गुरु, टैगोर की तरह विवेकानंद भी जगदीश चंद्र बोस के वैज्ञानिक प्रयासों के प्रबल समर्थक थे। तर्कवादी गलत हो जाते हैं क्योंकि जिस लेंस से वे दुनिया को देखते हैं वह द्विध्रुवी नहीं होता है। वे सिर्फ एक ही तरीका जानते हैं और देखते हैं। ऐसे में ये पूछना कि धार्मिक विश्वासी लोग वैज्ञानिक क्यों नहीं हैं, सबसे अवैज्ञानिक प्रश्न है।