आने वाले समय में पाकिस्तान भारत से बदला ले सकता है! बंगाल की खाड़ी में एक छोटी सी जगह है सेंट माटिन द्वीप। बिल्कुल ऐसे जैसे समंदर में किसी ने एक पांव रख दिया हो। यह द्वीप बांग्लादेश के समुद्रतटीय जिले कॉक्स बाजार का हिस्सा है, जो मुख्य भूमि से महज 9 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां की प्राकृतिक खूबसूरती देखने के लिए देश और दुनिया के सैलानी आते हैं। मगर, ये इलाका एक बार फिर चर्चा में है। वजह यह है कि बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने यह आरोप लगाया है कि सेंट मार्टिन द्वीप नहीं देने की वजह से अमेरिका ने उनका तख्तापलट कराया है। स्टोरी में यह जानेंगे कि आखिर सेंट मार्टिन द्वीप की इतनी अहमियत क्यों है और इसका पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई और म्यांमार के रोहिंग्या मुस्लिमों से क्या कनेक्शन है? सेंट मार्टिन द्वीप के पास ही एक और छोटा सा द्वीप है छेरा द्वीप, जो पश्चिमी म्यांमार से महज 8 किलोमीटर दूर है और नाफ नदी के मुहाने पर स्थित है, जो बांग्लादेश और म्यांमार की अंतरराष्ट्रीय सीमा बनाती है। इसे लोकल लोग बहुत ज्यादा नारियल और दालचीनी पाए जाने की वजह से नारिकेल जंजीरा और दारूचीनी द्वीप (दालचीनी द्वीप) कहते हैं। आपको अगर सेंट मार्टिन द्वीप जाना हो तो आपको कॉक्स बाजार या टेकनॉफ से बोट मिलेंगी, जिनसे आप वहां जा सकते हैं। सेंट मार्टिन की मेन इनकम टूरिज्म ही है। इसके अलावा, यहां पर मुख्य खेती नारियल और चावल है। साथ ही मछली मारना भी प्रमुख कारोबार हे। आज इसी नारियल द्वीप पर चीन-पाकिस्तान और कथित रूप से अमेरिका भी नजरे गड़ाए हुए है, क्योंकि इसकी रणनीतिक अहमियत ज्यादा है।
सेंट मार्टिन महज 3 वर्ग किमी के दायरे में फैला है। यहां पर ज्यादातर हिस्से में मूंगे की चट्टाने हैं। 18वीं सदी में पहली बार यहां पर अरब व्यापारी यहां पर अपनी नौकाओं से पहुंचे तो उन्होंने इस इलाके का नाम जजीरा (छोटा द्वीप) दिया। यहां व्यापारी आराम के लिए ठहरते थे। 19वीं सदी की शुरुआत में यह ब्रिटिश भारत का हिस्सा हो गया। उस वक्त इसका नाम चटगांव के डिप्टी कमिश्नर मिस्टर मार्टिन के नाम पर इस द्वीप का नाम सेंट मार्टिन पड़ गया। बाद में यहां बंगाली बोलने वाले राखाइन लोग आकर यहां बसने लगे, जो ज्यादातर मछुआरे थे। आज इसकी आबादी करीब 8,000 है। दरअसल, यह इलाका म्यांमार के राखाइन स्टेट के पास पड़ता है, जहां से बड़ी संख्या में रोहिंग्या मुस्लिम भागकर आते रहे हैं। भारत के बंटवारे में सेंट मार्टिन पाकिस्तान के हिस्से में चला गया। 1971 में आजाद होने के बाद यह इलाका बांग्लादेश के हिस्से में आ गया।
कई मीडिया रिपोर्टों में यह कहा गया है कि बांग्लादेश में अगस्त 2017 करीब 1.20 करोड़ से ज्यादा मुस्लिम रोहिंग्याओं को बांग्लादेश में शरण दी गई थी, क्योंकि वे म्यांमार सेना और अराकान रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी (ARSA) के सदस्यों के बीच सशस्त्र संघर्ष के कारण देश से भाग गए थे। अराकान रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी एक कुख्यात उग्रवादी संगठन है, जो इंटरनेशनल ड्रग्स, हथियार और मानव तस्करी में भी शामिल है। अब इसी का फायदा पाकिस्तान और चीन उठा रहे हैं। यह भी कहा जा रहा है कि म्यांमार की सेना रोहिंग्या मुस्लिमों की एक लड़ाकू आर्मी बना रही है, जिसे सेंट मार्टिन द्वीप पर कब्जा करने का मकसद दिया गया है। यहां तक कि इस रोहिंग्या आर्मी को आईएसआई कमांडो और आत्मघाती हमले के लिए ट्रेनिंग दे रही है।
2017 में म्यांमार से भागकर आए रोहिंग्या मुसलमान आतंकी कारनामों में शामिल हो रहे हैं। खुद शेख हसीना ये बात कई मंचों से उठा चुकी हैं। बताया जा रहा है क्थ् अलकायदा, इस्लामिक स्टेट (ISIS), हिजबुल्लाह, हमास, लश्कर-ए-तैयबा, मुस्लिम ब्रदरहुड, हिज्ब-उत-तहरीर, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान जैसे कई आतंकी संगठन रोहिंग्याओं को आतंकी और जिहादी हमलों के लिए ट्रेनिंग दे रहे हैं। कुछ समय पहले ही यह खबर आई थी कि बांग्लादेश में करीब 45 हजार रोहिंग्या मुस्लिम नाफ नदी की ओर से बांग्लादेश में घुसपैठ की फिराक में हैं। जनवरी 2020 में एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया था कि भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने देश के सशस्त्र बलों को एक नई चेतावनी जारी की है, कि ISI रोहिंग्याओं को ट्रेनिंग दे रही है। यह ट्रेनिंग अलकायदा से जुड़े बांग्लादेशी आतंकवादी संगठन जमात-उल मुजाहिदीन ऑफ बांग्लादेश (JMB) के माध्यम से दी जा रही है।
डिफेंस एक्सपर्ट जेएस सोढ़ी के अनुसार, बांग्लादेश की आजादी के बाद से देश में 11 आम चुनाव हुए हैं, जिसमें सिर्फ 4 ही निष्पक्ष रहे हैं। खुद हसीना पर ऐसे आरोप लगते रहे हैं। अमेरिका ने यहां तक कह दिया था कि बांग्लादेश में जनवरी में हुए चुनाव निष्पक्ष नहीं थे। हसीना ने कुछ महीने पहले यह दावा किया था कि उनकी सरकार गिराने की साजिश रची जा रही है। वहीं, इस साल मई में शेख हसीना ने अमेरिका पर संकेतों में आरोप लगाया था कि अगर मैं किसी खास देश को बांग्लादेश में हवाई अड्डा बनाने की अनुमति देती तो इस तरह की साजिशें नहीं रची जाती।