अगर वर्तमान की बात करें तो वर्तमान में बंगाल में बहुत सारे रेप होते जा रहे हैं! कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में जूनियर डॉक्टर से रेप के बाद हत्या मामले ने देश के लोगों का गुस्सा बढ़ा दिया है। देशभर के डॉक्टर सड़क पर उतर कर इंसाफ की मांग कर रहे हैं। उधर इस वक्त बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर विपक्षी दलों के अलावा आम जनता का दवाब भी पड़ रहा है। प्रदेश की मुख्यमंत्री होने के बावजूद ममता असहाय क्यों हैं? ममता बनर्जी प्रदेश की कानून व्यवस्था को दुरुस्त करने की जगह कोलकाता में महिला डॉक्टर के लिए न्याय की मांग को लेकर मार्च करती हैं। जिसके चलते विपक्षी पार्टियां उन पर तीखे हमले कर रही हैं। ऐसा नहीं है कि बंगाल में पहली बार रेप-मर्डर को लेकर इतना बड़ा हंगामा मचा हो। इसके पहले भी महिलाओं के खिलाफ हिंसा के मामले में राज्य की राजनीति में बवाल मच चुका है। लेकिन कोलकाता रेप-मर्डर केस ने बनर्जी और उनके कार्यकाल में महिलाओं के खिलाफ अपराधों को लेकर उनकी प्रतिक्रियाओं पर एक बार फिर से सवाल खड़े कर दिए हैं। 2012 में पार्क स्ट्रीट रेप मामले को ‘मनगढ़ंत’ कहने से लेकर 2024 में आरजी कर मेडिकल कॉलेज रेप-मर्डर केस में विरोध प्रदर्शनों पर सवाल उठाने तक, बनर्जी का रवैया हमेशा आलोचनाओं के घेरे में रहा है।
प्रकाशित एक लेख ने ममता बनर्जी के शासनकाल में रेप के कई मामलों और महिलाओं के खिलाफ अपराधों को लेकर उनकी विवादास्पद प्रतिक्रियाओं की पड़ताल की। लेख में 2012 के पार्क स्ट्रीट बलात्कार मामले की जांच करने वाली आईपीएस अधिकारी दमयंती सेन का उदाहरण दिया गया है, जिन्हें मामले को सुलझाने के बाद तबादले का सामना करना पड़ा था। लेख में 2013 के कमदुनी सामूहिक बलात्कार मामले को भी हाई लाइटेड किया गया है, जहां बनर्जी ने प्रदर्शनकारी महिलाओं पर ही सवाल उठाए थे।
अप्रैल 2012 में आईपीएस दमयंती सेन को अचानक तबादले का आदेश दिया गया। सेन ने बंगाल के पार्क स्ट्रीट बलात्कार मामले को सुलझाकर कोलकाता मीडिया में सनसनी मचा दी थी। इसके लिए उन्हें सराहना मिल रही थी। लेकिन इसके बाद उन्हें जॉइंट कमिश्नर ऑफ पुलिस (क्राइम), कोलकाता पुलिस के पद से हटाकर डीआईजी (ट्रेनिंग) के रूप में बैरकपुर पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज भेज दिया गया। उनकी गलती क्या थी? उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के दावों पर सवाल उठाने की हिम्मत की थी। इंडिया टुडे में छपे लेख के मुताबिक, ममता बनर्जी ने इस बलात्कार मामले को ‘मनगढ़ंत घटना’ बताते हुए इसे ‘अपनी नई सरकार को बदनाम करने की साजिश’ करार दिया था। यह घटना उस समय घटी जब ममता बनर्जी को सत्ता में आए एक साल से भी कम समय हुआ था। उनके इस बयान के बाद सेन ने मामले की जांच जारी रखी और सच्चाई सामने लाई। इससे नाराज होकर बनर्जी ने सेन का तबादला कर दिया।
लेख ने ममता बनर्जी सरकार के कार्यकाल में हुए कई दुष्कर्म और हत्या के मामलों को याद दिलाया गया है। हंसखली में हुए एक दुष्कर्म को उन्होंने ‘प्रेम प्रसंग’ बताकर खारिज कर दिया था। कामदुनी में प्रदर्शनकारियों को ‘CPI(M) समर्थक’ कहा था और महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर सवाल उठाने वालों को ‘माओवादी’ (2012) करार दिया था। मई-जून 2021 में, जब पूरे बंगाल में पुलिस थानों में बलात्कार की शिकायतें दबाई जा रही थीं, तब भी ममता बनर्जी की चुप्पी ने सबको चौंका दिया था। एक बार फिर कोलकाता एक और दुष्कर्म और हत्या के मामले से जूझ रहा है। प्रदर्शनकारी न्याय की गुहार लगा रहे हैं। ऐसे में ममता बनर्जी का विरोध प्रदर्शनों का विरोध करना कई सवाल खड़े करता है।
2013 के कमदुनी सामूहिक बलात्कार मामले का भी जिक्र किया गया है। जब बनर्जी घटना के 10 दिन बाद कमदुनी गईं, तो उन्हें गुस्साई महिलाओं की भीड़ का सामना करना पड़ा था। उनमें से एक ने उन पर चिल्लाते हुए कहा था, ‘क्या आप अपना चेहरा दिखाने यहां आई हैं?’ यह घटना ममता के पंचायत चुनाव प्रचार से कुछ दिन पहले की है। बता दें कि ममता बनर्जी ने इस बलात्कार मामले को ‘मनगढ़ंत घटना’ बताते हुए इसे ‘अपनी नई सरकार को बदनाम करने की साजिश’ करार दिया था। यह घटना उस समय घटी जब ममता बनर्जी को सत्ता में आए एक साल से भी कम समय हुआ था। ममता ने एक बार फिर अपनी सरकार के खिलाफ साजिश को भांप लिया था। ममता ने कहा था, ‘यहां के लोग माकपा समर्थक हैं। मुझे यह कहते हुए दुख हो रहा है कि माकपा राजनीति कर रही है। गिरफ्तार किए गए सभी गुंडेमाकपा समर्थक थे।’