आखिर जम्मू कश्मीर के लिए बीजेपी का क्या है नया फार्मूला?

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आज हम आपको बताएंगे कि जम्मू कश्मीर के लिए बीजेपी का नया फार्मूला क्या है! विधानसभा चुनाव के ऐलान के बाद भारतीय जनता पार्टी ने केंद्रशासित प्रदेश में सरकार बनाने की तगड़ी रणनीति बनाई है। बीजेपी इस चुनाव में किसी भी राजनीतिक दल से गठबंधन नहीं करेगी। पार्टी की नजर जम्मू की 43 विधानसभा सीटों पर टिकी हैं। बीजेपी को उम्मीद है कि जम्मू रीजन से उसे करीब 35-37 सीटें मिल सकती हैं। बता दें कि जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा खत्म हो गया। नए केंद्रशासित प्रदेश में नए सिरे से विधानसभा का परिसीमन हुआ। पहले जम्मू-कश्मीर में लद्दाख की चार सीटों के साथ 111 विधानसभा सीटें थी, मगर चुनाव 87 विधानसभा सीटों के लिए होती थीं। 24 सीटें पीओके का हिस्सा थी। बहुमत के लिए कश्मीर रीजन से जीतने वाले 8-10 निर्दलीय विधायकों पर दांव लगाएगी। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों के लिए ऐसे चेहरों को मौका देगी, जिनकी उम्र 40 साल से कम होगी। कश्मीर के लिए बीजेपी ने दूसरे दलों के अल्पसंख्यक नेताओं पर नजरें टिका दी हैं। रविवार को पीडीपी नेता और महबूबा मुफ्ती की सरकार में मंत्री रहे चौधरी जुल्फिकार अली पार्टी बीजेपी में शामिल हो गए। जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव के लिए तारीखों का ऐलान होते ही राजनीति सरगर्मी बढ़ गई है। केंद्रशासित प्रदेश में 18 सितंबर, 25 सितंबर और 1 अक्टूबर को वोट डाले जाएंगे। 4 अक्टूबर को तय हो जाएगा कि 10 साल बाद हो रहे चुनाव के बाद किसकी सरकार बनेगी। इस बीच बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष रविंदर रैना ने कहा कि पार्टी इस विधानसभा चुनाव में किसी पार्टी से गठबंधन नहीं करेगी। कश्मीर घाटी में पार्टी 8-10 निर्दलीय उम्मीदवारों से बात कर रही है। उन्होंने कहा कि राज्य की पार्टी अपने दम पर कैंडिडेट उतारेगी और सरकार बनाएगी। रविवार को केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी, उधमपुर के सांसद जितेंद्र सिंह और भाजपा महासचिव तरुण चुग ने जम्मू में पार्टी नेताओं के साथ चुनावों की रणनीति पर चर्चा की।

राज्य प्रभारी तरुण चुग ने बताया कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में बहुत कुछ बदला है। गुज्जर बकरवाल, अनुसूचित जाति, पश्चिमी पाकिस्तान के शरणार्थी और महिलाओं को लंबे समय बाद उनका हक मिला है। एम्स और रेलवे की कई परियोजनाओं ने जम्मू-कश्मीर की तस्वीर बदल दी है। इसका फायदा पार्टी को विधानसभा चुनाव में जरूर मिलेगा। जम्मू-कश्मीर में 10 साल बाद विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। 2014 के चुनाव में महबूबा मुफ्ती की पार्टी को 28 सीटें मिली थीं। बीजेपी को जम्मू क्षेत्र में 25 सीटें मिली थीं। नेशनल कॉन्फ्रेंस के हिस्से में 15 आई और कांग्रेस को 12 सीटों पर सफलता मिली थी। फिर पहली बार बीजेपी-पीडीपी ने मिलकर जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाई। हालांकि यह बेमेल गठबंधन का दौर नवंबर 2018 में खत्म हो गया और राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया।

नियम के मुताबिक राज्य में 6 महीने के अंदर चुनाव होने थे। 2019 में नरेंद्र मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को समाप्त कर दिया और लद्दाख को अलग केंद्र शासित राज्य बना दिया। जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा खत्म हो गया। नए केंद्रशासित प्रदेश में नए सिरे से विधानसभा का परिसीमन हुआ। पहले जम्मू-कश्मीर में लद्दाख की चार सीटों के साथ 111 विधानसभा सीटें थी, मगर चुनाव 87 विधानसभा सीटों के लिए होती थीं। 24 सीटें पीओके का हिस्सा थी।

परिसीमन के बाद केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में 114 विधानसभा सीटें हैं। बता दें कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों के लिए ऐसे चेहरों को मौका देगी, जिनकी उम्र 40 साल से कम होगी। कश्मीर के लिए बीजेपी ने दूसरे दलों के अल्पसंख्यक नेताओं पर नजरें टिका दी हैं। रविवार को पीडीपी नेता और महबूबा मुफ्ती की सरकार में मंत्री रहे चौधरी जुल्फिकार अली पार्टी बीजेपी में शामिल हो गए। आज भी 24 सीटें पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) के लिए रिजर्व हैं। इसी बीच राज्य प्रभारी तरुण चुग ने बताया कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में बहुत कुछ बदला है। गुज्जर बकरवाल, अनुसूचित जाति, पश्चिमी पाकिस्तान के शरणार्थी और महिलाओं को लंबे समय बाद उनका हक मिला है। एम्स और रेलवे की कई परियोजनाओं ने जम्मू-कश्मीर की तस्वीर बदल दी है। जम्मू-कश्मीर में 10 साल बाद विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। 2014 के चुनाव में महबूबा मुफ्ती की पार्टी को 28 सीटें मिली थीं। बीजेपी को जम्मू क्षेत्र में 25 सीटें मिली थीं। नेशनल कॉन्फ्रेंस के हिस्से में 15 आई और कांग्रेस को 12 सीटों पर सफलता मिली थी।बाकी बची 90 सीटों में से 43 जम्मू और 47 कश्मीर में हैं। चार अक्तूबर को चुनावों के परिणाम घोषित किए जाएंगे।