आज हम आपको यूपी के सीएम योगी का नया धर्मांतरण विरोधी कानून के बारे में बताने जा रहे हैं! बता दे कि हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार यानी योगी सरकार के द्वारा नया धर्मांतरण विरोधी कानून लागू कर दिया गया है! इसके तहत अब नियम और भी सख्त हो चुके हैं और जो पहले 10 साल की सजा हुआ करती थी, उसे ताउम्र सजा में परिवर्तित कर दिया गया है!
आपको बता दें कि यूपी में मंगलवार को धर्मांतरण कानून में बड़ा बदलाव हुआ। इस बदलाव से गैरकानूनी धर्मांतरण के मामले में सजा और जुर्माना दोनों बढ़ा दिए गए हैं। 2021 में पारित कानून में अधिकतम सजा 10 साल थी लेकिन संशोधन के बाद अब धर्मांतरण के दोषियों को ताउम्र जेल की सजा हो सकती है। इस तरह योगी सरकार का कानून देश में धर्मांतरण-विरोधी सबसे सख्त कानून बन चुका है। अब अगर कोई व्यक्ति विदेशी या गैरकानूनी संस्थाओं से जुड़कर धर्मांतरण कराता है तो उसे 10 लाख रुपये तक का जुर्माना और 14 साल तक की जेल हो सकती है। इसके अलावा, SC/ST समुदाय की नाबालिग लड़कियों या महिलाओं का धर्मांतरण कराने पर 20 साल से लेकर ताउम्र कैद तक की सजा का प्रावधान है। दोषी पाए जाने पर आरोपी को पीड़ित को मुआवजा भी देना होगा। सभी अपराध अब गैर-जमानती होंगे, और पीड़ित से जुड़ा कोई भी व्यक्ति शिकायत दर्ज करा सकता है।
संशोधित कानून में दो प्रावधान सबसे अहम हैं। पहला, अगर दोषी व्यक्ति ‘विदेशी’ या ‘गैरकानूनी’ एजेंसियों से जुड़ा हुआ पाया जाता है तो उसे 10 लाख रुपये का जुर्माना और 14 साल तक की कैद हो सकती है। दूसरा, किसी व्यक्ति को बहला-फुसलाकर या उकसाकर गैरकानूनी धर्मांतरण कराने पर 20 साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है। यह प्रावधान खास तौर पर SC/ST समुदाय की नाबालिग लड़कियों या महिलाओं के गैरकानूनी धर्मांतरण के मामलों पर लागू होगा। दोषी व्यक्तियों को अवैध धर्मांतरण का शिकार हुए लोगों को मुआवजा भी देना होगा। 2021 में पारित अधिनियम में गैरकानूनी धर्मांतरण के लिए अधिकतम 10 साल की सजा का प्रावधान था।
संशोधित कानून के तहत, ‘पीड़ित से जुड़ा कोई भी व्यक्ति’ गैरकानूनी धर्मांतरण की शिकायत दर्ज करा सकता है। पहले के कानून में धर्मांतरित व्यक्ति या उसके माता-पिता, भाई-बहन या करीबी रिश्तेदार को ही शिकायत दर्ज करानी होती थी। इसके अलावा, संशोधित कानून के तहत सभी अपराधों को ‘गैर-जमानती’ बना दिया गया है। संशोधन में यह भी कहा गया है कि ऐसे मामलों की सुनवाई सत्र न्यायालय से कम रैंक का कोई भी न्यायालय नहीं करेगा। साथ ही, सरकारी वकील को सुने बिना किसी भी जमानत याचिका पर विचार नहीं किया जाएगा।
नवंबर 2020 में जबरन धर्मांतरण पर रोक लगाने के लिए एक अध्यादेश जारी किया गया था। बाद में, उत्तर प्रदेश विधानसभा के दोनों सदनों द्वारा विधेयक पारित किए जाने के बाद, उत्तर प्रदेश गैरकानूनी धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम, 2021 लागू हुआ। मंगलवार को, यूपी विधानसभा ने 2021 के कानून को और सख्त बनाने के लिए उत्तर प्रदेश गैरकानूनी धर्म परिवर्तन प्रतिषेध (संशोधन) विधेयक, 2024 पारित किया।
धर्मांतरण विरोधी कानून भारत में एक बहस का विषय हैं। कुछ लोगों का मानना है कि देश की सांस्कृतिक और सामाजिक एकता के लिए ये कानून जरूरी हैं। वहीं, दूसरों का कहना है कि ये कानून अल्पसंख्यकों के शोषण का जरिया हैं और धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार का हनन करते हैं। बता दें कि लोकसभा चुनाव 2024 में मिले वोटों के आधार पर तो ऐसे गुणा-भाग कई जगह किये जा रहे थे, लेकिन खुद योगी आदित्यनाथ की तरफ से कहा जाना बड़ी बात है. ये तो साफ शब्दों में चेतावनी है, इस सलाहियत के साथ कि चीजों को कोई हल्के में लेने की कोशिश हुई तो लेने के देने पड़ सकते हैं.
और ब्रह्मास्त्र तो वो कानून है जिसमें लव-जिहाद के खिलाफ पहले के मुकाबले ज्यादा ही सख्त सजा के प्रावधान किये गये हैं. शादी के लिए जबरन धर्मांतरण के खिलाफ योगी आदित्यनाथ ने लव-जिहाद के नाम से मुहिम शुरू की थी, जिसकी बदौलत वो मौजूदा मुकाम तक पहु्ंचे हैं – और जब उस जगह पर खतरा मंडरा रहा है तो फिर से उसी मुहिम को और भी सख्त तरीके से आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं . सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि धर्मांतरण विरोधी कानून संवैधानिक हैं, बशर्ते कि वे किसी व्यक्ति के धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार में हस्तक्षेप न करते हों। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने तो हाल में ये टिप्पणी की थी कि अगर धर्मांतरण पर लगाम नहीं लगी तो बहुसंख्यक हिंदू अल्पसंख्यक हो जाएगा। खैर, यह है योगी सरकार का नया धर्मांतरण विरोधी कानून और उसके नियम!