Thursday, September 19, 2024
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आखिर कैसी है भारतीय SIG 716i राइफल की ताकत?

आज हम आपको भारतीय SIG 716i राइफल की ताकत बताने जा रहे हैं! मई से जुलाई, 1999 तक चलने वाले कारगिल युद्ध के दौरान की बात है, जब भारतीय सैनिक भीषण ठंड में पाकिस्तानी फौजों को ताबड़तोड़ जवाब दे रहे थे। उस वक्त स्वदेशी बने INSAS राइफलों में अक्सर मैगजीन के फटने, जाम होने, गोलीबारी के दौरान तेल के रिसाव जैसी समस्याओं के कारण सैनिकों का कॉन्फिडेंस डगमगा जाता था। तब सरकार ने विदेश में बने मारक और सैनिकों की भरोसेमंद राइफलें मंगाने का सिलसिला शुरू किया। इसमें मेड इन इंडिया के साथ-साथ विदेशों में बनी घातक राइफलें आयात करने का फैसला किया गया। इसी कड़ी में भारत ने हाल ही में अमेरिका से 73,000 SIG 716i असॉल्ट राइफलों की खरीद का सौदा किया। ये राइफलें सेना के लिए पहले से खरीदी गईं ऐसी 72, 400 बंदूकों के जखीरे में शामिल होंगी। इसी के साथ इंडियन आर्मी के पास कुल 1,45,400 राइफलें हो जाएंगी। आइए-समझते हैं कि ये समझौता कितना जरूरी था और इन राइफलों की खासियत क्या है? डिफेंस एंड स्ट्रैटेजिक एनालिस्ट लेफ्टिनेंट कर्नल (रि.) जेएस सोढ़ी के अनुसार, SIG 716i असॉल्ट राइफलें दरअसल 7.62x51mm कैलिबर गन होती हैं, जिनकी मारने की क्षमता 600 मीटर तक होती है। यानी ये आधे किलोमीटर दूर से ही आतंकियों या घुसपैठियों को मार गिराएंगे। उनके करीब जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। ये राइफलें चीन और पाकिस्तान से लगी सीमाओं पर तैनात भारतीय सैनिकों को दी जाएगी। SIG 716i ऑटोमैटिक असॅाल्ट राइफल को अमेरिका में बनाया जाता है। इसका इस्तेमाल स्नाइपर हमले में भी किया जा सकता है। यानी इन राइफलों से लैकस हमारे सैनिक बेहतरीन शूटर बन सकेंगे। इस राइफल का निशाना 100 फीसदी सटीक है यानी आतंकियों के घायल होने या भागने की कोई गुंजाइश नहीं बचेगी।

यह एक गैस ऑपरेटेड रोटेटिंग बोल्ट सिस्टम वाली राइफल है। इसके अंदर 7.62x51mm NATO ग्रेड की गोली डाली जाती है, जो बेहद घातक होती हैं। इसके एक मैगजीन में 20 गोलियां फिट की जा सकती हैं। इस असॉल्ट राइफल से एक मिनट में 700 राउंड तक की फायरिंग की जा सकती है। यानी 1 सेकेंड में औसतन 11 गोलियां ताबड़तोड़ चलती हैं, जिससे दुश्मन के हौसले पस्त हो जाते हैं। SIG 716i असॉल्ट राइफलों की मदद से 600 मीटर यानी 1970 फीट दूर बैठे दुश्मन को मारा जा सकता है क्योंकि इसके ऊपर एडजस्टेबल और रीयर ऑप्टिक्स लगाने की सुविधा होती है।

इस राइफल की लंबाई 34.39 इंच है और इसकी नली 15.98 इंच लंबी है। इसका वजन 3,820 ग्राम है। यानी यह बाकी राइफलों के मुकाबले काफी हल्की होती हैं, जिन्हें जंग या मुठभेड़ के दौरान लेकर दुश्मन का पीछा करने में आसानी होती है और सैनिक थकता भी नहीं है। ज्यादातर छोटे हथियारों में राइफल में कॉर्क साइड में लगा होता है, जिससे राइफल का बट आसानी से मुड़ता भी नहीं है। वहीं, SIG 716i असॉल्ट राइफलों में 6 ऐसे पॉइंट होते हैं, जहां से इसे जरूरत के मुताबिक एडजस्ट किया जा सकता है। ऐसे में यह आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन या सैन्य ऑपरेशनों में बेहद कारगर साबित होते हैं।

SIG 716i असॉल्ट राइफलों को अमेरिकी ऑर्म्स कंपनी ‘सिग सॉर’ बनाती है, जो दुनिया की सबसे बेहतरीन राइफलें बनाने के लिए जानी जाती है। SIG-716 को नियंत्रण रेखा(LOC), वास्तविक नियंत्रण रेखा(LAC) समेत आतंकियों और घुसपैठियों के खिलाफ ऑपरेशंस के लिए मुहैया कराया जाता है। भारतीय सेना आमतौर पर AK-47 और INSAS का इस्तेमाल करती आई है। दिक्कत ये थी कि कश्‍मीर में आतंकवादी पहले से ही AK-47 का इस्‍तेमाल करते रहे हैं जिसकी रेंज 300 मीटर होती है। यानी दोनों तरफ से बराबर रेंज वाली राइफलों का इस्‍तेमाल होता था। इससे आतंकियों का सफाया करने के लिए सैनिकों को उनके पास तक जाना पड़ता था, इससे बेवजह खून बहता था। ऐसे में इंडियन आर्मी को SIG 716i असॉल्ट राइफलों की जरूरत थी।

डिफेंस एंड स्ट्रैटेजिक एनालिस्ट लेफ्टिनेंट कर्नल (रि.) जेएस सोढ़ी कहते हैं कि INSAS की रेंज भले ही 400 मीटर हो, मगर इसका पूरी तरह भरोसा नहीं किया जा सकता था। उसकी 5.56mm कैलिबर वाली गोली से दुश्‍मन घायल होता था। उसकी मौत काफी क्‍लोज रेंज से फायर करने पर ही होती है। नतीजा ये होता था कि कई गोलियां लगने के बावजूद आतंकी मुकाबला करते रहते थे। अमेरिकी सेना ने तालिबान के खिलाफ भी यही मुश्किल झेली थी। इसके बाद ही अचूक और मारक हथियार SIG 716i असॉल्ट राइफलों का विकास शुरू हुआ। इसके बाद अमेरिका ने इन राइफलों का इस्तेमाल तालिबानियों के खिलाफ भी किया।

SIG 716i असॉल्ट राइफलें इंसास की तुलना में अधिक सटीक और घातक हैं क्योंकि इसकी क्षमता 5.56 मिमी कैलिबर के मुकाबले 7.62 मिमी अधिक है। INSAS की तुलना में छोटी बैरल के साथ यह रूम इंटरवेंशन ऑपरेशन और शहरी इलाकों में किसी ऑपरेशन को अंजाम देने में भी बेहद कारगर हैं। क्योंकि इससे निशाने के अलावा दूसरे नुकसान होने की गुंजाइश बेहद कम है। इसके और भी चार वैरिएंट हैं- SIG 716 CQB,SIG 716 कार्बिन, SIG-716 पेट्रोल राइफल, सिग-716 प्रेसिशन मार्क्समैन।

डिफेंस एंड स्ट्रैटेजिक एनालिस्ट लेफ्टिनेंट कर्नल (रि.) जेएस सोढ़ी के अनुसार, अमेरिकी सेनाओं के 2021 में अफगानिस्तान से जाने के बाद उनके हथियार पाकिस्तानी आतंकियों तक पहुंच गए। इनमें एम-4 कार्बाइन असॉल्ट राइफल और कंधे पर रखकर दागे जाने वाले हथियार भी शामिल हैं। ऐसे में SIG 716i असॉल्ट राइफलें आर्मी के लिए बेहद जरूरी हैं। इन हथियारों से आतंकियों का मुकाबला किया जा सकता है।

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