हाल ही में कांग्रेस की हार के बाद आम आदमी पार्टी नेता राघव चड्ढा ने एक बड़ा बयान दे दिया है! हरियाणा चुनाव में बीजेपी ने जीत की हैट्रिक लगाई है। एग्जिट पोल के उत्साहित कांग्रेस के हाथ तीसरी बार भी हार लगी। इस बीच इंडिया गठबंधन के सहयोगी दल भी कांग्रेस के खिलाफ जुबानी हमला बोल रहे हैं। हरियाणा चुनाव में भले ही आम आदमी पार्टी का खाता नहीं खुला हो, लेकिन वो भी कांग्रेस पर तंज कसने में पीछे नहीं है। पहले पार्टी सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस पर निशाना साधा, तो अब राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली हार पर शायराना अंदाज में तंज कसा। आप सांसद राघव चड्ढा ने एक्स पर लिखा, “हमारी आरज़ू की फिक्र करते तो कुछ और बात होती, हमारी हसरत का ख्याल रखते तो एक अलग शाम होती, आज वो भी पछता रहा होगा मेरा साथ छोड़कर, अगर साथ-साथ चलते तो कुछ और बात होती।” उन्होंने इशारों में इशारों में यह कहने की कोशिश की है कि अगर हरियाणा में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने गठबंधन कर चुनाव लड़ा होता, तो आज हम जीत का परचम लहरा चुके होते, मगर अफसोस ऐसा नहीं हो सका। इससे पहले आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल ने इशारों इशारों में कांग्रेस पर तंज कसा था। उन्होंने कहा था कि इस चुनाव से सबसे बड़ी सीख ये है कि किसी को अति आत्मविश्वासी नहीं होना चाहिए।
बता दें कि हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच गठबंधन होने की चर्चा जोरों पर थी। इस संबंध में कई बैठकें भी हुईं, लेकिन वह सार्थक नहीं हो सकी। इसके बाद दोनों पार्टियों ने अपनी राहें जुदा करते हुए अकेले ही चुनाव लड़ने का फैसला किया, जिसका नतीजा यह हुआ कि न ही कांग्रेस हरियाणा चुनाव में कुछ खास कर सकी और आम आदमी पार्टी की दुर्गति का अंदाजा महज इसी से लगाया जा सकता है कि यह पार्टी राज्य में अपना खाता भी नहीं खोल सकी।
इससे पहले हरियाणा इकाई के प्रदेश अध्यक्ष सुशील कुमार गुप्ता ने कहा, “अगर दोनों ही पार्टियों ने गठबंधन कर चुनाव लड़ा होता, तो आज हम 70 से ज्यादा सीटों पर जीत का परचम लहरा चुके होते।” उन्होंने कहा, “जब राष्ट्रीय स्तर पर हमने (आम आदमी पार्टी) कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था, तो भारतीय जनता पार्टी को बैसाखियों पर ला दिया था। इसी तरह मुझे पूरा विश्वास है कि अगर हमने हरियाणा विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस के साथ गठबंधन किया होता, तो हम निश्चित तौर पर 70 से ज्यादा सीटों पर जीत दर्ज करने में सफल रहते।”
बता दे कि कांग्रेस को हरियाणा चुनाव में जोर का झटका लगा है। 5 अक्टूबर को वोटिंग के बाद आए लगभग सभी एग्जिट पोल में पार्टी की जबरदस्त जीत का दावा किया गया था। हालांकि, जब जनादेश सामने आया तो कांग्रेस की जीत के जश्न को लेकर हुई सारी तैयारी धरी की धरी रह गई। बीजेपी ने इस चुनाव में हैट्रिक लगाई और पार्टी अब तीसरी बार सरकार बनाने जा रही। कांग्रेस की बात करें चुनावी कैंपेन की शुरुआत तो पार्टी पूरे दमखम के साथ मैदान में उतरी। हालांकि, धीरे-धीरे पार्टी के अंदर का अंतर्कलह खुलकर लोगों के सामने आ गया। एक तरफ पार्टी के वरिष्ठ नेता और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का खेमा था तो दूसरी तरफ दलित नेता कांग्रेस सांसद कुमारी सैलजा थीं। हुड्डा और सैलजा के बीच का घमासान कहीं न कहीं पार्टी के खिलाफ गया। इस चुनाव से कांग्रेस को केवल हार ही नहीं मिली, उसे दो और मोर्चों पर झटका भी लगा है!
हरियाणा में चुनाव परिणाम आने से ठीक दो दिन पहले से ही दिल्ली में कुमारी सैलजा और भूपेंद्र सिंह हुड्डा दोनों डेरा डाले बैठे थे। दोनों में से कोई भी चुनाव नतीजों के साथ सीएम पद को लेकर अपनी दावेदारी ठोंकने में देर करने के मूड में नहीं था। हालांकि, हरियाणा की जनता ने जैसा फैसला सुनाया, उससे ये स्पष्ट हो गया कांग्रेस पार्टी अपनी गलतियों से हारी। पार्टी के अंदर की लड़ाई ने उसे पांच साल के लिए फिर सत्ता से दूर कर दिया। कांग्रेस पार्टी के भीतर जिसकी नाराजगी की चर्चा सबसे ज्यादा रही, वह हैं सांसद कुमारी सैलजा। जिनका खेमा अलग ही अंदाज में इस चुनाव के दौरान नजर आया।
कुमारी सैलजा खुद ही लंबे समय तक पार्टी के चुनाव प्रचार से दूर रहीं और शामिल हुईं भी तो एकदम बेमन से। जिसका परिणाम चुनाव नतीजों में साफ उभरकर आया। सैलजा का चुनाव प्रचार से दूर दूर रहना दलित मतों के विभाजन का कारण बना। हरियाणा चुनाव में टिकट बंटवारे के दौरान हुड्डा की जमकर चली। कुमारी सैलजा की बात को नहीं मानने से पार्टी के दलित वोट बैंक में नाराजगी दिख रही थी। इस चुनाव में दलित वोटों का कांग्रेस छिटकना पार्टी के लिए बड़ी चुनौती है। ऐसा इसलिए क्योंकि लोकसभा चुनाव में दलित वोट कांग्रेस के साथ आया था। अब जिस तरह से ये खेमा अलग अंदाज में नजर आया वो आने वाले चुनाव में पार्टी की मुश्किलें बढ़ा सकता है।
हरियाणा चुनाव के नतीजों पर शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने रिएक्ट किया। उन्होंने कहा कि मैं भाजपा को बधाई देती हूं क्योंकि इतनी सत्ता विरोधी लहर के बाद भी ऐसा लग रहा है कि हरियाणा में उनकी ही सरकार बना रही है। कांग्रेस पार्टी को अपनी रणनीति पर विचार करने की जरूरत है क्योंकि जहां भी बीजेपी से सीधी लड़ाई होती है, वहां कांग्रेस पार्टी कमजोर हो जाती है। एक तरह से प्रियंका चतुर्वेदी ने इशारों-इशारों में कांग्रेस को सीधा मैसेज देने की कोशिश की। हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव ऐसे मुद्दों पर लड़े जा रहे हैं जो हरियाणा से बिल्कुल अलग हैं। महाराष्ट्र भावनाओं के आधार पर वोट करेगा।
इंडिया गठबंधन में शामिल आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भी हरियाणा नतीजों पर कांग्रेस को इशारों-इशारों में तगड़ा पलटवार किया। उन्होंने कहा कि हरियाणा में चुनाव रिजल्ट का सबसे बड़ा सबक यही है कि किसी भी चुनाव में कभी भी अति आत्मविश्वासी नहीं होना चाहिए। किसी चुनाव को हल्के में नहीं लेना चाहिए। हर चुनाव और हर सीट मुश्किल होती है। केजरीवाल का ये बयान कहीं न कहीं कांग्रेस के पक्ष में दिखे माहौल और फिर नतीजों में लगे जोर झटके की ओर इशारा था। कुल मिलाकर ये कहा जा सकता है कि हरियाणा के नतीजे कांग्रेस के लिए सबक की तरह है। उन्हें नए सिरे से रणनीतिक प्लान तैयार करना होगा।