Wednesday, May 14, 2025
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आखिर क्या है डॉक्टर स्वामीनाथन का किसानी फार्मूला?

आज हम आपको डॉक्टर स्वामीनाथन का किसानी फार्मूला बताने जा रहे हैं! एक बार फिर से स्वामीनाथन आयोग की चर्चा जोरों पर है। पंजाब, हरियाणा और कुछ और राज्यों के किसान आंदोलन की राह पर हैं। वे दिल्ली पहुंच रहे हैं। हालांकि केंद्र सरकार और कुछ राज्य सरकारें पूरी तरह से मुस्तैद है कि किसान दिल्ली नहीं पहुंच पाए। आंदोलनरत किसानों की कई मांगे हैं। उनमें से प्रमुख मांग है ‘सी2+50% फॉर्मूला’ के आधार पर एमएसपी तय करना। आपको पता है कि क्या है यह फार्मूला? सरकार जो मुख्य फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य या एमएसपी तय करती है, उसकी सिफारिश कृषि लागत एवं मूल्य आयोग करता है। इसमें ए2 , ए2 प्लस एफएल और सी2 फार्मूला है। ए2 में किसी खास फसल में लगी किसान की लागत शामिल होती है। मतलब कि बीज, खाद, कीटनाशनक, जन-मजदूरों की मजदूरी, जमीन का किराया और मशीनरी और फ्यूल की लागत शामिल होती है। ए2प्लस एफएल में ए2 वाली सभी चीजें तो शामिल होती ही हैं, साथ ही खेत में परिवार के सदस्यों द्वारा मुफ्त में किए गए काम का मूल्य भी शामिल होता है। सी2 में ए2प्लस एफएल के साथ ही खुद की जमीन है तो भी उसका किराया और फिक्स्ड कैपिटल पर देय ब्याज आदि भी शामिल है।

अभी जो एमएसपी तय करने की प्रणाली है, उससे किसान खुश नहीं हैं। उनका कहना है कि इससे उनकी लागत भी नहीं निकल पाती है। इसलिए, किसानों की माली हालत सुधारने के लिए 18 नवंबर 2004 को केंद्र सरकार ने एक आयोग का गठन क‍िया था। यही आगे चलकर स्वामीनाथन आयोग के नाम से लोकप्र‍िय हो गया। आयोग ने दो साल में सरकार को पांच रिपोर्ट सौंपी थीं। उन रिपोर्टों में 201 स‍िफार‍िशें शामिल थीं।स्वामीनाथन कमीशन की र‍िपोर्ट को लागू करने का मसला जनहित याचिका के रूप में सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा है। उसके उत्तर में वर्तमान सरकार ने सुप्रीम कोर्ट ने यह कह द‍िया था क‍ि केंद्र के पास ज‍ितने व‍ित्तीय संसाधन उपलब्ध हैं, उससे सी-2 वाली बात पर अमल करना व्यवहार‍िक नहीं है। इसे लागू क‍िया नहीं जा सकता। इन सिफारिशों में सबसे चर्च‍ित स‍िफार‍िश न्यूनतम समर्थन मूल्य से संबंध‍ित थी। इसमें किसानों को फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य ‘सी2+50% फॉर्मूले’ पर तय करने को कहा गया था। मतलब कि सी2 की लागत तो मिले ही साथ ही उस पर 50 फीसदी अतिरिक्त राशि मिले जो कि खेती का मुनाफा कहलाए।

किसान चाहते हैं कि एमएसपी तय करने के लिए स्वामीनाथन आयोग का फार्मूला अमल में लाया जाए। दरसअल, किसान इसलिए भी उग्र हैं क्योंकि एमएसपी तय करने में स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश मानना वर्तमान सरकार का चुनावी वादा रहा है। साल 2018 में सरकार ने दावा भी कर द‍िया था क‍ि उसने स्वाम‍ीनाथन आयोग की स‍िफार‍िशों को लागू कर दिया है। लेकिन अभी भी इसका इंतजार हो रहा है। स्वामीनाथन कमीशन की र‍िपोर्ट को लागू करने का मसला जनहित याचिका के रूप में सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा है। उसके उत्तर में वर्तमान सरकार ने सुप्रीम कोर्ट ने यह कह द‍िया था क‍ि केंद्र के पास ज‍ितने व‍ित्तीय संसाधन उपलब्ध हैं, उससे सी-2 वाली बात पर अमल करना व्यवहार‍िक नहीं है। इसे लागू क‍िया नहीं जा सकता।

आयोग ने अपनी रिपोर्ट में भूमि सुधारों पर भी जोर दिया था। इस रिपोर्ट में भूमिहीनों को जमीन देने की बात कही गई थी। अन्य बातों के साथ-साथ यह भी सिफारिश की थी कि “जहां कहीं भी व्यवहार्य हो भूमिहीन कृषक परिवारों को प्रति परिवार न्यूनतम एक एकड़ भूमि उपलब्ध कराई जानी चाहिए। यह जमीन उन्हें घरेलू बगीचा, पशुपालन के लिए स्थान उपलब्ध कराएगी।” स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश थी कि कृषि को राज्यों की सूची के बजाय समवर्ती सूची में लाया जाए। इससे फायदा यह होगा कि केंद्र तथा राज्य दोनों सरकारें किसानों की मदद के लिए आगे आएंगी। बता दें कि किसी खास फसल में लगी किसान की लागत शामिल होती है। मतलब कि बीज, खाद, कीटनाशनक, जन-मजदूरों की मजदूरी, जमीन का किराया और मशीनरी और फ्यूल की लागत शामिल होती है। ए2प्लस एफएल में ए2 वाली सभी चीजें तो शामिल होती ही हैं, साथ ही खेत में परिवार के सदस्यों द्वारा मुफ्त में किए गए काम का मूल्य भी शामिल होता है। सी2 में ए2प्लस एफएल के साथ ही खुद की जमीन है तो भी उसका किराया और फिक्स्ड कैपिटल पर देय ब्याज आदि भी शामिल है। साथ ही दोनों सरकारों के बीच समन्वय बनाया जा सकेगा। आयोग ने किसानों के लिए कृषि जोखिम फंड बनाने की सिफारिश की थी, ताकि प्राकृतिक आपदाओं के आने पर किसानों को तुरंत मदद मिल सके।

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