ये सवाल उठना लाजमी है कि विपक्ष का पीएम उम्मीदवार आखिर कौन होगा! 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की अगुआई वाले एनडीए को चुनौती देने के लिए बना विपक्ष का I.N.D.I.A गठबंधन एक सवाल का जवाब ढूंढने में उलझ सा गया है। इस गुट में साथ आए सहयोगी भी अंदरखाने मान रहे हैं कि सीट शेयरिंग सबसे बड़ा मुद्दा है। कल दिल्ली में समन्वय समिति की बैठक में कई फैसले लिए गए लेकिन सीटों की बात आगे के लिए टाल दी गई। इस बीच, फारूक अब्दुल्ला ने एक फॉर्म्युला सुझाया है। उन्होंने कहा कि जिन सीटों पर पहले से ही I.N.D.I.A के घटक दलों का कब्जा है, उन पर बात न हो। मतलब वह सीट उसके पास ही रहने दिया जाए। इसके जरिए वह चाहते हैं कि सीट शेयरिंग पर चर्चा उन सीटों के लिए हो जो भाजपा या I.N.D.I.A से इतर दूसरे दलों के पास हैं। वैसे इससे भी बड़ा एक सवाल है जिस पर विपक्षी पार्टियां बात करने से कतराती हैं और वह है प्रधानमंत्री का उम्मीदवार कौन होगा? दो दर्जन से ज्यादा पार्टियां I.N.D.I.A के छाते में साथ आई हैं। भले ही ये न बोलें लेकिन दावेदार कई दिखते हैं। भाजपा इस बात पर तंज भी कसती है। कांग्रेस पार्टी लगातार राहुल गांधी को 2024 के लिए प्रोजेक्ट कर रही है। अध्यक्ष भले ही मल्लिकार्जुन खरगे हैं लेकिन कांग्रेस के ट्विटर हैंडल पर राहुल गांधी छाए हुए हैं। भारत जोड़ो यात्रा के समय से कांग्रेस भी ‘इमेज बिल्डिंग’ में तल्लीन दिख रही है। कांग्रेस का तर्क है कि भाजपा को शिकस्त देने के लिए वही ऐसी मुख्य विपक्षी पार्टी है जिसका पूरे देश में प्रभाव है। यहां वह सीटों नहीं बल्कि विरासत में मिली कांग्रेस की विचारधारा को आगे कर रही है। खैर, सवाल यह है क्षेत्रीय क्षत्रप कैसे मानेंगे। क्या दिल्ली और पंजाब में सीटें बांटने के लिए अरविंद केजरीवाल तैयार होंगे। क्या अखिलेश यादव को कांग्रेस यूपी में ज्यादा सीटें देगी?
पीएम पद को लेकर सभी पार्टियां चुनाव नतीजों का इंतजार करना चाहेंगी। उन्हें लग रहा है कि अभी सबकी महत्वाकांक्षाएं सामने आ जाएंगी, नतीजे जैसे रहेंगे उस हिसाब से फैसला लेने में आसानी होगी। खैर, पिछले 48 घंटों में जो बयान आए हैं उससे लगता है कि पीएम पद को लेकर कैसे विपक्षी गठबंधन उलझा हुआ है। कहा जा रहा है कि नीतीश नाराज हैं। वह इंडिया गठबंधन का संयोजक बनना चाहते हैं शायद उससे पीएम पोस्ट के लिए रास्ता खुल जाए। दूसरी बात, वह इस गठबंधन का नाम कुछ और रखना चाहते थे। हालांकि जेडीयू कह रही है कि ये बीजेपी के लोग भ्रम पैदा कर रहे हैं।
पहले JDU के अध्यक्ष ललन सिंह ने एक सभा में खुलेआम कहा कि नीतीश कुमार देश का नेतृत्व करने के लिए तैयार हैं। इसके बाद भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी ने कह दिया कि बिहार को छोड़ दीजिए, देश के कई राज्यों के लोग नीतीश कुमार को पीएम देखना चाहते हैं। वैसे, नीतीश कुमार से जब मीडिया पूछता है तो वह कहते हैं कि पद की कोई इच्छा नहीं है, लेकिन उनके नेता उन्हें पीएम उम्मीदवार बताकर इस मुद्दे को हवा दे रहे हैं। बिहार के मंत्री ने कहा कि अगर सर्वे कराया जाए तो ऐसे बहुत लोग मिलेंगे जो चाहते हैं कि नीतीश कुमार प्रधानमंत्री बनें। उन्होंने जोर देकर कहा कि नीतीश कुमार ने केंद्र और बिहार में सेवा दी है। बिहार में 17 साल सीएम रहे हैं। उनकी शुचिता पर कोई प्रश्न चिह्न नहीं लगा है और ना उनकी पारदर्शिता पर।
वीडियो सोशल मीडिया पर भी है। श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे बुधवार को दुबई में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मिले तो मुस्कुराते हुए पूछ लिया कि क्या वह विपक्षी दलों के गठबंधन का नेतृत्व करने जा रही हैं? दुबई हवाई अड्डे पर ममता भी इस सवाल से हैरान रह गईं। उन्होंने जवाब दिया, ‘अगर लोग हमारा समर्थन करते हैं, तो हम कल इस स्थिति सत्ता में हो सकते हैं।’ साफ है कि ममता के मन में भी पीएम बनने की तमन्ना है।
राहुल गांधी लगातार सोशल मीडिया के जरिए भाजपा पर निशाना साध रहे हैं। भारत जोड़ो यात्रा के बाद उनको लेकर लोगों का नजरिया थोड़ा बदलता दिखा है। उनकी लोकसभा सदस्यता गई और बाद में संसद में लौटे तो भाजपा पर आक्रामक रहे। इस समय वह वायनाड से सांसद है। कुछ हफ्ते पहले खबर आई थी कि राहुल गांधी अमेठी से लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत कहते हैं कि राहुल गांधी के साथ उनकी मोहब्बत की दुकान चल रही है। जब नेतृत्व का सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि खरगे जी कह चुके हैं कि सब लोग मिलकर चुनाव लड़ेंगे और 2024 में रिजल्ट आने के बाद बैठेंगे और चंद घंटों में तय कर लेंगे। क्या राहुल गठबंधन से पहले कांग्रेस के नेता यानी पीएम कैंडिडेट मान लिए जाएं? इसका भी सीधे-सीधे कांग्रेस के लोग जवाब देने से बचते हैं।