Thursday, May 16, 2024
HomeEnvironmentक्या प्रकृति में होने वाला है बड़ा बदलाव?

क्या प्रकृति में होने वाला है बड़ा बदलाव?

आने वाले समय में प्रकृति में बड़ा बदलाव हो सकता है! मोरक्को में पिछले हफ्ते आए विनाशकारी भूकंप ने तबाही मचाई। 6.8 तीव्रता वाले इस भूंकप की वजह से 2 हजार से ज्यादा लोगों की मौत की खबर है। वहीं लीबिया इन दिनों भीषण बाढ़ के प्रकोप को झेल रहा है। लीबिया में के डर्ना शहर में बाढ़ से मरने वालों की संख्या 6,000 हो गई है। मोरक्को और लीबिया ही नहीं बल्कि दुनिया के कई देश किसी न किसी प्राकृतिक आपदा को झेल रहे हैं। कहीं तापमान अनियमित रूप से बढ़ रहा है, तो कहीं बिना मौसम के बारिश हो रही है। भारत भी इन देशों में शामिल है। भारत के कई राज्यों में बारिश मुसीबत बनकर बरस रही है। हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश और बाढ़ की वजह से कई मकान और बिल्डिंग ध्वस्त हो चुकी हैं, वहीं 400 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। भारत समेत दुनियाभर में आ रही प्राकृतिक आपदाएं कहीं नेचर का कोई खतरनाक सिग्नेचर तो नहीं है। दुनियाभर में बदल रहे मौसम के ट्रेंड को समझने के लिए हम भारत में हो रहे बदलाव को ही देख सकते हैं। पिछले साल यानी 2022 से अब तक के मौसम को ही देखा जाए तो पाएंगे कि एक साल में ही कई अजीबोगरीब बदलाव हुए। इसी साल जून-जुलाई में दिल्ली समेत देशभर में भारी बारिश हुई। लेकिन अगस्त महीने में बारिश दिल्ली से नाराज हो गई। अगस्त में जहां सुहावना मौसम देखने को मिलता है, वहीं इस साल लोगों ने मई-जून जैसी गर्मी को झेला। ऐसा सिर्फ मॉनसून के साथ ही नहीं हुआ बल्कि सर्दियों में भी देखने को मिला। दिसंबर-जनवरी में कड़ाके की ठंड, दिल्ली में तापमान जीरो तक पहुंच गया।

सालभर में देशभर के मौसम के ट्रेंड में हुआ बदलाव मौसम एक्सपर्ट्स को भी अचंभे में डाल रहा है। मौसम विभाग को पूर्वानुमान करने में भी दिक्कत हो रही है। बदलते मौसम से वो देखने को मिल रहा है, जिसके बारे में कोई सोच भी नहीं सकता था। इस साल जून-जुलाई में पहाड़ों से लेकर मैदानी राज्यों में बारिश ने सारे रेकॉर्ड तोड़ दिए। बाढ़ की खबरें लगभग हर राज्य से सामने आईं। उत्तराखंड, हिमाचल, गुजरात, बिहार, यूपी कोई भी बाढ़ की मार से नहीं बच सका। हैरानी तो तब हुई जब देश की राजधानी दिल्ली में भयानक बाढ़ आ गई। यमुना नदी के जलस्तर से पुराने सारे रेकॉर्ड तोड़ दिए। दिल्ली की सड़कों से लेकर घरों तक बाढ़ का पानी पहुंच गया। एक और जहां दिल्ली को जी20 के लिए सजाया जा रहा था वहीं बाढ़ ने एक नई मुसीबत पैदा कर दी।

वहीं गुजरात में आए बिपरजॉय चक्रवात को भी कोई कैसे भूल सकता है। अरब सागर में उठे इस चक्रवात ने कितने बार अपनी दिशा बदली। शुरुआत में कहा जा रहा था कि ये पाकिस्तान के तट से टकराएगा लेकिन बाद में इसने दिशा बदली और गुजरात से टकराया। कई दिनों तक गुजरात और राजस्थान में रेड अलर्ट रहा। गुजरात में सैकड़ों पेड़ टूट गए, भारी बारिश हुई, करोड़ों का नुकसान हुआ। हालांकि सरकार और प्रशासन की सूझबूझ से कोई हताहत नहीं हुआ।

दिल्ली में आई बाढ़ और गुजरात में बिपरजॉय चक्रवात से तो निपट गए, लेकिन हिमाचल और उत्तराखंड में अभी भी तबाही जारी है। रोज कहीं न कहीं से भूस्खलन की खबरें सामने आ रही हैं। राज्य में बारिश की वजह से दो नेशनल हाईवे समेत 63 सड़कें अभी भी बंद हैं। भारी बारिश के कारण करीब 8679 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। वहीं 24 जून से 12 सितंबर तक 428 लोगों की मौत हो चुकी है।

मौसम के बदलते ट्रेंड के पीछे सबसे बड़ी वजह से जलवायु परिवर्तन। इस बदलती जलवायु का असर ग्लोबल वार्मिंग और मौसम के पैटर्न दोनों पर पड़ रहा है। आसान शब्दों में कहें तो जलवायु परिवर्तन की वजह से ग्लोबल वार्मिंग और मॉनसूनपाकिस्तान के तट से टकराएगा लेकिन बाद में इसने दिशा बदली और गुजरात से टकराया। कई दिनों तक गुजरात और राजस्थान में रेड अलर्ट रहा। गुजरात में सैकड़ों पेड़ टूट गए, भारी बारिश हुई, करोड़ों का नुकसान हुआ। हालांकि सरकार और प्रशासन की सूझबूझ से कोई हताहत नहीं हुआ। अस्थिर हो रहा है। यही वजह से दुनियाभर का तापमान तेजी से बढ़ रहा है। वहीं मौसम में अनियमितता देखने को मिल रही है। ठंडे देशों में अचानक से गर्मी शुरू हो गई है, तो रेगिस्तान में बाढ़ की घटनाएं सामने आ रही हैं। 1902 के बाद से मौसम की दूसरी सबसे बड़ी चरम घटनाएं इस साल यानी 2023 में देखी गई हैं। इन मौसमी घटनाओं के जरिए प्रकृति ये कहने की कोशिश कर रही है कि हमें पर्यावरण पर ध्यान देने की जरूरत है।

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments