Thursday, March 13, 2025
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आखिर भारत और पाकिस्तान के बीच क्यों हुई औपचारिक बातें?

यह सवाल उठना लाजिमी है कि हाल ही में भारत और पाकिस्तान के बीच औपचारिक बातें क्यों नहीं हो पाई! शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में हिस्‍सा लेने इस्‍लामाबाद पहुंचे भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर पाकिस्‍तान की यात्रा के बाद अब नई दिल्‍ली लौट गए हैं। जयशंकर ने अच्‍छे से स्‍वागत करने के लिए पाकिस्‍तान को धन्‍यवाद दिया है। पाकिस्‍तानी मीडिया ने एक वीडियो जारी करके दावा किया है कि भारत और पाकिस्‍तान के व‍िदेश मंत्रियों के बीच खाने की मेज पर अनौपचारिक बातचीत हुई है। भारत के किसी विदेश मंत्री की करीब 1 दशक के बाद यह पहली पाकिस्‍तान यात्रा थी। इस दौरे पर पाकिस्‍तान और भारत दोनों ने एक-दूसरे पर सीधा हमला बोलने से परहेज किया। पाकिस्‍तानी मीडिया के मुताबिक भारत ने साफ कर दिया था कि पाकिस्‍तानी पीएम जैसा बयान देंगे भारत का भी रुख वैसा ही रहेगा। बता दें कि पाकिस्‍तानी विश्‍लेषकों ने भी बिलावल की आलोचना की थी। एक पाकिस्‍तानी अध‍िकारी ने कहा, ‘दोनों देशों के रुख में यह बदलाव एक संकेत है और सकारात्‍मक घटनाक्रम है। हालांकि अभी हमें बहुत लंबा सफर तय करना होगा।’ शहबाज शरीफ और जयशंकर के बीच दूसरी बार हाथ मिलाने के दौरान भी गर्मजोशी दिखी। आखिरकार पाकिस्‍तानी पीएम को भारत के आगे झुकना पड़ा और अपने उद्घाटन भाषण में कोई भी तीखा बयान नहीं दिया। पाकिस्‍तानी अखबार एक्‍सप्रेस ट्रिब्‍यून की रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय विदेश मंत्री ने इस्‍लामाबाद आने से पहले साफ कर दिया था कि वह कोई भी द्विपक्षीय बातचीत नहीं करेंगे। इसके बाद जयशंकर और पाकिस्‍तानी डेप्‍युटी पीएम और विदेश मंत्री इशाक डार के बीच खाने की मेज पर बातचीत हुई। वहीं नवाज शरीफ ने एससीओ समिट शुरू होने से ठीक पहले एक इंटरव्‍यू में भारत से रिश्‍ते सुधारने की गुहार लगा दी। विश्‍लेषकों का कहना है कि नवाज शरीफ के अनुरोध और पाकिस्‍तानी पीएम शहबाज शरीफ के तीखे बयान नहीं देने के बाद यह अनौपचारिक बातचीत संभव हुई।

पाकिस्‍तानी अखबार ने कहा कि यह बातचीत भारत और पाकिस्‍तान के बीच रिश्‍ते में जमी बर्फ के पिघलने का यह पहला संकेत है। एक पाकिस्‍तान सरकार के सूत्र ने दावा किया कि शहबाज शरीफ ने जब कोई तीखा बयान नहीं दिया तो जयशंकर ने भी इससे परहेज किया। इससे पहले साल 2015 में भारतीय विदेश मंत्री ने पाकिस्तान का दौरा किया था। दिवंगत सुषमा स्वराज ने इस्लामाबाद में हार्ट ऑफ एशिया सम्मेलन में शिरकत की थी।शहबाज ने एससीओ चार्टर के मुताबिक भाषण दिया। हालांकि भारतीय विदेश मंत्री ने एक बार फिर से सीमापार आतंकवाद और संप्रभुता के मुद्दे पर चीन और पाकिस्‍तान दोनों को अप्रत्‍यक्ष तरीके से सुना दिया। अभी कुछ दिन पहले शहबाज शरीफ ने संयुक्‍त राष्‍ट्र के मंच से कश्‍मीर को लेकर काफी जहरीला बयान दिया था जिसका भारत ने करारा जवाब दिया था।

यही नहीं भारतीय विदेश मंत्री ने बिलावल भुट्टो से इतर जैसाकि वादा किया था, अपने पूरे दौरे में गरिमापूर्ण व्‍यवहार किया। इससे पहले जब पाकिस्‍तान के तत्‍कालीन विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो गोवा में एससीओ की बैठक में आए थे तब उन्‍होंने भारत के खिलाफ जहरीला बयान दिया था। भारत ने भी जोरदार पलटवार करते हुए आतंकिस्‍तान की पोल खोल दी थी। इसको लेकर पाकिस्‍तानी विश्‍लेषकों ने भी बिलावल की आलोचना की थी। एक पाकिस्‍तानी अध‍िकारी ने कहा, ‘दोनों देशों के रुख में यह बदलाव एक संकेत है और सकारात्‍मक घटनाक्रम है। हालांकि अभी हमें बहुत लंबा सफर तय करना होगा।’ शहबाज शरीफ और जयशंकर के बीच दूसरी बार हाथ मिलाने के दौरान भी गर्मजोशी दिखी।

जयशंकर ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और विदेश मंत्री इशाक डार का आभार जताया। उन्होंने एक दिवसीय दौरे के समापन के बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट करते हुए उनको धन्यवाद कहा। रावलपिंडी के नूर खान एयरबेस पर भारतीय वायुसेना के विमान में सवार होने के बाद विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अपने एक्स अकाउंट पर एक पोस्ट किया। उन्होंने लिखा, ‘इस्लामाबाद से प्रस्थान कर रहा हूं।

प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार तथा पाकिस्तान सरकार को आतिथ्य और शिष्टाचार के लिए धन्यवाद।’ पाकिस्‍तानी अखबार ने कहा कि यह बातचीत भारत और पाकिस्‍तान के बीच रिश्‍ते में जमी बर्फ के पिघलने का यह पहला संकेत है। एक पाकिस्‍तान सरकार के सूत्र ने दावा किया कि शहबाज शरीफ ने जब कोई तीखा बयान नहीं दिया तो जयशंकर ने भी इससे परहेज किया।इससे पहले साल 2015 में भारतीय विदेश मंत्री ने पाकिस्तान का दौरा किया था। दिवंगत सुषमा स्वराज ने इस्लामाबाद में हार्ट ऑफ एशिया सम्मेलन में शिरकत की थी।

 

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