आखिर आने वाले समय में रूस क्यों जा रहे हैं पीएम मोदी?

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Russia's President Vladimir Putin meets with Indian Prime Minister Narendra Modi on the sidelines of the BRICS summit in Kazan on October 22, 2024. (Photo by Alexander Zemlianichenko / POOL / AFP)

पीएम मोदी आने वाले समय में रूस के दौरे पर जाने वाले हैं! प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के निमंत्रण पर 22-23 अक्टूबर को रूस की यात्रा पर जा रहे हैं। ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की 16वीं बैठक रूस के कजान में आयोजित की जाएगी। खास बात है कि तीन महीने में ही पीएम मोदी की यह दूसरी रूस यात्रा है। पीएम मोदी जुलाई में ही दो दिन की रूस की यात्रा पर गए थे। प्रधानमंत्री मोदी रूस की अपनी यात्रा के दौरान ब्रिक्स के सदस्य देशों के अपने समकक्षों और कजान में आमंत्रित नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें भी कर सकते हैं। जानते हैं पीएम मोदी के इस दौरे की अहमियत क्या है? भारत और रूस के संबंधों ने अतीत में कई तूफानों का सामना किया है, उसके बाद भी दोनों देशों के बीच दोस्ती पहले से कहीं अधिक बेहतर और मजबूत हुई है। आर्थिक मोर्चे पर बात करें तो रूस दशकों से भारत का सबसे बड़ा हथियार का सप्लायर रहा है। यूक्रेन के साथ अपने सैन्य संघर्ष के बाद, भारत रियायती रूसी तेल के सबसे बड़े खरीदारों में से एक बना रहा, जिससे उसकी कमाई और रेवेन्यू में वृद्धि हुई। रूस और भारत के बीच व्यापार पिछले साल 66 प्रतिशत बढ़ा और 2024 की पहली तिमाही में इसमें 20 प्रतिशत की और वृद्धि हुई है।

रूस और भारत अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में करीबी सहयोग करते हैं जिसमें प्रमुख रूप से संयुक्त राष्ट्र जैसी वैश्विक संस्था तथा शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) और ब्रिक्स जैसे संगठन शामिल हैं। पिछले 75 सालों से दोनों देश के बीच बेहतर संबंध हैं। पीएम मोदी की यात्रा के दौरान दोनों देश मैन्युफैक्चरिंग, इकोनॉमी, कल्चरल एक्सचेंज को लेकर संबंधों की और मजबूत बनाने पर जोर देंगे। इसके अलावा जिओ पॉलिटिक्स पर भी चर्चा होने की उम्मीद है। भारत और रूस के बीच विशेष रणनीतिक साझेदारी पिछले 10 वर्षों में आगे बढ़ी है। इसमें एनर्जी, डिफेंस, व्यापार, निवेश, स्वास्थ्य, शिक्षा, संस्कृति, पर्यटन और लोगों के बीच आदान-प्रदान शामिल है।

पीएम मोदी इसी साल जुलाई में रूस की यात्रा पर गए थे। मोदी ने रूस में 22वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया था। यात्रा के दौरान दोनों देशों ने ऊर्जा, व्यापार, विनिर्माण तथा उर्वरक जैसे क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग और बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की थी। इसके साथ ही दोनों देशों ने राष्ट्रीय मुद्राओं का इस्तेमाल करने वाली द्विपक्षीय भुगतान प्रणाली को आगे बढ़ाने का फैसला लिया था। इसके अलावा रूसी सेना में काम कर रहे भारतीयों की वापसी की भारत की मांग पर भी सहमति जताई थी। इसके अलावा यात्रा के दौरान पीएम मोदी को रूस के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू द एपोसल’ से सम्मानित किया गया था। पीएम की यात्रा के दौरान मॉस्कों में ओस्तांकिनो टेलीविजन टॉवर भारत और रूस के झंडों के रंगों की रोशनी से जगमगा उठा था।

रूस के प्रथम उप प्रधानमंत्री डेनिस मांतुरोव ने पीएम मोदी की एयरपोर्ट से अगुवाई की थी। राष्ट्रपति पुतिन के ठीक नीचे रूस के सर्वोच्च पदस्थ लीडर द्वारा भारतीय प्रधानमंत्री का रेड-कार्पेट वेलकम का यह भाव ने इस बात का स्पष्ट संदेश दिया था कि रूस भारत के साथ अपने संबंधों को कितना महत्व देता है। जुलाई में पीएम मोदी की यात्रा 2019 के बाद से पहली रूस यात्रा थी। फरवरी 2022 में यूक्रेन संघर्ष शुरू होने के बाद जुलाई में पहली बार मोदी रूस की यात्रा थी।

रूस के सामने आर्थिक और सामरिक चुनौतियां होने के बावजूद भारत के लिए इसकी अहमियत कम नहीं हुई है। एससीओ में रूस की अपेक्षाकृत कमजोर स्थिति ने भारत के साथ रूस के संबंधों को प्रभावित नहीं किया है। भारत को डिफेंस इक्यूपमेंट और एनर्जी का प्रमुख सप्लायर बने रहने के साथ-साथ रूस कनेक्टिविटी परियोजनाओं पर भी भारत के साथ सहयोग कर रहा है। भारत और रूस अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (INSTC) के विकास में शामिल हैं। यह परियोजना भारत को मध्य एशिया और यूरेशिया तक पहुंचने में सक्षम बनाएगी। INSTC को चाबहार बंदरगाह परियोजना से भी जोड़ा जा रहा है, जो भूमि से घिरे मध्य एशियाई देशों के साथ भारत की कनेक्टिविटी को बढ़ाएगा।

मोदी की मॉस्को यात्रा पिछले दो वर्षों में चुनौतियों का सामना करने के बावजूद भारत-रूस संबंधों में स्थिरता को रेखांकित करती है। रूस-यूक्रेन युद्ध ने भारत-रूस संबंधों की परीक्षा ली थी। इसकी वजह थी कि पश्चिमी देशों, विशेष रूप से (अमेरिका) ने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से भारत पर रूस के साथ अपने संबंधों को सीमित करने के लिए दबाव डाला था। हालांकि, भारत ने पश्चिम के साथ-साथ रूस के साथ अपने संबंधों को सफलतापूर्वक संतुलित किया है।

संघर्ष से ग्रस्त दुनिया में भारत की फुर्तीली कूटनीति भविष्य में शांति की पहल करने में एक प्रमुख कारक बन सकती है। पश्चिम के साथ लगातार टकराव ने रूस को चीन के पाले में धकेल दिया है। रूस के साथ भारत के जुड़ाव से रूस को अलग-थलग होने से रोका जा सकेगा और बदले में चीन पर उसकी निर्भरता कम होगी। तेजी से बदल रहे वैश्विक परिदृश्य में भारत के साथ अपने संबंधों में कितना महत्व देता है और उसमें विश्वास रखता है। भारत ने हाल ही में पश्चिमी शक्तियों के साथ अपने रक्षा संबंधों में विविधता लाई है, ऐसे में यह भी उम्मीद है कि वह हथियारों के आयात के लिए एक देश पर निर्भर नहीं रहेगा।