आज हम आपको बताएंगे कि पीएम मोदी का सिंगापुर और ब्रुनेई का दौरा आखिर क्यों खास है!प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को ब्रुनेई दारुस्सलाम और सिंगापुर की तीन दिवसीय यात्रा पर रवाना हो गए। भारत-ब्रुनेई दारुस्सलाम के राजनयिक संबंधों ने 40 साल पूरे कर लिए हैं। इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ब्रुनेई दारुस्सलाम के सुल्तान हाजी हसनल बोल्किया से मिलने पहुंच रहे हैं। पीएम मोदी 4 सितंबर को ब्रुनेई से सिंगापुर के लिए रवाना होंगे। वहां पहुंचकर वे सिंगापुर के राष्ट्रपति थर्मन शानमुगरत्नम, प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग और अन्य वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात करेंगे। उन्होंने कहा कि कम्युनकेशन की सुरक्षित, संरक्षित और मुक्त समुद्री लाइनों को बनाए रखने के लिए भारत और सिंगापुर के बीच विचारों के मिलान पर जोर दिया।जानते हैं कि आखिर पीएम मोदी के ब्रूनेई और सिंगापुर की यात्रा से भारत को क्या फायदा होगा। पीएम मोदी के सिंगापुर दौरे पर समुद्री सुरक्षा को लेकर बातचीत से चीन की टेंशन बढ़ना तय है। भारत और ब्रुनेई दारुस्सलाम के बीच राजनयिक संबंध 1984 में स्थापित हुए थे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तेल से संपन्न देश ब्रुनेई की यात्रा करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री हैं। पीएम की इस यात्रा के दौरान रक्षा साझेदारी पर विशेष जोर होगा। इसकी वजह है कि दोनों पक्ष रक्षा क्षेत्र में एक संयुक्त कार्य समूह स्थापित करने के इच्छुक हैं। अधिकारियों ने बताया कि भारत और ब्रुनेई रक्षा, व्यापार और निवेश, ऊर्जा, स्पेस टेक्नोलॉजी, स्वास्थ्य, क्षमता निर्माण, संस्कृति के साथ-साथ लोगों के बीच आदान-प्रदान सहित सहयोग के विविध क्षेत्रों में एक दूसरे जुड़े हैं।
ब्रूनेई के सुल्तान हाजी हसनल बोल्किया ने 1992 और 2008 में भारत की राजकीय यात्रा की थी। साथ ही 2012 और 2018 में आसियान-भारत स्मारक शिखर सम्मेलन में भाग लिया था। 2018 में, सुल्तान हाजी हसनल बोल्किया अन्य आसियान नेताओं के साथ गणतंत्र दिवस परेड के मुख्य अतिथि थे। वर्तमान में, ब्रुनेई में लगभग 14,000 भारतीय रहते हैं। ब्रुनेई में बड़ी संख्या में डॉक्टर और शिक्षक भारत से हैं। इन लोगों ने ब्रुनेई की अर्थव्यवस्था और समाज में अपने योगदान के लिए सद्भावना और सम्मान अर्जित किया है।
दोनों देशों के बीच रक्षा संबंधों का विस्तार हो रहा है। यह सहयोग नियमित आधिकारिक स्तर के रक्षा आदान-प्रदान, नौसेना और तट रक्षक जहाजों की यात्रा, ट्रेनिंग और संयुक्त अभ्यास और एक-दूसरे की रक्षा प्रदर्शनियों/प्रदर्शनियों में भागीदारी आदि के माध्यम से है। दोनों देशों के रक्षा मंत्रालयों के अधिकारियों ने जनवरी 2021 में एक वर्चुअल बैठक की थी। रक्षा सहयोग पर समझौता ज्ञापन को 2021 में पांच साल की अवधि के लिए रिन्यू किया गया था। पहली बार, दो भारतीय रक्षा कंपनियों, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और एमकेयू लिमिटेड ने 1-2 जून, 2024 को 63वीं सशस्त्र सेना वर्षगांठ के अवसर पर ब्रुनेई सशस्त्र बलों की तरफ से आयोजित रक्षा उद्योग प्रदर्शनी में भाग लिया। दोनों पक्षों की तरफ से ऊर्जा क्षेत्र में संबंधों को आगे बढ़ाने के साथ-साथ अंतरिक्ष क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने की भी उम्मीद है।
पीएम मोदी ब्रूनेई के बाद सिंगापुर पहुंचेंगे। प्रधानमंत्री यहां सिंगापुर के उद्योगपतियों के साथ एक बिजनेस राउंडटेबल सम्मेलन में भी भाग लेंगे। इस दौरान खाद्य सुरक्षा, डिजिटलीकरण, कौशल, स्वास्थ्य, एडवांस विनिर्माण और कनेक्टिविटी जैसे क्षेत्रों में कई समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर होने की भी उम्मीद है। विदेश मंत्रालय के सचिव (ईस्ट) जयदीप मजूमदार के अनुसार, प्रधानमंत्री की सिंगापुर यात्रा में समुद्री सुरक्षा पर चर्चा पर भी ध्यान केंद्रित किया जाएगा। मजूमदार ने बताया कि मोदी और उनके सिंगापुर समकक्ष के बीच आसियान-भारत मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए), समुद्री सुरक्षा और म्यांमार की स्थिति पर चर्चा होने की संभावना है।
उन्होंने कहा कि कम्युनकेशन की सुरक्षित, संरक्षित और मुक्त समुद्री लाइनों को बनाए रखने के लिए भारत और सिंगापुर के बीच विचारों के मिलान पर जोर दिया। सिंगापुर के लिए, कम्युनिकेशन की सुरक्षित समुद्री लाइनों को बनाए रखना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। भारत और ब्रुनेई दारुस्सलाम के बीच राजनयिक संबंध 1984 में स्थापित हुए थे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तेल से संपन्न देश ब्रुनेई की यात्रा करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री हैं। पीएम की इस यात्रा के दौरान रक्षा साझेदारी पर विशेष जोर होगा।इसलिए, इन मुद्दों पर निस्संदेह चर्चा होगी। सिंगापुर भारत का सबसे बड़ा आसियान व्यापार साझेदार है। ब्रूनेई के सुल्तान हाजी हसनल बोल्किया ने 1992 और 2008 में भारत की राजकीय यात्रा की थी। साथ ही 2012 और 2018 में आसियान-भारत स्मारक शिखर सम्मेलन में भाग लिया था।इसके अलावा एफडीआई का सबसे बड़ा स्रोत है, जो वित्त वर्ष 24 में 11.77 बिलियन डॉलर था। भारत और सिंगापुर ने आखिरी बार 2015 में संबंधों को रणनीतिक साझेदारी में बढ़ाया था।