यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या फिल्मों में काम करने के लिए फिल्मी सितारे उल्टी सीधी मांगे करते हैं या नहीं! जाने-माने फिल्म निर्माता और फिल्म निर्देशक करण जौहर ने पिछले दिनों एक इंटरव्यू में बतौर प्रोड्यूसर अपना दर्द शेयर किया। उन्होंने कहा कि हिंदी सिनेमा में ढंग के ऐक्टर कम ही हैं, लेकिन वे भी सूरज, चांद और धरती की मांग करते हैं। हालत यह हो गई है कि जिन ऐक्टर्स की फिल्में 3.5 करोड़ की ओपनिंग नहीं ले पाती हैं, वे 35 करोड़ रुपए फीस मांग रहे हैं। बकौल करण आप उन्हें फिल्म साइन करने के लिए पैसा देते हैं। फिर फिल्म करने के लिए पैसा देते हैं। इसके अलावा दूसरे खर्चे भी आते हैं, लेकिन इस सबके बाद आपकी फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कमाई नहीं कर पाती। बेशक करण का कहना काफी हद तक जायज है, क्योंकि बीते काफी अरसे से बेहद बुरे दौर से गुजर रहे बॉक्स ऑफिस पर फिल्में एक के बाद एक फ्लॉप हो रही हैं। इनमें बड़े स्टार और बड़े बजट की फिल्में भी शामिल हैं। खासकर कोरोना के बाद बॉक्स ऑफिस पर फिल्मों के प्रदर्शन पर नजर डालें तो चुनिंदा फिल्मों को छोड़कर ज्यादातर फिल्में कुछ खास नहीं कर पाई हैं। बावजूद इसके चुनिंदा सितारों को छोड़कर ज्यादातर ऐक्टर्स की फीस में कोई कमी नहीं आई है। इंडस्ट्री के जानकारों की मानें तो तमाम सितारों ने अपनी फीस कम करने की बजाय कम फिल्मों में काम करने का ऑप्शन चुना है। यानी कि वे उन्हीं फिल्मों में काम करेंगे, जिसके लिए उन्हें मनमर्जी फीस मिलेगी। हालांकि बात सिर्फ फीस तक ही नहीं ठहरती। फीस के अलावा भी कलाकारों के दूसरे नखरे उठाने में प्रोड्यूसर की हालत खराब हो जाती है। पिछले दिनों एक और नामी फिल्म डायरेक्टर ने भी बड़े सितारों की ओर से फिल्म की शूटिंग के दौरान की जाने वाली उल्टी-सीधी मांगों पर नाराजगी जताई थी। खासकर उन्होंने बड़े सितारों द्वारा कई वैनिटी वैन की डिमांड किए जाने पर सवाल उठाया था।
वहीं करण ने फिल्मी दुनिया के एक और खतरनाक ट्रेंड पर चिंता जताई। करण ने कहा था ति बीते कुछ अरसे से देखने में आ रहा है कि अगर कोई एक्शन फिल्म हिट हुई तो हर कोई बस एक्शन फिल्म ही बनाना चाहता है। लेकिन इसी बीच अगर रोमांटिक फिल्म हिट हो गई, तो फिर हमें समझ नहीं आता कि हम क्या करें। बेशक इस मामले में भी करण काफी हद तक सही कह रहे हैं, क्योंकि मौजूदा दौर में हिंदी फिल्म इंडस्ट्री वाले अच्छी स्क्रिप्ट की कमी शिद्दत से महसूस कर रहे हैं। बीते दिनों धड़ाधड़ फ्लॉप हुई फिल्मों की वजह भी उनकी कमजोर स्क्रिप्ट ही बताई गई थी।
हालांकि फिल्मवालों ने इससे कोई सबक नहीं लिया। स्क्रिप्ट में सुधार करने की बजाय वे हिट जॉनर की फिल्मों के सब्जेक्ट पर फिल्में प्लान कर रहे हैं। जबकि हकीकत यह है कि आज अगर किसी जॉनर की फिल्म हिट हुई है और आप उसी जॉनर पर फिल्म बनाना चाहते हैं, तो स्क्रिप्ट, प्री प्रॉडक्शन, शूटिंग से लेकर पोस्ट प्रॉडक्शन में कम से कम डेढ़- दो साल का वक्त लग जाएगा। यानी कि आप उस फिल्म को करीब दो साल बाद रिलीज कर पाएंगे। हो सकता है कि तब तक कोई और जॉनर हिट हो जाए। यही नहीं फिल्मों की रिलीज डेट को आगे बढ़ाए जाने से होने वाले नुकसान के बारे में बात करने पर प्रोड्यूसर व फिल्म बिजनेस एनालिस्ट गिरीश जौहर कहते हैं, ‘किसी फिल्म की रिलीज डेट आगे बढ़ने से उसकी लागत में बढ़ोत्तरी होती है। साथ ही दूसरी फिल्मों को भी उसके चलते नुकसान उठाना पड़ता है। हालांकि करण ने अपनी बात दुनिया के सामने रख तो दी है, लेकिन फिर कई बार उनका प्रॉडक्शन उस तारीख तक पूरा नहीं हो पाता, तो फिल्म की रिलीज डेट आगे पीछे करनी पड़ती है, जिसके चलते सबको नुकसान होता है।’ उन्होंने आगे कहा, ‘वैसे भी आजकल फिल्मों में वीएफएक्स का काफी इस्तेमाल होने लगा है। लेकिन अगर आप दो तीन महीने पुराने वीएफएक्स को अपडेट नहीं करेंगे, तो वह पुराना लगने लगता है।बेशक इस मामले में भी करण काफी हद तक सही कह रहे हैं, क्योंकि मौजूदा दौर में हिंदी फिल्म इंडस्ट्री वाले अच्छी स्क्रिप्ट की कमी शिद्दत से महसूस कर रहे हैं। बीते दिनों धड़ाधड़ फ्लॉप हुई फिल्मों की वजह भी उनकी कमजोर स्क्रिप्ट ही बताई गई थी।लेकिन देखना यह दिलचस्प होगा कि यह कहां तलक जाएगी।