यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या अब भारत को कनाडा पर भरोसा नहीं रहा! भारत और कनाडा के रिश्ते एक बार फिर से बिगड़ते दिख रहे हैं। भारत ने सोमवार को कनाडाई राजदूत को तलब किया। इसके बाद भारत ने कनाडा से अपने उच्चायुक्त को वापस बुलाने का फैसला लिया है। कनाडा ने हाल ही में निज्जर हत्याकांड में भारत के उच्चायुक्त को सिख अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की कथित हत्या की जांच से जोड़ा था। विदेश मंत्रालय ने कनाडा के बयान को बेतुका करार देते हुए खारिज कर दिया। कनाडा पहले भी निज्जर केस में भारत पर आरोप लगा चुका है। पिछले साल भी दोनों देशों के बीच रिश्ते बिगड़े थे। वहीं अब फिर से भारत सरकार ने कनाडा को सख्त संदेश दिया है। निज्जर केस में कनाडा ने अब तक कोई सबूत पेश नहीं किए हैं। वहीं कनाडा ने भारत के उच्चायुक्त पर ही गंभीर आरोप लगाए। भारत ने भी तीखी प्रतिक्रिया जताई। कनाडा से भारतीय उच्चायुक्त के वापसी का मतलब होगा कि दोनों देशों के बीच डिप्लोमैटिक रिश्ते खत्म हो गए हैं।
बता दें कि सोमवार को भारत ने कनाडाई राजदूत स्टीवर्ट व्हीलर को भी तलब किया था। विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘कनाडा के कार्यवाहक राजदूत को आज शाम तलब किया था। उन्हें बताया गया कि कनाडा में भारतीय उच्चायुक्त और अन्य राजनयिकों और अधिकारियों को आधारहीन रूप से निशाना बनाया जाना पूरी तरह से अस्वीकार्य है।’
विदेश मंत्रालय ने व्हीलर से मुलाकात के बाद कहा, ‘उग्रवाद और हिंसा के माहौल में, ट्रूडो सरकार के कार्यों से उनकी सुरक्षा खतरे में पड़ गई है। हमें उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए वर्तमान कनाडाई सरकार पर कोई भरोसा नहीं है। इसलिए भारत सरकार ने उच्चायुक्त और अन्य राजनयिकों और अधिकारियों को वापस बुलाने का फैसला किया है। ‘ भारत ने कनाडा के 6 राजनयिकों को भी निकालने का फैसला किया है। इसमें कार्यवाहक उच्चायुक्त स्टीवर्ट रॉस व्हीलर, उप उच्चायुक्त पैट्रिक हेबर्ट, प्रथम सचिव मैरी कैथरीन जोली, इयान रॉस डेविड ट्राइट्स, एडम जेम्स चुइपका और पाउला ओरजुएला शामिल हैं। सरकार ने इन कनाडाई राजनयिकों को शनिवार, 19 अक्टूबर, 2024 को रात 11:59 बजे तक या उससे पहले भारत छोड़ने के लिए कहा गया है। इधर कनाडा ने भी भारत के 6 अधिकारियों को देश छोड़ने का आदेश दिया है। कनाडा सरकार ने अपने आदेश में भारत के उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा और टोरंटो में अन्य शीर्ष राजनयिक अधिकारियों को देश छोड़ने के लिए कहा है।
बता दे कि भारत और कनाडा के बिगड़ते रिश्तों के बीच अब लॉरेन्स बिश्नोई की एंट्री हो गई है। भारत की तरफ से कनाडा से अपने राजनयिकों को वापस बुलाने के कुछ ही घंटों बाद कनाडा ने भारत पर एक और गंभीर आरोप लगाया है। ऐसे लग रहा है कि कनाडा के पीएम भारत के साथ बिल्कुल संबंध को बिगाड़ने पर ही तुल गए हैं। ऐसे में विदेश नीति के जानकारों से लेकर आम लोगों को भी यह समझ नहीं आ रहा है कि आखिर जस्टिन ट्रूडो को हुआ क्या है। कनाडा की रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस (RCMP) का आरोप है कि भारत उनकी धरती पर ‘गंभीर आपराधिक गतिविधि’ में सीधे-सीधे शामिल है। हालांकि कनाडा ने अपने दावों के समर्थन में किसी भी तरह का सबूत पेश नहीं किया है। कनाडा की पुलिस का आरोप है कि ओटावा में भारत सरकार के ‘एजेंट’ खालिस्तानी तत्वों को निशाना बनाने के लिए लॉरेंस बिश्नोई गैंग के साथ मिलकर काम कर रहे थे। खास बात है कि ये आरोप ऐसे समय में सामने आए हैं जब लॉरेंस बिश्नोई गिरोह मुंबई में एनसीपी नेता बाबा सिद्दीकी की हत्या में कथित संलिप्तता के कारण भारत में कानून प्रवर्तन एजेंसियों की नजर में है।
आरसीएमपी के बयान में कहा गया कि सबूतों के अनुसार भारत सरकार के एजेंट्स् ने कनाडा और विदेशों में कई तरह की संस्थाओं का इस्तेमाल जानकारी एकत्र करने के लिए किया गया है। इनमें से कुछ व्यक्तियों और बिजनेस को भारत सरकार के लिए काम करने के लिए मजबूर किया गया और धमकाया गया। भारत सरकार के लिए एकत्र की गई जानकारी का इस्तेमाल फिर दक्षिण एशियाई समुदाय के सदस्यों को निशाना बनाने के लिए किया जाता है। कनाडा सरकार ने छह भारतीय राजनयिकों को भी निष्कासित कर दिया। कनाडा ने भारतीय राजनयिकों को खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या की जांच से जोड़ा था। जवाब में, भारत ने आरोपों को खारिज करते हुए ओटावा में अपने शीर्ष दूत को वापस बुला लिया। इसके बाद, भारत ने बदले की कार्रवाई में छह कनाडाई राजनयिकों को देश से निष्कासित कर दिया।