वर्तमान में कनाडा के प्रधानमंत्री हिंदुओं के भी करीबी बन गए हैं! कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने दिवाली के मौके पर कहा कि उनकी सरकार हिंदू कनाडाई लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। वो हमेशा उनके साथ खड़े रहेंगे। ट्रूडो का बयान ऐसे समय आया है, जब भारत से उनके रिश्ते बेहद खराब दौर से गुजर रहे हैं। वहीं, ट्रूडोइन दिनों चर्चाओं के केंद्र में हैं। अपनी ही लिबरल पार्टी के असंतुष्ट सांसदों की ओर से पद छोड़ दिए जाने का अल्टीमेटम दिए जाने के बाद भी ट्रूडो की दिक्कतें कम नहीं हुई हैं। हालांकि ट्रूडो साफ कर चुके हैं कि ऐसा कुछ भी करने के मूड में नहीं हैं। वो कह चुके हैं कि अगले साल होने वाले चुनावों में वो अपनी पार्टी का फिर से नेतृत्व करेंगे। ये भी दावा करते हैं कि उन्हें 153 लिबरल सांसदों का समर्थन हासिल है।
ये सब ऐसे वक्त हो रहा है जबकि सर्वेक्षण कुछ और ही कहानी बयां कर रहे हैं। सीबीसी पोल ट्रैकर के मुताबिक, लिबरल पार्टी कंजर्वेटिव पार्टी ऑफ कनाडा से 20 पॉइंट पीछे है। सर्वे दिखाता है कि करीब 60% कनाडाई नागरिक जस्टिन ट्रूडो को लेकर नकारात्मक सोच रखते हैं, जबकि सिर्फ 23% ही उन्हें लेकर पॉजिटिव दृष्टिकोण रखते हैं। ऐसे में ट्रूडो के लिए मौजूदा वक्त उनके राजनीतिक करियर का इसलिए भी सबसे मुश्किल वक्त है। अब कुछ लिबरल पार्टी एमपी ये मानते हैं कि ट्रूडो को लेकर सीक्रेट वोटिंग कराए जाना भी एक सही विकल्प साबित हो सकता है, वो भी तब जबकि उनके नेतृत्व को लेकर काफी सवाल खड़े हो गए हैं। हालांकि ये कितना कारगर होगा, इसे लेकर फिलहाल कुछ नहीं कहा जा सकता।
जानकार मानते हैं कि जो कुछ ट्रूडो के नेतृत्व को लेकर लिबरल पार्टी में चल रहा है, वो सिर्फ एक आइसबर्ग रिवोल्ट जैसा है, यानी ट्रूडो के दावे के इतर बड़ी संख्या में सांसदों की दबी इच्छा हो सकती है कि ट्रूडो अब 9 साल बाद पद छोड़ दें। खास बात ये है कि कनाडा में पीएम के खुद से पद छोड़ने की परंपरा ना के बराबर रही है, या तो उन्होंने चुनाव में करारी शिकस्त मिलने पर कुर्सी छोड़ी है, या फिर सारे विकल्प आजमा लिए जाने के बाद। बता दें कि कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो का एक और झूठ दुनिया के सामने आ गया है। 1985 में एयर इंडिया कनिष्क बम धमाके में बरी हुए रिपुदमन सिंह मलिक की हत्या के मामले में दो लोगों ने अपना गुनाह कबूल कर लिया है। दरअसल रिपुदमन की हत्या का आरोप ट्रूडो ने भारत पर लगाया है लेकिन अब दो कनाडाई नागरिक फॉक्स और लोपेज ने इस हत्या का दोष स्वीकार किया है। ऐसे में एक बार फिर से भारत के साथ तल्ख होते रिश्तों के बीच कनाडा फिर से झूठा साबित हो गया है।
बता दें कि रिपुदमन सिंह मलिक को 14 जुलाई, 2022 को ब्रिटिश कोलंबिया में गोली मार दी गई थी। उन पर 1985 में एयर इंडिया फ्लाइट 182 में बम रखने का आरोप था। इस हादसे में 329 लोग मारे गए थे। 2005 में मलिक और अजयब सिंह बागरी को इस मामले में सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया था। टान्नर फॉक्स और जोस लोपेज ने ब्रिटिश कोलंबिया सुप्रीम कोर्ट में मलिक की हत्या का दोष स्वीकार कर लिया है। उनकी सजा पर 31 अक्टूबर को फैसला सुनाया जाएगा। माना जा रहा है कि दोनों को कम से कम 20 साल की सजा हो सकती है।
मलिक के परिवार के वकीलों का कहना है कि हत्या के पीछे पैसे का मामला था। लेकिन यह अभी भी साफ नहीं है कि हत्या किसने करवाई और क्यों? परिवार का कहना है कि जब तक हत्या के पीछे के असली मास्टरमाइंड का पता नहीं चल जाता, तब तक उन्हें संतुष्टि नहीं मिलेगी। लोपेज की वकील ग्लोरिया एनजी ने कहा कि, “पैसा इस अपराध का एक बड़ा कारण हो सकता है।” हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि मुख्य अपराधी कौन थे या उनका मृतक से कोई निजी विवाद था या नहीं। अदालत के दस्तावेजों से पता चलता है कि हत्या के पीछे कई लोग हो सकते हैं। उन्होंने इसकी योजना बनाई थी और इसके लिए हत्यारों को काम पर रखा था।
फॉक्स और लोपेज को सजा सुनाए जाने के लिए 31 अक्टूबर को अदालत में पेश होना है। उन्हें 20 साल की सजा हो सकती है। बता दें कि 1985 का एयर इंडिया बम विस्फोट कनाडा के सबसे भीषण आतंकवादी हमलों में से एक था। 23 जून, 1985 को अटलांटिक महासागर के ऊपर एयर इंडिया की फ्लाइट 182 में एक बम विस्फोट हुआ, जिसमें सवार सभी 329 लोग मारे गए थे। रिपुदमन सिंह मलिक को शुरुआत में इस मामले में गिरफ्तार किया गया था। लेकिन 2005 में सबूतों के अभाव में उन्हें बरी कर दिया गया था। हालांकि, मलिक को हमेशा इस मामले से जोड़कर देखा जाता रहा।