यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या वर्तमान में थिएटर कमांड जरूरी हो गया है या नहीं! तीनों सेनाओं में तालमेल को और भी ज्यादा बेहतर बनाने के लिए मोदी सरकार ‘इंटिग्रेटेड थिएटर कमांड’ बनाने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ी है। थिएटर कमांड यानी एकीकृत कमांड एक ऐसा सिस्टम होगा जिसके तहत आर्मी, नेवी और इंडियन एयरफोर्स बेहतर तालमेल के साथ एक दूसरे की क्षमताओं का कुशलता से इस्तेमाल कर सकेगी। सैन्य नेतृत्व चीन, पाकिस्तान और हिंद महासागर पर फोकस करते हुए नए थिएटर कमांड्स को अंतिम रूप दे रहा है। मसौदा पूरी तरह तैयार है, बस सरकार की मंजूरी का इंतजार है। इकलौता थिएटर कमांड नहीं, बल्कि ऐसे 2 से 5 कमांड बनाने की तैयारी है। हर थिएटर कमांड की अगुआई आर्मी, एयर फोर्स या नेवी के थ्री स्टार अफसर करेंगे और सभी थिएटर कमांड की अगुआई चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ करेंगे। बांग्लादेश के उथल-पुथल ने भी भारतीय सेना की चिताएं बढ़ा दी हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध और पश्चिम एशिया में तनाव जैसी तमाम घटनाएं बता रही हैं कि सैन्य क्षमता में सुधार और मजबूती क्यों जरूरी है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 साल पहले जब पहली बार केंद्र की सत्ता संभाली थी, तभी उन्होंने सैन्य अफसरों को थिएटर कमांड को लेकर अपनी सोच का संकेत दे दिया था। इसका मकसद ‘विकसित भारत’ के सपने को अमलीजामा पहनाना भी है।
रिपोर्ट के मुताबिक, मई 2014 में जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने थे, तब से ही वह भारतीय सेना को एक रंग में देखते हैं – तिरंगे के रंग में। उनका मानना है कि सेना के तीनों अंगों में कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए। इसी सोच के साथ, मोदी सरकार ‘थिएटर कमांड’ बनाने की तैयारी कर रही है, जिससे सेना के तीनों अंग एक साथ मिलकर काम कर सकें। इस बदलाव का मकसद ‘विकसित भारत’ के सपने को साकार करना है, जहां भारत वैश्विक मंच पर अपनी मजबूत जगह बना सके। चीन की तरह ही, भारत भी अपनी ताकत बढ़ाकर वैश्विक घटनाओं को प्रभावित करने में सक्षम होना चाहता है।
मोदी सरकार ने इस बदलाव के लिए कई कदम उठाए हैं। इस साल भारतीय विदेश सेवा में 55 अधिकारियों की नियुक्ति इसका एक उदाहरण है। थिएटर कमांड भी इसी योजना का हिस्सा हैं, क्योंकि भविष्य में होने वाले युद्ध सिर्फ जमीन पर नहीं बल्कि अंतरिक्ष तक में लड़े जाएंगे। सैटलाइट हथियार बनेंगे। इसलिए सेना को हर तरह की चुनौती का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा। 4 सितंबर को लखनऊ में हुई जॉइंट कंबाइंड कमांडर्स कॉन्फ्रेंस में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने थिएटर कमांड के बारे में विस्तार से बताया। इस दौरान उन्होंने सभी कमांडर-इन-चीफ के सवालों के जवाब भी दिए। थिएटर कमांड का मसौदा तैयार है और अब इसे मंजूरी के लिए सरकार के पास भेजा जाएगा।
वैसे तो सेना का मुख्य काम भारत की बाहरी खतरों से रक्षा करना है। लेकिन मोदी सरकार ‘विकसित भारत’ के सपने को ध्यान में रखते हुए सेना को और भी जिम्मेदारियां सौंपना चाहती है। एचटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार चाहती है कि भारत दुनिया के हर कोने में अपनी बात रख सके और जरूरत पड़ने पर कार्रवाई भी कर सके।
लखनऊ के कॉन्फ्रेंस में आर्मी के ईस्टर्न आर्मी कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल आर सी तिवारी ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के सामने एक प्रेजेंटेशन दी। इसमें उन्होंने चीन की सेना पीएलए की गतिविधियों और सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में एलएसी की स्थिति के बारे में जानकारी दी। चीन ने पहले से ही थिएटर कमांड बना रखे हैं। उसने अपने वेस्टर्न थिएटर कमांड को 3488 किलोमीटर लंबी एलएसी पर तैनात कर रखा है। मई 2020 में पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारत के निहत्थे सैनिकों पर चीनी सेना के कायरना हमले के बाद से एलएसी पर तनाव है। दोनों देशों की ओर से एलएसी पर बड़ी सैन्य तैनाती की गई है। चीन ने पूर्वी लद्दाख सेक्टर में एक लाख से ज्यादा सैनिकों को भारी हथियारों के साथ तैनात कर रखा है। हालांकि कुछ जगहों से सैनिकों को हटाया गया है, लेकिन तनाव अभी भी बरकरार है। तनाव कम करने के लिए दोनों देशों के बीच सैन्य स्तर की कई दौर की बातचीत हो चुकी है और ये प्रक्रिया लगातार जारी है।
बांग्लादेश में चल रही उथल-पुथल ने भी भारतीय सेना की चिंता बढ़ा दी है। एक तरफ चीन की पीएलए है तो दूसरी तरफ बांग्लादेश में जमात-ए-इस्लामी, हिफाजत-ए-इस्लाम और अंसार बांग्ला टीम जैसे कट्टरपंथी इस्लामी संगठन सक्रिय हैं। बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) का पाकिस्तान की तरफ झुकाव और भारत विरोधी रुख जगजाहिर रहा है । ऐसे में भारत को हर स्थिति के लिए तैयार रहना होगा। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार अभी तक देश में कानून-व्यवस्था बहाल नहीं कर पाई है। हिंदुओं पर लगातार हमले हो रहे हैं और ऐसा लगता है कि इस्लामी कट्टरपंथी अपनी मनमानी कर रहे हैं।
यूक्रेन और गाजा युद्ध के बीच दुनिया में उथल-पुथल का माहौल है। ऐसे में भारत को अपनी सैन्य क्षमता को और मजबूत बनाने की जरूरत है। इसके लिए ‘थिएटर कमांड’ एक कारगर उपाय है। इससे खुफिया जानकारी इकट्ठा करने और उसका इस्तेमाल करने में मदद मिलेगी। पीएम मोदी साफ कर चुके हैं वह भारतीय सेना को सिर्फ एक रंग में देखते हैं – भारतीय तिरंगे के रंग में। उन्होंने कहा था, ‘मैं भारतीय सशस्त्र बलों को केवल एक ही रंग में देखता हूं (भारतीय ध्वज) और सेवाओं के अलग-अलग रंगों में अंतर या भेदभाव नहीं करता हूं।’ थिएटर कमांड के जरिए मोदी सरकार इसी सोच को आगे बढ़ाना चाहती है।