Tuesday, March 19, 2024
HomeIndian Newsबुजुर्गों के लिए बनेगा अब गृह आवास!

बुजुर्गों के लिए बनेगा अब गृह आवास!

दक्षिण भारत के शहर कई महत्वपूर्ण कदम उठाने जा रहे हैं! भारत में इस समय रिटायरमेंट होम या सीनियर लिविंग के प्रोजेक्ट तेजी से नहीं आ रहे हैं। लेकिन, तब भी इस दिशा में उत्तर भारतीय शहरों के मुकाबले दक्षिण भारत के शहरों में बढ़िया काम हो रहा है। भारत के कुल सीनियर लिविंग प्रोजेक्ट के मामले में दक्षिण भारतीय शहर 70 फीसदी की हिस्सेदारी से आगे हैं।

हाउसिंग डॉटकॉम की एक रिसर्च रिपोर्ट ‘द सिल्वर इकोनॉमी – ए पर्सपेक्टिव ऑन सीनियर लिविंग इन इंडिया’ से पता चलता है कि सीनियर लिविंग हाउसिंग की मांग बढ़ रही है। देखा जाए तो पिछले दो दशकों के दौरान रिटायरमेंट होम एक अवधारणा के रूप में जड़ें जमा ली हैं। लेकिन रियल एस्टेट के नए वर्ग के रूप में उभरने से पहले इसे एक लंबा रास्ता तय करना है क्योंकि यहां एकल परिवारों की संख्या में वृद्धि हो रही है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार यहां 52 फीसदी परिवार एकल परिवार थे। अब तो इसमें और इजाफा हुआ है।

हाउसिंग डॉटकॉम के सीईओ ध्रुव अग्रवाला का कहना है कि भारत की 1.3 बिलियन आबादी पहले की अपेक्षा तेजी से बूढ़ी हो रही है। बुजुर्ग निवासियों (60 वर्ष से अधिक उम्र वालों) की जनसंख्या में वर्ष 2020-2050 के बीच 130 फीसदी की वृद्धि होने का अनुमान है और वर्तमान की 139 मिलियन से 320 मिलियन तक पहुंचने का अनुमान है। इनके लिए सुविधाजन मकान की जरूरत तेजी से बढ़ेगी।

Housing.com की इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत के दक्षिणी शहर (South Indian Cities) देश में सीनियर लिविंग प्रोजेक्ट के मामले में आगे हैं। रिटायरमेंट होम के कुल प्रोजेक्ट में दक्षिण भारतीय शहरों की हिस्सेदारी करीब 70 फीसदी है। इन शहरों में दक्षिण भारत के बेंगलुरु, चेन्नई, कोच्चि और कोयंबटूर सबसे आगे हैं। इन शहरों के बाद पश्चिमी और उत्तरी भारत के शहर आते हैं।

ध्रुव अग्रवाला का कहना है कि दक्षिण भारतीय शहर ऐसे ही बुजुर्गों की पसंद नहीं हैं। वहां की स्वास्थ्यकर जलवायु, बेहतर कनेक्टिविटी और प्रमुख स्वास्थ्य संस्थानों की उपस्थिति काफी मायने रखती है। यही वजह है कि दक्षिणी भारत के शहरों को सीनियर लिविंग के हब के रूप में उभरने में योगदान दिया है। इस वर्ग के प्रमुख डेवलपरों में शामिल हैं- आशियाना हाउसिंग, कोलंबिया पैसिफिक कम्युनिटीज और मैक्स ग्रुप का अंतरा।

रियल एस्टेट डेवलपर्स सीनियर लिविंग हाउसिंग प्रोजेक्ट को एकमुश्त बिक्री या लीज के आधार पर पेश कर रहे हैं। इनमें कई मॉडल हैं, जो मोटे तौर पर स्वतंत्र जीवन में विभाजित हैं; सहायता पर रहना; कुशल या नर्सिंग देखभाल; और सेवानिवृत्ति समुदाय की सतत देखभाल।

Housing.com की इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत के दक्षिणी शहर (South Indian Cities) देश में सीनियर लिविंग प्रोजेक्ट के मामले में आगे हैं। रिटायरमेंट होम के कुल प्रोजेक्ट में दक्षिण भारतीय शहरों की हिस्सेदारी करीब 70 फीसदी है। इन शहरों में दक्षिण भारत के बेंगलुरु, चेन्नई, कोच्चि और कोयंबटूर सबसे आगे हैं। इन शहरों के बाद पश्चिमी और उत्तरी भारत के शहर आते हैं।

ध्रुव अग्रवाला का कहना है कि दक्षिण भारतीय शहर ऐसे ही बुजुर्गों की पसंद नहीं हैं। वहां की स्वास्थ्यकर जलवायु, बेहतर कनेक्टिविटी और प्रमुख स्वास्थ्य संस्थानों की उपस्थिति काफी मायने रखती है। यही वजह है कि दक्षिणी भारत के शहरों को सीनियर लिविंग के हब के रूप में उभरने में योगदान दिया है। इस वर्ग के प्रमुख डेवलपरों में शामिल हैं- आशियाना हाउसिंग, कोलंबिया पैसिफिक कम्युनिटीज और मैक्स ग्रुप का अंतरा।

रियल एस्टेट डेवलपर्स सीनियर लिविंग हाउसिंग प्रोजेक्ट को एकमुश्त बिक्री या लीज के आधार पर पेश कर रहे हैं। इनमें कई मॉडल हैं, जो मोटे तौर पर स्वतंत्र जीवन में विभाजित हैं; सहायता पर रहना; कुशल या नर्सिंग देखभाल; और सेवानिवृत्ति समुदाय की सतत देखभाल।हाउसिंग डॉटकॉम की एक रिसर्च रिपोर्ट ‘द सिल्वर इकोनॉमी – ए पर्सपेक्टिव ऑन सीनियर लिविंग इन इंडिया’ से पता चलता है कि सीनियर लिविंग हाउसिंग की मांग बढ़ रही है। देखा जाए तो पिछले दो दशकों के दौरान रिटायरमेंट होम एक अवधारणा के रूप में जड़ें जमा ली हैं। लेकिन रियल एस्टेट के नए वर्ग के रूप में उभरने से पहले इसे एक लंबा रास्ता तय करना है क्योंकि यहां एकल परिवारों की संख्या में वृद्धि हो रही है।

बिल्डर्स घरेलू सेवाएं, विश्राम सुविधायें और सामुदायिक स्थानों जैसी सुविधाएं प्रदान करते हैं। इस तरह के प्रोजेक्ट के कुछ मामलों में एम्बुलेंस, नियमित चिकित्सा जांच, अस्पतालों के साथ करार और चौबीसों घंटे चिकित्सा कर्मचारी जैसी चिकित्सा सुविधाएं भी होती हैं।

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments