Friday, September 20, 2024
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आखिर कैसे बिगड़े थे राजा भैया और अखिलेश यादव के रिश्ते?

आज हम आपको बताएंगे कि आखिर राजा भैया और अखिलेश यादव के रिश्ते कैसे बिगड़े थे! 10 साल पहले कुंडा के बलीपुर गांव में हुआ सीओ जियाउल हक हत्‍याकांड आज भी बाहुबली विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के गले की फांस बना हुआ है। तमाम जांचों और लाई डिटेक्‍टर टेस्‍ट के बाद भी जब सीबीआई को कोई सुराग नहीं मिला तो उसने 2014 में इस केस को बंद कर दिया। सीओ की पत्‍नी परवीन आजाद ने इसका विरोध किया और सुप्रीम कोर्ट जा पहुंची। बीते 27 सितंबर को शीर्ष अदालत ने क्‍लोजर रिपोर्ट खारिज करते हुए एक बार फिर सीबीआई को इस मामले की जांच का आदेश दिया है। आदेश का पालन करते हुए सीबीआई की एक टीम कुंडा आ धमकी है। इस हत्‍याकांड से जुड़े लोगों से पूछताछ कर रही है। कहा जा रहा है कि जल्‍द राजा भैया से भी पूछताछ की जाएगी। यह वही जियाउल हक हत्‍याकांड है जिसके बाद तत्कालीन अखिलेश सरकार हिल गई थी। खुद मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव और उनके मंत्री आजम खान को पीड़ित परिवार के घर पहुंचना पड़ा था। हत्‍या की सूचना मिलते ही राजा भैया तुरंत अखिलेश यादव से मिलने पहुंचे थे। मुलाकात के दौरान उन्‍होंने अपना पक्ष रखा पर बाद में उन्‍होंने सपा पार्टी की छवि का हवाला देते हुए मंत्रिमंडल से इस्‍तीफा दे दिया था। कहा जाता है कि सीओ मर्डर के बाद से ही अखिलेश और राजा भैया के रिश्‍तों में दरार आ गई। हथिगवां थाना इलाके के गांव बलीपुर में दो मार्च, 2013 को रात करीब सवा आठ बजे दोहरे हत्याकांड की सूचना मिली। सूचना पर पहुंचे कुंडा के सीओ जियाउल हक को पहले लाठी-डंडों से बेरहमी से पीटा गया। बाद में उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। तीन घंटों तक उनकी लाश प्रधान के घर के पीछे खड़ंजे पर पड़ी रही। सीओ की सुरक्षा में लगे गनर इमरान और विनय कुमार जान बचाकर भाग गए थे। हथिगवां थाने के एसओ मनोज शुक्‍ला भी भाग खड़े हुए। पुलिसकर्मियों के भाग जाने के बाद दबंगों ने सीओ जियाउल हक को लाठियों से पीटा। जीप से खींचकर जमीन पर घसीटा और फिर गोली मार दी। उन्हें पैरों में दो गोली मारी गई और फिर एक सीने में। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ था।

भीड़ द्वारा सीओ की हत्या ने पूरे उत्‍तर प्रदेश को झकझोर कर रख दिया। कानून व्यवस्था के मुद्दे पर विपक्ष ने तत्कालीन अखिलेश यादव की सरकार को घेरना शुरू कर दिया। सीओ की पत्नी परवीन आजाद ने हथिगवा थाने में रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया और उनके करीबियों के खिलाफ हत्या का केस दर्ज कराया। राजा भैया तब अखिलेश सरकार में कैबिनेट मंत्री थे। इस आरोप से के बाद जब उन पर दबाव बना तो उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और मामले की सीबीआई की जांच की मांग कर दी।

उधर, देवरिया में सीओ के घर पर उनके परिजन धरने पर बैठ गए। दबाव इतना ज्‍यादा बना कि खुद अखिलेश यादव को सीओ के घर जाकर परिजनों को सांत्वना देनी पड़ी। कैबिनेट मंत्री आजम खान भी साथ में थे। बता दें कि जियाउल हक हत्‍याकांड है जिसके बाद तत्कालीन अखिलेश सरकार हिल गई थी। खुद मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव और उनके मंत्री आजम खान को पीड़ित परिवार के घर पहुंचना पड़ा था। हत्‍या की सूचना मिलते ही राजा भैया तुरंत अखिलेश यादव से मिलने पहुंचे थे। मुलाकात के दौरान उन्‍होंने अपना पक्ष रखा पर बाद में उन्‍होंने सपा पार्टी की छवि का हवाला देते हुए मंत्रिमंडल से इस्‍तीफा दे दिया था।उनकी लाश प्रधान के घर के पीछे खड़ंजे पर पड़ी रही। सीओ की सुरक्षा में लगे गनर इमरान और विनय कुमार जान बचाकर भाग गए थे। हथिगवां थाने के एसओ मनोज शुक्‍ला भी भाग खड़े हुए। पुलिसकर्मियों के भाग जाने के बाद दबंगों ने सीओ जियाउल हक को लाठियों से पीटा। जीप से खींचकर जमीन पर घसीटा और फिर गोली मार दी। उन्हें पैरों में दो गोली मारी गई और फिर एक सीने में। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ था। मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई और एक साल में जांच करके सीबीआई ने राजा भैया के अलावा मामले के अन्य आरोपी गुलशन यादव, हरिओम, रोहित, संजय को क्लीन चिट दे दी। इसके बाद सीओ की पत्नी परवीन आजाद ने इसके खिलाफ सीबीआई कोर्ट में अर्जी डाल दी। कोर्ट ने रिपोर्ट खारिज कर दी और जांच फिर शुरू हो गई।

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