हाल ही में दिल्ली में एक कथालोक उत्सव हुआ था! हम सब का बचपन दादी-नानी की कहानियां सुनकर बीता है। लेकिन कहानी सुनाने की विधा सिर्फ बचपन तक ही सीमित नहीं है। यह कला की एक अलग विधा है, जो किस्सागोई के नाम से दुनियाभर में जानी जाती है। किस्सागोई का एक ऐसा ही फलक गत शनिवार- रविवार को दिल्ली में नजर आया, जहां किस्सागोई पर आधारित दो दिन का उत्सव ‘कथालोक’ का आयोजन हुआ। उत्सव में नामचीन कथाकारों, साहित्य प्रेमियों और दास्तानगोई कहानी सुनाने की विधा की नई प्रतिभाओं के संगम का मंच बना। इस उत्सव का आयोजन आजादी का अमृत महोत्सव, केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के सहयोग और समन्वय से ‘समय यान’ की ओर से किया गया। इस मौके पर अभिनेता और कलाकार आदित्य ओम ने कहानियों की परिवर्तनकारी भूमिका पर व्यक्तिगत अनुभव साझा किए। उत्सव में अपने खास फन के लिए जानी जाने वाली फौजिया दास्तानगो की उर्दू प्रस्तुति ‘दास्तान-ए-राम’, दानिश हुसैन की प्रस्तुति ‘तिलिस्मी दास्तानें’ और मनु सिकंदर ढींगरा की ओर से प्रस्तुत पंजाब की कालजयी प्रेम कथा ‘किस्सा हीर वारिस शाह’ की पेशकश हुई।
आयोजन के दौरान एक ओपन माइक सत्र का भी आयोजन किया गया, जिसमें दर्शकों को अपनी कहानियां सुनाने का मौका दिया गया। इस दौरान एक प्रतियोगिता का आयोजन 75 कॉलेज स्टूडेंट्स ने हिस्सा लिया। जिसमें तीन पुरस्कार भी दिए गए। उत्सव के दौरान एक ओपन सेशन का का आयोजन भी हुआ, जिसमें दर्शकों को अपनी कहानियां सुनाने का मौका मिला। इसमें बतौर विशिष्ट अतिथि बीजेपी प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने भाग लिया, जहां उन्होंने उन्होंने भारतीय राजनीति के कुछ दिलचस्प किस्से सुनाए। वहीं रेडियो विधा से जुड़े जमशेद सिद्दीकी ने वैदिककल से लेकर आज तक की भारतीय संगीत यात्रा को एक कहानी रूप में पिरोकर पेश किया। जिसे संतूर वादक और संगीतकार पं अभय सोपोरी और उनकी टीम ने संगीत में ढाला। यही नहीं आपको बता दें कि मध्य प्रदेश के खजुराहो में 50वां डांस फेस्टिवल की शुरुआत 20 फरवरी से हो रही है। यह 26 फरवरी तक चलेगा। इस बार खजुराहो में समृद्ध संस्कृति और विरासत के साथ-साथ रोमांच भी भरपुर मिलेगा। संस्कृति और पर्यटन मंत्री धर्मेंद्र सिंह लोधी ने बताया कि देश की समृद्ध संस्कृति और विरासत के उत्सव की शुरुआत खजुराहो नृत्य महोत्सव के रूप में होने जा रहा है।
उन्होंने कहा कि बुंदेलो की धरती पर देशभर से पधारने वाले प्रतिष्ठित लोक नर्तक अपनी घुंघरुओं की झंकार और कदमताल से छटा बिखेरेंगे। इसमें अब तक भारत की सभी प्रमुख शास्त्रीय नृत्य शैलियों के कलाकार अपनी नृत्यों की प्रस्तुतियां दे चुके हैं। इस वर्ष भी देश के ख्यातिलब्ध प्रतिष्ठित कलाकार शिरकत कर रहे हैं।1975 में शुरू हुआ खजुराहो नृत्य महोत्सव इस वर्ष अपना स्वर्ण जंयती वर्ष मना रहा है। इस उपलब्धि को खास और यादगार बनाने के लिए कथक कुंभ का आयोजन किया जा रहा है।
मंत्री ने कहा कि 20 फरवरी को 1500-2000 कलाकार सामूहिक रूप से कथक कुंभ में भाग लेंगे। वर्ल्ड रेकॉर्ड बनाने का लक्ष्य रखा गया है। वहीं, पर्यटन विभाग के प्रमुख सचिव शिव शेखर शुक्ला ने कहा कि खजुराहो डांस फेस्टिवल को शुरू करने का उद्देश्य शास्त्रीय नृत्यों का संरक्षण ही नहीं, शास्त्रीय नृत्य कला के जरिए परमोत्कर्ष की अनुभूति कला रसिकों को करवाने और इससे जुड़े सभी कलाकारों को प्रोत्साहित करना है। विश्व रिकॉर्ड के अलावा महोत्सव में पहली बार लयशाला का आयोजन होगा। इसमें भारतीय नृत्य शैलियों के अपनी विधा के श्रेष्ठ गुरूओं के साथ शिष्यों का संगम और कार्यशालाएं होंगी। शुक्ला ने कहा कि यह देश का अत्यंत ख्यातिलब्ध समारोह है।यही नहीं आपको बता दें कि मध्य प्रदेश के खजुराहो में 50वां डांस फेस्टिवल की शुरुआत 20 फरवरी से हो रही है। यह 26 फरवरी तक चलेगा। इस बार खजुराहो में समृद्ध संस्कृति और विरासत के साथ-साथ रोमांच भी भरपुर मिलेगा। संस्कृति और पर्यटन मंत्री धर्मेंद्र सिंह लोधी ने बताया कि देश की समृद्ध संस्कृति और विरासत के उत्सव की शुरुआत खजुराहो नृत्य महोत्सव के रूप में होने जा रहा है। इसमें अब तक भारत की सभी प्रमुख शास्त्रीय नृत्य शैलियों के कलाकार अपनी नृत्यों की प्रस्तुतियां दे चुके हैं। इस वर्ष भी देश के ख्यातिलब्ध प्रतिष्ठित कलाकार शिरकत कर रहे हैं।
खजुराहो नृत्य समारोह में अब तक भारत की सभी प्रमुख शास्त्रीय नृत्य शैलियों जैसे भरतनाट्यम, ओडीसी, कथक, मोहिनीअटेम, कुचिपुड़ी, कथकली, यक्षगान, मणिपुरी आदि के युवा और वरिष्ठ कलाकार अपनी कला की आभा बिखेर चुके हैं।