वर्तमान में साइबर ठगी से देश में स्पैम हो रहा है! भारत में प्रवर्तन निदेशालय ने एक आइरिश महिला की ओर से दी गई शिकायत पर जांच शुरू कर दी। इस शिकायत के आधार पर बिहार और पश्चिम बंगाल में कई तलाशी अभियान चलाए गए, जिसमें साइबर अपराधियों के एक गिरोह का पता चला। ये अपराधी, जिनमें ज्यादातर स्कूल ड्रॉपआउट लड़के हैं जो फर्राटेदार ब्रिटिश अंग्रेजी बोलते हैं, यूके और आयरलैंड में लोगों को ठग रहे थे। उनके काम करने का तरीका यह है कि वे लोगों के फोन और कंप्यूटर को दूर से नियंत्रित करते हैं और उनके बैंक खातों से करोड़ों रुपये अपने खातों में ट्रांसफर कर लेते हैं।पटना, खड़गपुर और कोलकाता में तलाशी के दौरान, अपराधियों द्वारा संचालित एक 70 सीटों वाले कॉल सेंटर का पता चला। इस कॉल सेंटर ने कम से कम 40 लोगों को ठगा था। जांच तब शुरू हुई जब आयरिश महिला को आयरलैंड में ब्रॉडबैंड सेवा प्रदाता Eircom Telecom की ‘स्टेफ़नी’ नाम से किसी व्यक्ति का फोन आया। आरोपी, जिसकी बाद में नीतेश कुमार के रूप में पहचान हुई पटना के एक गेस्ट हाउस से काम कर रहा था। उसे अपने कमरे से भागने से पहले ही पकड़ लिया गया।
कोलकाता और खड़गपुर में आगे की तलाशी में पांच लैपटॉप, 16 मोबाइल हैंडसेट, 56 क्रेडिट/डेबिट कार्ड और 69 बैंक खाते जब्त किए गए। इसके अतिरिक्त, लगभग 2 करोड़ रुपये की नकदी भी मिली। ईडी ने बाद में आरोपी के बैंक खातों से 2.8 करोड़ रुपये जब्त किए। यह भी पता चला कि गिरोह का सरगना सागर यादव खड़गपुर में दो अवैध कॉल सेंटर चला रहा था। आरोपी पीड़ितों के बैंक खातों को उनके फोन/कंप्यूटर पर दूर से नियंत्रित करते थे और फिर पैसे को यूके और आयरलैंड में अपने विदेशी सहयोगियों के बैंक खातों में ट्रांसफर कर देते थे। ये सहयोगी तब पैसे निकालते थे और इसे वेस्टर्न यूनियन और मनीग्राम प्लेटफॉर्म के माध्यम से भारत में ट्रांसफर करते थे। एक बार जब पैसा भारतीय बैंक खातों में पहुंच जाता था तब उन्हें नकद में निकाल लिया जाता था।
यह मामला पहली बार है जब विदेशों में दर्ज मामले में केंद्रीय एजेंसी द्वारा धन शोधन निवारण अधिनियम पीएमएलए के तहत मामला दर्ज किया गया है। जांच में शामिल एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह अपराध दूसरे देश में किया गया था और बाद में आय को भारत में ट्रांसफर कर दिया गया था। ईडी ने अक्टूबर 2023 में एक ईसीआईआर दर्ज किया, जो पुलिस प्राथमिकी के समकक्ष है, जब इसे सीबीआई के माध्यम से आयरिश अधिकारियों द्वारा भारत भेजा गया था। यही नहीं लोन सेटलमेंट के नाम पर एक महिला से साइबर ठगी के आरोप में रोहिणी साइबर पुलिस ने नोएडा, गाजियाबाद से तीन ठगों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों की पहचान गाजियाबाद निवासी 23 वर्षीय सुमित कुमार, 24 वर्षीय अंकित कुमार और नोएडा निवासी 23 वर्षीय अंकित कुमार के रूप में हुई है। पुलिस ने आरोपियों के पास से वारदात के लिए इस्तेमाल मोबाइल फोन, एक चेक बुक, एक पासबुक जब्त की है।
पुलिस अफसर के मुताबिक, रोहिणी सेक्टर 4 निवासी अनीता ने 62,000 की साइबर ठगी के बारे में शिकायत दी थी। पीड़िता ने आरोप लगाया कि उसके मोबाइल पर एक दिन मेसेज आया। दावा किया कि वह लोन की ईएमआई का भुगतान करने में विफल रही हैं और इसके लिए कंपनी की तरफ से टीम घर पर विजिट करेगी। पीड़िता नहीं चाहती थी कि कोई उनके घर आए। इसलिए, अमाउंट का भुगतान ऑनलाइन करने का अनुरोध किया। इस पर कथित आरोपी ने एकमुश्त भुगतान करके अपना लोन 62000 चुकाने को कहा। उसने बैंक डिटेल भी शेयर की। पीड़िता ने यह रकम ट्रांसफर कर दी। पीड़िता ने जेस्ट मनी की हेल्पलाइन से संपर्क किया। उन्होंने बताया कि उन्हें कोई भुगतान नहीं मिला है। जिसके बाद पीड़िता को ठगी का अहसास हुआ। मामले में रोहिणी साइबर सेल ने मामला दर्ज किया। जांच शुरू की। पुलिस ने उन खातों के मनी ट्रेल की डिटेल खंगाली जिसमें पैसा भेजा गया था। पता चला कि यह पैसा गाजियाबाद निवासी सुमित कुमार नाम के अकाउंट में ट्रांसफर हुआ था। टीम ने केस की तफ्तीश करते हुए गाजियाबाद से सुमित और उसके दो साथियों को गिरफ्तार कर लिया।
पूछताछ में पता चला कि अंकित शर्मा एक कॉल सेंटर में काम करता था और उसके पास ग्राहकों के बारे में जानकारी थी। वह उनसे वॉट्सऐप पर चैट करता था और उन्हें उनकी बकाया लोन के एकमुश्त निपटान का विकल्प देता था। इसके बाद उन्हें समझाने के बाद दिए गए बैंक खाते में पैसे ट्रांसफर करने के लिए कहता था। उसका सहयोगी सुमित कुमार भी पीड़ितों से अपने बैंक खाते में पैसे लेता था। मामले में अब तक चार अन्य पीड़ितों की भी पहचान हो चुकी है। पुलिस पता लगा रही है कि और कितनों को आरोपियों ने इसी तरह ठगा है।