Tuesday, February 18, 2025
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क्या पहले से अलग है इस बार का किसान आंदोलन?

इस बार का किसान आंदोलन पहले से बहुत अलग है! 2 साल बाद एक बार फिर किसान सड़कों पर उतरे हैं। किसानों के दिल्ली चलो विरोध मार्च में शामिल प्रदर्शनकारियों ने मंगलवार को अंबाला में शंभू बॉर्डर पर लगाए गए बैरिकेड को तोड़ने की कोशिश की, जिसके बाद भीड़ को तितर-बितर करने के लिए हरियाणा पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े। शंभू बॉर्डर के पास उस समय स्थिति बिगड़ गई जब किसानों ने सीमेंट से बने अवरोधक हटाने के लिए ट्रैक्टर इस्तेमाल किए। ये अवरोधक प्रदर्शनकारी किसानों को आगे बढ़ने से रोकने के लिए घग्गर नदी पुल पर हरियाणा पुलिस द्वारा बैरिकेड के हिस्से के रूप में रखे गए थे। हरियाणा पुलिस ने कहा कि स्थिति को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस के गोले का इस्तेमाल किया जा रहा है क्योंकि प्रदर्शनकारी पुलिसकर्मियों पर पथराव कर रहे हैं। सरकार के साथ सोमवार रात बैठक में जब कोई बात नहीं बनी तब किसान यूनियन ने दिल्ली कूच जारी रखने का ऐलान किया। किसानों का यह विरोध प्रदर्शन 2020-21 के साल भर चले आंदोलन से इस बार कैसे अलग है। 250 से अधिक किसान संगठनों ने पंजाब से विरोध का आह्वान किया है। इनमें से करीब 100 यूनियन का समर्थन हासिल करने वाला किसान मजदूर मोर्चा KMM और अन्य 150 संगठनों का मंच संयुक्त किसान मोर्चा गैर-राजनीतिक शामिल है। ये किसान कई मांगों को लेकर विरोध कर रहे हैं।

दिसंबर 2023 के अंत में इन दो संगठनों ने दिल्ली चलो का आह्वान किया था। किसानों का नेतृत्व इस बार दूसरे किसान नेता कर रहे हैं। संयुक्त किसान मोर्चा गैर-राजनीतिक मूल संयुक्त किसान मोर्चा SKM से जुलाई 2022 में टूटकर बना एक गुट है। इसके समन्वयक जगजीत सिंह डल्लेवाल हैं, जो पंजाब स्थित भारतीय किसान यूनियन BKU सिधुपुर के अध्यक्ष हैं। सभी फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी वाला कानून, स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के हिसाब से फसल मूल्य निर्धारण, किसानों और मजदूरों का पूरा कर्ज माफ, 2021 दिल्ली में विरोध प्रदर्शन के दौरान जिन किसानों की जान चली गई उनको मुआवजा और एक सदस्य को नौकरी, किसानों और मजदूरों को पेंशन!2013 जमीन अधिग्रहण अधिनियम का लागू होना किसानों की लिखित सहमति और 4 गुना मुआवजा, लखीमपुर खीरी कांड के अपराधियों को सजा, WTO से भारत की वापसी, बिजली संशोधन विधेयक 2020 रद्द हो, मिर्च और हल्दी जैसे मसालों के लिए राष्ट्रीय आयोग! नकली बीज, कीटनाशक, उर्वरक बनाने वाली कंपनियों पर सख्त दंड और जुर्माना, योजना के तहत साल में 200 दिन का रोजगार 100 के बजाय, 700 रुपये दैनिक मजदूरी, और योजना को कृषि से जोड़ा जाए। जल, वनों और भूमि पर आदिवासियों के अधिकार सुनिश्चित करें!

बता दे कि सरकार की ओर से क्या कहा जा रहा है कि 6 फरवरी को कृषि मंत्रालय को ईमेल भेजकर किसानों ने अपनी मांगें रखी थीं। 8 फरवरी को सरकार ने 10 किसान नेताओं से चंडीगढ़ में मुलाकात की थी, लेकिन कोई हल नहीं निकला। संयुक्त किसान मोर्चा SKM से जुलाई 2022 में टूटकर बना एक गुट है। इसके समन्वयक जगजीत सिंह डल्लेवाल हैं, जो पंजाब स्थित भारतीय किसान यूनियन BKU सिधुपुर के अध्यक्ष हैं। सभी फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी वाला कानून, स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के हिसाब से फसल मूल्य निर्धारण, किसानों और मजदूरों का पूरा कर्ज माफ, 2021 दिल्ली में विरोध प्रदर्शन के दौरान जिन किसानों की जान चली गई उनको मुआवजा और एक सदस्य को नौकरी, किसानों और मजदूरों को पेंशन!पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस बैठक में मध्यस्थता की थी। दूसरी बैठक सोमवार में मुख्यमंत्री मान शामिल नहीं थे। इस बैठक में 26 किसान नेताओं ने 3 मंत्रियों से मुलाकात की पर कोई समझौता नहीं हुआ। सरकार के साथ सोमवार रात बैठक में जब कोई बात नहीं बनी तब किसान यूनियन ने दिल्ली कूच जारी रखने का ऐलान किया। किसानों का यह विरोध प्रदर्शन 2020-21 के साल भर चले आंदोलन से इस बार कैसे अलग है। 250 से अधिक किसान संगठनों ने पंजाब से विरोध का आह्वान किया है। इनमें से करीब 100 यूनियन का समर्थन हासिल करने वाला किसान मजदूर मोर्चा KMM और अन्य 150 संगठनों का मंच संयुक्त किसान मोर्चा गैर-राजनीतिक शामिल है। ये किसान कई मांगों को लेकर विरोध कर रहे हैं।आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने किसानों को समर्थन दिया है। सोमवार बातचीत बेनतीजा रही और बैठक में कोई हल नहीं निकला। इस मीटिंग के बाद किसान नेताओं ने दिल्ली कूच जारी रखने का ऐलान कर दिया। वहीं किसानों को रोकने के लिए हरियाणा ने पंजाब से लगती सीमाओं को सील कर दिया है और सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है। किसान शंभू बॉर्डर तक पहुंचे हैं जहां उन्हें रोकने की कोशिश हरियाणा पुलिस की ओर से जारी है।

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