यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या हिमाचल के विक्रमादित्य योगी आदित्यनाथ की राह पर चल रहे हैं या नहीं! हिमाचल प्रदेश में शहरी विकास मंत्री विक्रमादित्य सिंह की अध्यक्षता 25 जनवरी को हुई बैठक में फॉस्ट फूड, रेहड़ी और ढाबों के मालिकों को अपनी दुकानों के बाहर पहचान पत्र लगाने का निर्देश दिया गया। विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि अभी हाल ही में उत्तर प्रदेश में भी रेहड़ी पटरी वालों को आईडी लगाने का आदेश दिया गया। अब हमने इसे अपने यहां भी मजबूती से लागू करने का फैसला किया है। इसके लिए स्ट्रीट वेडिंग कमेटी बनाई गई है, ताकि आने वाले दिनों में कोई भी ऐसा मामला प्रकाश में आए, तो पारदर्शिता के साथ उस पर कार्रवाई हो सके। खासबात है कि कुछ समय बाद ही इस मुद्दे पर सरकार में इसका विरोध दिखाई देने लगा। कांग्रेस के कुछ नेताओं ने खुलकर विरोध किया। उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि इससे आम व्यापारी, रेड़ी पटरी वाले, ढाबे वाले प्रताड़ित होंगे, यह कानून वापस होना चाहिए। हिमाचल प्रदेश में राज्य सरकार ने सिंह के बयान से खुद को अलग कर लिया और कहा कि ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
बीजेपी ने इस मुद्दे को हाथोंहाथ लेने में देर नहीं की। विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर ने दावा किया कि उसने इस कदम का विरोध इसलिए किया क्योंकि यह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ‘मॉडल’ है। जयराम ठाकुर ने कहा कि राज्य सरकार कांग्रेस आलाकमान के दबाव के आगे झुक गई है।
मंत्री विक्रमादित्य सिंह के इस बयान का हिमाचल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने समर्थन किया है। प्रतिभा सिंह ने विक्रमादित्य सिंह के बयान पर सहमति जताई। उन्होंने कहा कि सरकार ने यह फैसला किया है कि खाने की दुकान लगाने वाले लोगों की पहचान होनी चाहिए कि वे कौन हैं और कहां से आए हैं। इसके अलावा, जो सामान वे बेच रहे हैं, उसकी शुद्धता बनी रहे, इसलिए सरकार ने यह फैसला लिया है। विक्रमादित्य सिंह के इस फैसले को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। विक्रमादित्य सिंह ने कुछ समय पहले ही पार्टी के खिलाफ बागी रुख अख्तियार कर लिया था। उनके पार्टी छोड़ने की खबरें भी आईं थी। हालांकि, कांग्रेस आलाकमान ने इस असंतोष को किसी तरह से मैनेज कर लिया। अब विक्रमादित्य ने जिस तरह से फैसला लिया उससे सवाल उठ रहा है कि क्या विक्रमादित्य हिमाचल में सॉफ्ट हिंदुत्व की राह पर चल रहे हैं? विक्रमादित्य सिंह को योगी सरकार का मॉडल भा गया है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विक्रमादित्य को लग रहा है कि पार्टी को यदि राज्य में मजबूती हासिल करनी है तो उसे हिंदू वोटों को अपने पक्ष में सुनिश्चित करना होगा। जिस तरह से देव भूमि हिमाचल की जनता वहां की डेमोग्राफी के बदलाव को लेकर सड़कों पर विरोध कर रही है तो विक्रमादित्य को इसमें अपने लिए राजनीतिक भविष्य दिखाई दे रहा है। युवा मंत्री का मानना है कि हिमाचल में वोट बैंक को आकर्षित करने के लिए पार्टी को पर्याप्त हिंदू के रूप में देखा जाना चाहिए, नाराज शीर्ष नेताओं का मानना है कि यह कदम न केवल इसे भाजपा के समान बनाता है बल्कि योगी सरकार पर इसके हमलों की तीव्रता को भी कम करता है।
हिमाचल प्रदेश में 96 प्रतिशत हिंदू आबादी है। ऐसे में विक्रमादित्य सिंह समेत कई पार्टी के नेताओं के लिए धर्म का कार्ड खेलना या इस वोट बैंक को लुभाने वाले फैसलों का समर्थन करना राजनीतिक मजबूरी बन गया है। यही कारण है कि भले ही कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा में हिस्सा नहीं लिया, लेकिन हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुखू ने घोषणा की कि इस अवसर पर राज्य सरकार की इमारतों को सजाया जाएगा और दीये जलाए जाएंगे। सिंह, वास्तव में इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए अयोध्या गए थे।
इसके बाद कुसुम्पटी में मस्जिद और नमाज को लेकर विवाद गहरा गया। मंडी जिले में दशकों पुरानी एक मस्जिद को लेकर भी बवाल हुआ। रामपुर, सुन्नी और कुल्लू जिला मुख्यालय में भी ऐसे ही मामले देखने को मिले। इस सब के बीच कांग्रेस नेता विक्रमादित्य सिंह वक्फ बोर्ड के मुद्दे पर पार्टी लाइन से अलग बयान दिया। विक्रमादित्य इस कानून में सुधार के पक्ष में बयान दिया। लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने वक्फ बोर्ड में सुधार की जरूरत की बात कही। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में लिखा ‘हिमाचल और हिमाचलियत के हित सर्वश्रेष्ठ, सर्वत्र हिमाचल का संपूर्ण विकास। जय श्री राम! समय के साथ हर कानून में तब्दीली लाना आवश्यक है। वक्फ बोर्ड में भी बदलते समय के साथ सुधार की आवश्यकता है’।
कांग्रेस भाजपा के हिंदुत्व वाली छवि को लेकर उसे हमेशा घेरती रही है। कांग्रेस की तरफ से केंद्र सरकार और जिन राज्यों में बीजेपी की सरकार है उनके द्वारा लिए जा रहे फैसलों को लेकर कहा जाता है कि बीजेपी हिंदुत्व की अपनी सोच के साथ आगे बढ़ रही है। हिमाचल में वीरभद्र सिंह के बाद उनकी विरासत पत्नी प्रतिभा सिंह और उनके बेटे विक्रमादित्य सिंह के हाथों में है। प्रतिभा सिंह पार्टी की प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भी हैं। अब विक्रमादित्य जिस योगी मॉडल पर चल रहे हैं उससे कांग्रेस आलाकमान दुविधा में है। खास बात है कि प्रतिभा सिंह भी अपने बेटे के साथ खड़ी नजर आ रही है।
ऐसे में विक्रमादित्य का बागी रुख कांग्रेस के लिए भीतरखाने परेशानी का सबब बना हुआ है। पार्टी अपने पुराने सिपाही से नाता नहीं छोड़ना चाहती है। वहीं, पिछले कुछ समय से जिस तरह से विक्रमादित्य सिंह का रुख है, वह पार्टी के लिए निश्चित रूप से दुविधा वाला है। सूत्रों के हवाले से खबर यह भी है कि विक्रमादित्य सिंह की टिप्पणी से कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और पार्टी हाईकमान नाराज है। उन्हें हाईकमान ने दिल्ली तलब किया है। इस बीच प्रतिभा सिंह शनिवार को दिल्ली पहुंची। उन्होंने पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल से मुलाकात की। वेणुगोपाल ने विक्रमादित्य सिंह से बात की। वेणुगोपाल ने कहा कि मैंने उन्हें पार्टी की भावनाओं से अवगत कराया। इस पर विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि मीडिया ने उनके बयान को गलत तरीके से पेश किया।