Monday, December 23, 2024
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क्या पीएम मोदी पर है लाल कृष्ण आडवाणी को राजनीति से हटाने का आरोप?

पीएम मोदी पर लाल कृष्ण आडवाणी को राजनीति से हटाने का आरोप है! शनिवार का दिन भाजपा के फायरब्रैंड नेता रहे और देश के पूर्व डिप्टी पीएम लालकृष्ण आडवाणी के लिए किसी खास दिन से कम न था। उनके नेतृत्व में राजनीति का ककहरा सीखने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें उनके जीवन की सबसे बड़ी गुरू दक्षिणा दे दी। शिष्य यानी पीएम मोदी ने अपने गुरु आडवाणी को भारत रत्न से नवाजे जाने की जैसे ही खबर बताई, विपक्ष और तमाम आलोचकों के मुंह पर जैसे ही ताला लग गया। पीएम मोदी ने एक ही बार में यह मास्टरस्ट्रोक खेल सभी विरोधियों को चित कर दिया। आलोचकों या विरोधियों की एक आम राय बन चुकी थी कि जिस आडवाणी ने 2002 में गुजरात दंगों के बाद मोदी की सीएम की कुर्सी बचाई, उन्हें ही पीएम ने साइडलाइन कर रखा है। 22 जनवरी को राम मंदिर प्रतिष्ठा के दिन भी एलके आडवाणी की अनुपस्थिति ने सवाल खड़े किए। राम मंदिर आंदोलन का पुरोधा माने जाने वाले आडवाणी के न होने से सवाल उठे पर उनका न आना खराब स्वास्थ्य था। आडवाणी को भारत रत्न उन आलोचकों को जवाब भी है जो कहते थे कि मोदी ने अपने राजनीतिक गुरु को किनारे लगा दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार अपने आधिकारिक X हैंडल से बताया कि मुझे यह बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि श्री लालकृष्ण आडवाणी जी को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा। मैंने उनसे बात भी की और उन्हें यह सम्मान दिए जाने पर बधाई दी। पीएम मोदी ने आगे कहा, ‘हमारे समय के सबसे सम्मानित राजनेताओं में से एक, भारत के विकास में उनका योगदान अविस्मरणीय है। उनका जीवन जमीनी स्तर पर काम करने से शुरू होकर हमारे उपप्रधानमंत्री के रूप में देश की सेवा करने तक का है। उन्होंने गृह मंत्री और सूचना एवं प्रसारण मंत्री के रूप में भी अपनी पहचान बनाई। उनका संसदीय हस्तक्षेप हमेशा अनुकरणीय और समृद्ध अंतर्दृष्टि से भरा रहा है।’

एलके आडवाणी ने पीएम मोदी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का धन्यवाद किया। कहा कि इदं न मम,यह जीवन मेरा नहीं। मेरा जीवन मेरे राष्ट्र के लिए समर्पित है। आडवाणी ने आगे कहा कि आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) में शामिल होने के बाद से जीवन में मुझे जो भी जिम्मेदारी मिली, उसे निभाते हुए अपने प्रिय देश की समर्पित और निस्वार्थ सेवा करने में ही मुझे खुशी मिली। आडवाणी पार्टी के सबसे प्रमुख नेताओं में से एक हैं, जिन्होंने 1990 में राम जन्मभूमि आंदोलन के जरिए बीजेपी को राजनीतिक रुप से स्थापित किया। उन्होंने 1980 में पार्टी की सह-स्थापना की और तीन बार पार्टी अध्यक्ष रहे।

पीएम मोदी ने शनिवार को जैसी ही आडवाणी को भारत रत्न देने की बात बताई, आलोचकों को तो जैसे सांप सूंघ गया। 2014 के बाद से अबतक और विशेषकर इस कार्यकाल में विरोधी हों या कोई और, हमेशा पीएम मोदी पर यह आरोप लगाते आए हैं कि उन्होंने अपने राजनीतिक गुरू को साइडलाइन कर दिया। लेकिन यहां कहां तक सच है यह वही लोग जानें। हालांकि यह सच है कि लालकृष्ण आडवाणी सांसदी से रिटायर होने के बाद भारतीय जनता पार्टी के किसी भी बड़े कार्यक्रम में कम ही दिखाई पड़े हैं। लेकिन इसके मतलब निकाले गए कि मोदी ने ही उन्हें किनारे लगा दिया। यह समझना भी जरूरी है कि लालकृष्ण आडवाणी उम्र के जिस पड़ाव पर हैं, उनके लिए हर जगह आना जाना संभव नहीं है। राम मंदिर आंदोलन के जनक और अटल सरकार में डिप्टी पीएम रहे आडवाणी के लिए अब चीजें उतनी आसान नहीं रह गई हैं। 22 जनवरी को उन्हें न्योता न दिए जाने पर भी खूब हंगामा मचा था। वहां भी निशाने पर मोदी ही थे। वीएचपी ने आलोचनाओं को विराम देते हुए आडवाणी को उनके दिल्ली वाले घर जाकर न्योता दिया था जिसे बीजेपी के इस कद्दावर नेता ने स्वीकारा भी था। एलके आडवाणी ने हालांकि बाद में स्वास्थ्य का हवाला देते हुए अयोध्या आने से इनकार कर दिया था।

यह भी सच है कि पीएम मोदी हर साल लालकृष्ण आडवाणी के जन्मदिन पर उनके घर जाना और आशीर्वाद लेना नहीं भूलते। आडवाणी भी उनसे उसी तरह खुशी-खुशी मिलते हैं। आलोचक चाहे जो भी बोलें लेकिन, एलके आडवाणी और उनकी पुत्री प्रतिभा आडवाणी की ओर से कभी भी साइडलाइन या किनारे लगाए जाने कि किसी भी बात पर सहमति नहीं जताई गई। यह भी सच है कि 2002 के गुजरात दंगों के बाद, नरेंद्र मोदी पर तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी सहित कई नेताओं का दबाव था कि वे मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दें। आडवाणी ने सार्वजनिक रूप से मोदी का बचाव करते हुए कहा था कि दंगों के लिए पूरी तरह से मोदी को जिम्मेदार ठहराना गलत होगा। उन्होंने कहा था कि मोदी ने दंगों को रोकने के लिए हरसंभव प्रयास किए थे। एलके आडवाणी ने पार्टी के अंदर मोदी के लिए समर्थन जुटाया। उन्होंने कई नेताओं को समझाया कि मोदी एक लोकप्रिय नेता हैं और उन्हें हटाने से पार्टी को नुकसान होगा। बता दें कि आडवाणी के मित्र और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई को भी भारत रत्न दिया जा चुका है।

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