यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या उत्तर प्रदेश के ठाकुर बीजेपी से नाराज है या नहीं! यूपी की मुजफ्फरनगर समेत कई सीट पर अंदरूनी कलह बीजेपी को नुकसान पहुंचा सकती है। वहीं पहले चरण से ठीक पहले क्षत्रिय समाज की नाराजगी ने भारतीय जनता पार्टी को मुश्किलों में डाल दिया है। उधर ठाकुरों की नाराजगी दूर करने के लिए बीजेपी ने सीएम योगी आदित्यनाथ और रक्षा मंत्री व लखनऊ से उम्मीदवार राजनाथ सिंह को मैदान में उतार दिया है। वहीं इसको लेकर सपा मुखिया अखिलेश यादव समेत कई विपक्षी दलों ने हमला बोल दिया है। दरअसल यूपी, एमपी और गुजरात समेत कई राज्यों में बीजेपी की ताकत का आधार क्षत्रिय समाज का साथ आना माना जाता है। राजनीतिक गलियारों में क्षत्रियों को लेकर यहां तक कहा जाता है कि ठाकुर नेता भले ही शारीरिक रूप से किसी अन्य दल के साथ खड़ा हो लेकिन उसका मन बीजेपी के साथ होता है। यही वजह है कि बीजेपी पर समय समय पर सवर्णों की पार्टी होने का टैग भी लगा है। वहीं क्षत्रिय समाज से आने वाले योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद ठाकुर बिरादरी पूरी तरह से बीजेपी के साथ जुड़ गई है। यूपी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह तक ठाकुर बिरादरी से आते हैं। लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले ठाकुर बिरादरी बीजेपी से नाराज बताई जा रही है।
बीजेपी के टिकट बंटवारे के बाद क्षत्रिय बिरादरी की नाराजगी बढ़ती जा रही है। इसको लेकर पश्चिमी यूपी में कई जगहों पर महापंचायते भी हो चुकी है। जिसमें ठाकुरों ने बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। खबरों की माने तो सहारनपुर के ननौत गांव, मेरठ के कपसेड़ा और गाजियाबाद के धौलाना में पंचायतें हुई हैं। इसके अलावा बीते दिनों जेवर में भी पंचायत हुई थी। दावा किया जा रहा है कि इन पंचायत में पश्चिमी यूपी के साथ-साथ हरियाणा राजस्थान और दिल्ली से भी लोग बड़ी संख्या में इकट्ठा हुए थे। इन पंचायतों में सहारनपुर से लेकर नोएडा तक किसी भी ठाकुर नेता को टिकट ना दिए जाने पर विरोध जताया गया है। गाजियाबाद से जनरल वीके सिंह का टिकट कटने से लोगों में नाराजगी है। इतना ही नहीं, मेरठ और सहारनपुर मंडल से टिकट ना मिलने से भी क्षत्रिय समाज में नाराजगी है।
वहीं चुनाव के समय में क्षेत्रीय समाज की बीजेपी के खिलाफ नाराजगी की यूं तो कई वजहें हैं उसमें से एक मोदी सरकार में मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला का बयान भी माना जा रहा है। मंत्री पुरुषोत्तम ने एक कार्यक्रम में कहा था कि जब ठाकुर राजाओं ने हथियार डाल दिये थे और अंग्रेजो से हाथ मिला लिया था तब दलितों ने हथियार उठा और लड़ाई को जारी रखा था हालांकि क्षत्रिय समाज की नाराजगी के बाद मोदी सरकार के मंत्री ने माफी भी मांग ली थी लेकिन लगातार हो रहे विरोध के बाद यह माना जा रहा है कि क्षत्रियों की नाराजगी अभी शांत नहीं हुई है। वही ठाकुरों की नाराजगी की एक वजह सम्राट मिहिर भोज को गुर्जर बताना भी बताया जा रहा है।
यूपी में राजपूतों की आबादी 10% के करीब है इतना ही नहीं 80 लोकसभा सीट में से 15 सीट पर क्षत्रिय समाज का मजबूत दखल है। लेकिन उसके बाद पश्चिमी यूपी की 26 सीटों में से केवल मुरादाबाद सीट पर ही ठाकुर प्रत्याशी को मैदान में उतारा है। वहीं गाजियाबाद सीट से जनरल वीके सिंह का टिकट काट दिया है। इसी वजह से बीजेपी कैसरगंज सीट से सांसद बृज भूषण शरण सिंह का टिकट नहीं काट पा रही है। संगीत सोम जैसे फायर ब्रांड नेताओं को टिकट न मिलाना भी एक नाराजगी का एक कारण है। मेरठ और सहारनपुर में 2.5 लाख ठाकुर वोटर है। जबकि गाजियाबाद में 3 लाख के आसपास ठाकुर वोटर है। मुरादाबाद में 2 लाख और अलीगढ़ में डेढ़ लाख वोटर है। बाकी अन्य सीटों पर भी ठाकुर बिरादरी के वोटर ठीकठाक संख्या में हैं।
उधर बीजेपी व सहयोगी दलों को मिलाकर अबतक यूपी की लगभग 10 लोकसभा सीटों पर ठाकुर बिरादरी के कैंडिडेट को उतारा गया है। जिसमें लखनऊ लोकसभा सीट से राजनाथ सिंह, मैनपुरी सीट से ठाकुर जयवीर सिंह, मुरादाबाद लोकसभा सीट से कुमार सर्वेश सिंह और बलिया लोकसभा सीट से नीरज शेखर को उम्मीदवार बनाया गया है। इसके अलावा डुमरियागंज लोकसभा सीट से जगदंबिका पाल, जौनपुर सीट से कृपा शंकर सिंह, गोंडा लोकसभा सीट से कीर्तिवर्धन सिंह को टिकट दिया गया है साथ ही फैजाबाद सीट से लल्लू सिंह, हमीरपुर सीट से पुष्पेंद्र सिंह चंदेल और अकबरपुर सीट से देवेंद्र सिंह भोले को कैंडिडेट घोषित किया गया है। फिलहाल कई सीटों पर अभी उम्मीदवारों की घोषणा होना बाकी है।