Wednesday, January 15, 2025
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क्या रूस यूक्रेन युद्ध होने वाला है समाप्त?

यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या रूस यूक्रेन का युद्ध समाप्त होने वाला है या नहीं! नरेंद्र मोदी भारत के पहले प्रधानमंत्री हैं जो पहली बार यूक्रेन का दौरे पर जा रहे हैं। 1991 में सोवियत संघ के विघटन से यूक्रेन अस्तित्व में आया था। तब से किसी भारतीय प्रधानमंत्री ने यूक्रेन का दौरा नहीं किया है। पीएम मोदी पिछले महीने 8-9 जुलाई को रूस में थे। उन्होंने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ 22वें भारत-रूस वार्षिक सम्मेलन में भाग लिया था। पश्चिमी देशों को पीएम मोदी का यह रुख नहीं भाया। हालांकि, मोदी अब यूक्रेन भी जा रहे हैं। रूस और यूक्रेन के बीच पीएम मोदी के दौरे के बीच सिर्फ डेढ़ महीने का अंतर है। तो क्या इसके पीछे कोई बड़ा संकेत है? क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ढाई साल पहले शुरू हुए रूस-यूक्रेन युद्ध के अंत की स्क्रिप्ट तैयार कर ली है? क्या उन्होंने अपनी स्क्रिप्ट पर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुहर लगवा ली और अब यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की के सामने इसे पेश करने जा रहे हैं? ये सवाल इसलिए काफी गंभीर हैं क्योंकि दुनिया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आस जता चुकी है कि वो चाहें तो रूस-यूक्रेन युद्ध खत्म करवाने की राह तैयार कर सकते हैं। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस हों या अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी समेत कई ताकतवर देशों के राष्ट्राध्यक्ष, सभी ने वक्त-वक्त पर यह इच्छा जरूर जताई कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म करवाने की पहल करें। सभी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वैश्विक स्तर पर स्वीकार्य और रूस-यूक्रेन के बीच मध्यस्था के पूरी तरह मुफीद माना है। लेकिन सूत्रों का कहना है कि भारत रूस-यूक्रेन के बीच कोई मध्यस्थता नहीं करेगा। हां, दोनों देशों को एक-दूसरा के संदेश जरूर आदान-प्रदान कर सकता है और वो करेगा भी। ये कूटनीति की भाषा है। कूटनीति की दुनिया में ऐसे ही नपे-तुले और बिल्कुल सधे शब्दों का सहारा लिया जाता है। जैसा कि दुनियाभर के ताकतवर नेता खुलकर स्वीकार करते हैं कि मोदी विश्व पटल पर एक प्रभावी शख्सियत हैं तो फिर वो रूस गए, इसलिए किसी दबाव में सिर्फ संतुलन साधने के लिए यूक्रेन तो नहीं जा रहे होंगे? बस डेढ़ महीने के अंतर पर दोनों देशों की यात्रा के पीछे मकसद कुछ तो बड़ा होगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 23 अगस्त को यूक्रेन पहुंचेंगे और वहां राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की से मुलाकात करेंगे। 20 फरवरी, 2022 को शुरू हुए युद्ध के बाद जेलेंस्की से कभी फोन पर बात तो कभी अन्य कार्यक्रमों में मुलाकात तो हुई, लेकिन मोदी कभी यूक्रेन नहीं गए। पिछले महीने जेलेंस्की के चीफ ऑफ स्टाफ एंद्री यरमक ने भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एनएसए अजित डोभाल के साथ फोन पर हुई बातचीत में कहा था कि पीएम मोदी यूक्रेन में शांति स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

रूस-यूक्रेन युद्ध पर भारत का स्टैंड यह है कि दोनों देशों के आपसी बातचीत से निकला कोई ऐसा रास्ता ही एकमात्र समाधान हो सकता है जो दोनों को स्वीकार्य हो। इसीलिए विदेश मंत्रालय कह रहा है कि भारत मध्यस्थता नहीं करेगा लेकिन एक-दूसरे के संदेश एक-दूसरे से साझा जरूर करेगा। पीएम मोदी ने रूस में राष्ट्रपति पुतिन से साफ-साफ शब्दों में कहा था कि युद्ध के मैदान में समाधान नहीं ढूंढा जा सकता है। अब वो राष्ट्रपति जेलेंस्की से भी दोटूक अंदाज में अपनी बात रख देंगे। जेलेंक्सी के ऑफिस की तरफ से जारी संदेश में कहा गया है कि हमारे द्विपक्षीय संबंधों के इतिहास में भारतीय प्रधानमंत्री का यह पहला दौरा है। इस दौरान हम द्विपक्षीय और परस्पर सहयोग के मुद्दों पर बातचीत करेंगे। यूक्रेन और भारत के बीच कई दस्तावेजों पर हस्ताक्षर की भी उम्मीद है।

इससे पहले जेलेंस्की ने मोदी के पुतिन के साथ गले मिलने पर मायूसी का इजहार किया था। उन्होंने कहा था कि शांति के प्रयासों को इससे बड़ा झटका लगा है। दरअसल, तब रूसी मिसाइल से यूक्रेन में बच्चों का एक अस्पताल ध्वस्त हो गया था। रूसी हमले में 37 लोग मारे गए थे जिनमें तीन बच्चे भी थे जबकि 13 बच्चों समेत 170 लोग घायल हो गए थे।अजित डोभाल के साथ फोन पर हुई बातचीत में कहा था कि पीएम मोदी यूक्रेन में शांति स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। जेलेंस्की का जख्म ताजा था और उन्होंने मोदी-पुतिन को गले मिलती तस्वीर देखी तो एक्स पर पोस्ट के जरिए मायूसी का इजहार किया। तब अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता ने भी भारत का रूस के साथ संबंध पर चिंता व्यक्त की थी।

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