अगर बात आज प्लाटिक की करे तो लगभग हर घर में या यूकहे पूरे देश में उसका व्यापक इस्तेमाल हो रहा है। ये लोहे का अच्छा विकल्प है पर हम इस विकल्प को इतना इस्तेमाल करते है की शायद इसका अंदाजा लगाना भी मुस्किल है। हम हर साल लाखों टन सिंगल यूज़ प्लास्टिक का उत्पादन करते है जिसको पुनर्नवीनीकरण नहीं किया जा सकता है। single use plastic में प्लास्टिक की थैलियां, पॉलीथिन, straws, प्लास्टिक के गिलास, प्लास्टिक के सोडा और पानी की बोतलें और खाद्य पैकेजिंग आइटम आदि शामिल हैं। ये single use plastic केवल एक बार उपयोग किए जाते हैं और फिर रीसायकल (recycle) के लिए कचरे के रूप में फेंक दिए जाते हैं।
प्लास्टिक की थैलियां का इस्तेमाल क्यों है खतरनाक
हम लोग ज्यादातर प्लास्टिक की थैलियां का इस्तेमाल करते हैं जो की बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक से नहीं बना हैं और आमतौर पर ये जमीन के अंदर चले जाते हैं जहां यह दब जाता है और धीरे-धीरे पानी में चला जाता है। कुछ दिनों के बाद विभिन्न तरीकों से यह समुद्र में चला जाता है। वे मिट्टी और जल निकायों में प्रवेश करते हैं और छोटे कणों में टूट जाते हैं, लेकिन वे विघटित नहीं होते हैं। single use plastic सौ से अधिक वर्षों तक मिट्टी और पानी में रहते हैं और विषाक्त रसायनों को छोड़ते हैं और इस तरह हमारे सुंदर ग्रह और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं।
प्लास्टिक की थैलियां (Plastic bags) जो जल निकायों में प्रवेश करती हैं, जल प्रदूषण का एक प्रमुख कारण हैं और इस प्रकार हमारे पर्यावरण को हर संभव तरीके से खराब कर रही हैं।Single use plastic का उपयोग मनुष्य, जानवरों और समुद्री जीवों के लिए बहुत हानिकारक है। जल निकायों में या समुद्री जलीय जंतु अपने भोजन के साथ प्लास्टिक के कणों का सेवन करते हैं। प्लास्टिक को पचाया नहीं जा सकता है और इस तरह यह उनकी आंत में फंस जाता है और गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न होती हैं।प्लास्टिक की थैलियों का उत्पादन जो single use plastic है विषाक्त पदार्थों को छोड़ता है जो इसके उत्पादन में शामिल लोगों में गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है। प्लास्टिक पर्यावरण प्रदूषण के प्रमुख कारणों में से एक है। प्रदूषित वातावरण मानव में विभिन्न रोगों का एक प्रमुख कारण है।
क्यों जरूरी है singal use plastic को बैन करना।
जलवायु परिवर्तन के परिणाम स्वरूप बिगड़ता पर्यावरण सम्पूर्ण विश्व के लिए सबसे बड़ी चिंता का विषय है. ऐसे में प्लास्टिक से पैदा होने वाले प्रदूषण को रोकना एक बहुत बड़ी चुनौती है. प्रत्येक साल कई लाख टन Single use plastic का उत्पादन (produce) हो रहा है, जो कि मिट्टी में नहीं घुलता-मिलता (Biodegradable) है. इसलिए विश्व भर के देश सिंगल यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल को रोकने के लिए कठोर रणनीति बना रहे हैं. जिससे Single use plastic से उत्पन्न होने वाली बीमारियों एवं प्रदूषण पर नियंत्रण किया जा सके। हाल ही में केंद्र सरकार ने इस दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए देश भर में सिंगल यूज प्लास्टिक को प्रतिबंधित करने का निर्णय लिया है। इससे पर्यावरणविद एक अच्छा कदम मान रहे है वही भारत की पर्यावरण को लेकर चिंता दुनिया में एक अच्छा सन्देश पहुंचाने का काम करेगी। सिंगल यूज प्लास्टिक और प्रतिबंध के कारण: सिंगल-यूज प्लास्टिक, या डिस्पोजेबल प्लास्टिक, केवल एक बार उपयोग किए जाने से पहले उन्हें फेंक दिया जाता है या पुनर्नवीनीकरण किया जाता है। प्लास्टिक इतना सस्ता और सुविधाजनक है कि इसने पैकेजिंग उद्योग की अन्य सभी सामग्रियों की जगह ले ली है लेकिन इसे विघटित होने में सैकड़ों साल लग जाते हैं। आंकड़ों पर नजर डालें तो हमारे देश में हर साल पैदा होने वाले 9.46 मिलियन टन प्लास्टिक कचरे में से 43 फीसदी सिंगल यूज प्लास्टिक है।
इसके अलावा, पेट्रोलियम आधारित प्लास्टिक गैर बायोडिग्रेडेबल है और आमतौर पर एक लैंडफिल में चला जाता है जहां इसे दफनाया जाता है या यह पानी में मिल जाता है और समुद्र में अपना रास्ता खोज लेता है। टूटने की प्रक्रिया में, यह जहरीले रसायनों (ऐसे योजक जो प्लास्टिक को आकार देने और सख्त करने के लिए उपयोग किए जाते थे) को छोड़ते हैं जो हमारे भोजन और पानी की आपूर्ति में अपना रास्ता बनाते हैं। सिंगल यूज प्लास्टिक वस्तुओं के कारण प्रदूषण सभी देशों के सामने एक महत्वपूर्ण पर्यावरणीय चुनौती बन गया है और भारत सिंगल यूज प्लास्टिक के कूड़े से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए कार्रवाई करने के लिए प्रतिबद्ध है। 2019 में चौथी संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा में, भारत ने एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक उत्पादों के प्रदूषण को संबोधित करने पर एक प्रस्ताव पेश किया। भारत के प्रधान मंत्री को 2018 में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) द्वारा 2022 तक सभी एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक को खत्म करने का संकल्प लेने के लिए “चैंपियंस ऑफ द अर्थ” पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
इस सम्मान के संकल्प को सिद्ध करने और भारत को पर्यावरण को बचाने के संकल्प को
लेकर पीएम मोदी ने इस दिशा में बड़ा कदम है।जो न केवल भारत को बल्कि विश्व को पर्यावरण संरक्षण में एक मील का पत्थर साबित होगा।