Friday, April 19, 2024
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Padma Awards 2022: कौन हैं 126 साल के स्वामी शिवानंद, सम्मान में खुद झुक गए प्रधानमंत्री

पद्म पुरस्कार:- 126 वर्षीय काशी के योग शिक्षक योगी शिवानंद को पद्म सम्मान से सम्मानित, सम्मान में खुद झुक गए प्रधानमंत्री

योग शिक्षक योगी शिवानंद को पद्म सम्मान

 जब राष्ट्रपति भवन के महल नुमा दरबार हॉल में नंगे पांव चलते हुए 126 वर्षीय स्वामी शिवानंद आए तो उनके लिए सभी लोग खड़े हो गए। योग गुरु ने इस दौरान सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने और फिर राष्ट्रपति के सामने साष्टांग प्रणाम किया। जिसके बाद 126 वर्षीय काशी के योग शिक्षक योगी शिवानंद को पद्म सम्मान से सम्मानित किया गया।126 बसंत देख चूके गुरू जी की ये विनम्रता हम सभी के लिए प्रेरणादायक है। सादर प्रणाम! उनकी यह विनम्रता देखकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उन्हें झुककर प्रणाम किया।

स्वामी शिवानंद की विनम्रता

वाराणसी के 126 वर्षीय स्वामी शिवानंद जब पद्मश्री लेने पहुंचे तो उन्होंने कुछ ऐसा किया कि पूरा हाल तालियों की आवाज से गूंज उठा। स्वामी शिवानंद ने राष्ट्रपति भवन में पुरस्कार लेने से पहले 3 बार शीश नमन किया। योग गुरु ने पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने साष्टांग प्रणाम किया, उनकी यह विनम्रता देखकर प्रधानमंत्री ने भी उन्हें शीश झुका कर प्रणाम किया। इसके बाद स्वामी शिवानंद ने राष्ट्रपति के आगे भी झुककर प्रणाम किया। इस बीच राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपना कदम आगे बढ़ा कर उन्हें उठाया और सम्मानित किया। स्वामी शिवानंद कि यह विनम्रता का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।

 

25 जनवरी को केंद्र सरकार ने गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर पद्म पुरस्कारों का एलान किया था। कुल 128 नामों का चयन किया गया था। इन 128 नामों में से एक नाम स्वामी शिवानंद का भी है, जिन्हें योग कि क्षेत्र में योगदान देने के लिए पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। जब राष्ट्रपति भवन के महल नुमा दरबार हॉल में नंगे पांव चलते हुए 126 वर्षीय स्वामी शिवानंद आए तो उनको सम्मानित करने के लिए पूरी ऑडियंस स्टैंडिंग ओवेशन दी। स्वामी शिवानंद मानव कल्याण के लिए अपना जीवन समर्पित करते हुए पिछले 50 वर्षों से पुरी में कुष्ठ प्रभावित लोगों की सेवा कर रहे हैं।

 

जाने कौन है स्वामी शिवानंद?

स्वामी शिवानंद का जन्म का जन्म अविभाजित भारत के सिलहट जिले में 8 अगस्त 1896 को हुआ था। स्वामी शिवानंद ने 6 साल की उम्र में अपनी मां – पिता को खो दिए थे। इनका बचपन गरीबी में गुजरा है। उनके माता पिता के मृत्यु के बाद उन्हें पश्चिम बंगाल के नवदीप में उनके गुरु जी के आश्रम में लाया गया। जहां गुरु ओंकारनंद गोस्वामी ने उनका पालन पोषण किया। ओंकारनंद गोस्वामी ने स्वामी शिवानंद को बिना स्कूली शिक्षा के योग सहित सभी व्यवहारिक और आध्यात्मिक शिक्षा दी।

 

पिछले 50 वर्षों से स्वामी शिवानंद पूरी में 400 से 600 कुष्ठ प्रभावित भिखारियों से व्यक्तिगत रूप से उनकी झोपड़ियों में मिलकर उनकी सेवा कर रहे हैं। उनको 2019 में बेंगलुरु में योग रत्न पुरस्कार सहित विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। बस इतना ही नहीं उन्हें 21 जून 2019 को विश्व योग दिवस पर योग प्रदर्शन में देश के सबसे वरिष्ठ प्रतिभागी थे। 30 नवंबर 2019 को समाज में उनके योगदान के लिए उन्हें रिस्पेक्ट एज इंटरनेशनल द्वारा वसुंधरा रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

 

स्वामी शिवानंद के इस उम्र में भी उनके स्वास्थ्य को लेकर लोग आश्चर्यचकित रह जाते हैं। 126 साल की उम्र में खुद का टीकाकरण करने के बाद देशवासियों को कोविड-19 करने के लिए प्रेरित भी किया था।

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