नई दिल्ली सोमवार को काशी के 125 वर्षीय योग गुरु स्वामी शिवानंद को योग के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद से पद्म श्री पुरस्कार मिला। स्वामी शिवानंद को योग सेवक के नाम से भी जाना जाता है। इस दौरान वह राष्ट्रपति और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के सामने नतमस्तक हुए राष्ट्रपति कोविंद ने योग के लिए स्वामी शिवानंद को पद्मश्री प्रदान किया। मानव कल्याण के लिए अपना जीवन समर्पित करते हुए, वह पिछले 50 वर्षों से पुरी में कुष्ठ प्रभावित लोगों की सेवा कर रहे हैं। 1896 में जन्मे, उनके स्वस्थ और लंबे जीवन ने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों का ध्यान आकर्षित किया है। केंद्र सरकार ने 25 जनवरी को गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर पद्म पुरस्कारों का एलान किया था। कुल 128 नामों का चयन किया गया था। पद्म पुरस्कारों से सम्मानित लोगों को सोमवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मेडल और प्रमाण-पत्र प्रदान किये। इन 128 नामों में एक नाम स्वामी शिवानंद का भी है, जिन्हें योग के क्षेत्र में योगदान के लिए पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। जब राष्ट्रपति भवन के महलनुमा दरबार हॉल में नंगे पांव चलते हुए 125 वर्षीय स्वामी शिवानंद आए तो उनको स्टैंडिंग ओवेशन मिला।
मानव कल्याण के लिए अपना जीवन समर्पित करते हुए स्वामी शिवानंद पिछले 50 वर्षों से पुरी में कुष्ठ प्रभावित लोगों की सेवा कर रहे हैं। स्वामी शिवानंद सोमवार को जब पुरस्कार लेने पहुंचे तो उन्होंने सबसे पहले प्रधानमंत्री मोदी को प्रणाम किया. इसके बाद पीएम मोदी ने भी कुर्सी से उठकर उन्हें प्रणाम किया. प्रधानमंत्री जैसे ही कुर्सी से उठे, उनके इर्द गिर्द बैठे सभी लोग उठ खड़े हुए. वहीं, इसके बाद स्वामी शिवानंद पुरस्कार लेने पहुंचे तो उन्होंने सिर झुकाकर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को प्रणाम किया. इसके बाद राष्ट्रपति कोविंद अपनी कुर्सी से उठकर सीढ़ी से नीचे उतर आए और स्वामी शिवानंद को हाथ पकड़कर उन्हें गले से लगा लिया और फिर उन्हें अवार्ड दिया.पिछले 50 वर्षों से स्वामी शिवानंद पुरी में 400-600 कुष्ठ प्रभावित भिखारियों से व्यक्तिगत रूप से उनकी झोपड़ियों में मिल कर उनकी सेवा कर रहे हैं। स्वामी शिवानंद को 2019 में बेंगलुरु में योग रत्न पुरस्कार सहित विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। इतना ही नहीं वह 21 जून 2019 को विश्व योग दिवस पर योग प्रदर्शन में देश के सबसे वरिष्ठ प्रतिभागी थे। 30 नवंबर 2019 को समाज में उनके योगदान के लिए उन्हें रेस्पेक्ट एज इंटरनेशनल द्वारा वसुंधरा रतन पुरस्कार से सम्मानित किया गया।