Friday, November 22, 2024
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क्रिकेट प्रेम से शादी टूटने तक का सफर ,बहुत कुछ शामिल है लता दीदी के जीवन के विरासत मे

भारत रत्न’ स्वर कोकिला लता मंगेशकर अब हमारे बीच में नहीं रहीं. 92 साल की उम्र में लता मंगेशकर ने रविवार (6 फरवरी, 2022) को मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में अंतिम सांस ली. कोरोना वायरस से पीड़ित होने के बाद लता मंगेशकर को 8 जनवरी को अस्पताल में भर्ती करवाया गया था, तभी से वह वहां थीं. लेकिन ये जीवन  रूपी रथ  आज यानि 6 फरवरी को  रूक गया और  लता मंगेशकर ने इस दुनिया से विदाई ली.अपनी सुरीली आवाज से विश्वभर में परचम लहराने वाले  लता दीदी के इस दुनिया से चले जाने के बाद उनके चाहनेवालों और देशभर में शोक की लहर दौड़ गई है. हर कोई आंखों में आंसू लिए निशब्द है. लेकिन आज हम स्वर कोकिला के जीवन के बारे में जानकर उन्हें याद करेंगे. आपको बता दें कि जिन लता मंगेशकर को आप ‘स्वर सम्राज्ञी’ के तौर पर जानते हैं.  उनका क्रिकेट जगत से भी नाता रहा है.

कोकिला, इंडियन नाइटेंगेल, दीदी एक नहीं अनेक नामों से मशहूर प्रसिद्ध गायिका लता मंगेशकर कौन है ,और उनकी बचपन की कहानिया

1929 को जन्मी लता दीदी का नाम उनके पिता दीनदयाल मंगेशकर ने पहले हेमा रखा था. लेकिन होनी को तो कुछ और ही मंजूर था. अगर वो हेमा रहती तो ‘लता दीदी’ कैसे बनती. उनके पिता ने पांच साल की उम्र में उनका नाम बदलकर लता रख दिया.

आपको जानकर हैरानी होगी कि लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) महज एक दिन के लिए ही स्कूल गई थी. दरअसल, हुआ यूं कि लता दीदी अपने स्कूल के पहले दिन अपनी बहन आशा भोसले को साथ ले गई. ये देखते ही उनके अध्यापक भड़क उठे और उन्हें कहा कि आशा भोसले (Asha Bhosle) की स्कूल फीस भी देनी होगी. जिसे सुनकर लता दीदी काफी आहत हुई और उन्होंने कभी स्कूल न जाने का फैसला किया. हालांकि, स्वर सम्राज्ञी को बाद में छह विश्वविद्यालयों में मानक उपाधि से सम्मानित किया गया. जिनमें न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी भी शामिल है. लता दीदी ने अपने गायन प्रतिभा को उन ऊंचाइयों पर पहुंचाया कि उन्हें भारत रत्न और दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से नवाजा गया. जिसके बाद वो फिल्म इंडस्ट्री में ये सम्मान पाने वाली पहली महिला बन गई.

 लता जी का  क्रिकेट प्रेम  कैसा था , आखिरकार

साल 1983, भारत के लिए क्रिकेट के इतिहास का  सबसे बडा साल .इस साल के बिना भारत के   क्रिकेट का महान यात्रा पूरी नहीं की जा सकती है .  वर्ल्ड कप में भी जब कपिल देव  की टीम विश्व चैंपियन बनकर जब अपने देश लौटी . उस वक्त  भारत के क्रिकेट बोर्ड के  पास  भारतीय टीम के लिए प्राइज मनी  देने तक का  रूपया नहीं था . आपको बता दें उस वक्त बीसीसीआई के पास इतना धन नहीं था कि  वह  अपने की खिलाड़ियों को पुरस्कार  दे कर उनका मनोबल और  बड़ा कर सके.  लेकिन आज वही बीसीसीआई सबसे अधिक धन वाला  बोर्ड बन गया है .

बहरहाल ,आज हम लोग  के पास ऐसी ही उनकी एक सुनहरी याद क्रिकेट को लेकर भी है. दरअसल लता मंगेशकर हमेशा ही क्रिकेट से काफी जुड़ी रहती थीं, बीसीसीआई के तत्कालीन अध्यक्ष एनकेपी साल्वे खिलाड़ियों को पुरस्कार देना चाहते थे ऐसे में उन्होंने लता मंगेशकर से मदद मांगी वर्ल्ड चैंपियन बनने पर टीम के लिए दिल्ली के इंदिरा गांधी इनडोर स्टेडियम में लता मंगेशकर ने कॉन्सर्ट किया.यह कॉन्सर्ट काफी हिट रहा और इससे 20 लाख रुपए की कमाई हुई. बाद में उस पैसे से ही भारतीय टीम के सभी खिलाड़ियों को एक-एक लाख रुपए की प्राइज मनी  दी गई .लता मंगेशकर द्वारा  दिए गए एक इंटरव्यू के मुताबित 1983 वर्ल्ड कप को देखने के लिए वह खुद स्टेडियम में गई थीं उन्होंने बताया था कि, ‘तनाव से भरा माहौल था लेकिन जैसे-जैसे मैच आगे बढ़ने लगा मुझे भारत की जीत पर पूरा भरोसा हो गया था. मुकाबले से पहले पूरी टीम से मैं मिली थी. सभी खिलाड़ियों ने कहा था कि हम मैच जीतेंगे”

भारतीय टीम ने अपने ट्विटर  हैंडेल से ट्वीट किया  और वेस्टइंडीज के खिलाफ पहले वनडे से पूर्व एक मिनट का मौन रखते हुए लता मंगेशकर को श्रद्धांजलि भी दी. इससे पहले पिच रिपोर्ट के दौरान सुनील गावस्कर ने भी उन्हें श्रद्धांजलि दी थी.

गौरतलब है कि उन दिनों दीदी लंदन में  ही  थीं। उसी दौरान उन्होंने भारत और वेस्टइंडीज का वर्ल्ड कप फाइनल लॉर्ड्स के स्टेडियम में जाकर देखा था .भारतीय टीम के सभी खिलाड़ियों को उन्होंने फाइनल से पहले और विश्व चैंपियन बनने के बाद खाने पर भी आमंत्रित किया था. उन्हें क्रिकेट और क्रिकेटर्स से गहरा लगाव था.

लता दीदी को जहर कौन दिया था

लता दीदी (Lata Mangeshkar) के आखिरी समय में उनके स्वस्थ्य होने की प्रार्थना हर कोई कर रहा था. उन्हें कभी किसी ने जहर देने की कोशिश की थी. जी हां, इस बात का जिक्र लता की बेहद करीबी पदमा सचदेव (Padma Sachdev) ने अपनी किताब ‘Aisa Kahan Se Lauen’ में किया. जिसमें उन्होंने बताया कि साल 1962 में उन्हें किसी ने स्लो प्वॉइजन देने की कोशिश की थी. हालांकि, आज तक पता नहीं चला कि आखिर वो कौन था.

लता जी  के दिल के सबसे करीब रहने वाला फिल्म्स  कौन थे

लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) स्वर सम्राज्ञी होने के साथ-साथ फिल्मों की भी दीवानी थी. उनकी कई फेवरेट फिल्में थी. जिनमें ‘शोले’, ‘सीता और गीता’, ‘दिलवाले दुल्हनियां ले जाएंगे’, ‘त्रिशूल’ का नाम शामिल है. लेकिन गायिका को साल 1943 में रिलीज हुई फिल्म ‘किस्मत’ (Kismat) इस कदर पसंद आई कि उन्होंने इसे करीब 50 से भी ज्यादा बार देखा.

लता दीदी की शादी क्यों टूट गई

आखिर वो जीवनभर अकेली क्यों रह गई. उन्होंने शादी क्यों नहीं की. तो बता दें कि लता दीदी (Lata Mangeshkar) ने एक इंटरव्यू के दौरान इस बात का खुलासा किया था. जिसमें उन्होंने बताया था कि काफी छोटी उम्र में उनके पिता का निधन हो गया. ऐसे में घर की जिम्मेदारी उन पर आ गई. जिसको देखते हुए उन्होंने सोचा कि पहले छोटे भाई-बहनों को उनकी लाइफ में सेटल कर दिया जाए, फिर देखा जाएगा. लेकिन फिर बहन की शादी हो गई और बच्चे भी हो गए. जिसके बाद धीरे-धीरे इसी तरह समय निकलता गया. हालांकि, एक बार उनका नाम राजस्थान के डूंगरपुर राजघराने के राज सिंह से जुड़ा था. दोनों के बीच अच्छी दोस्ती थी. लेकिन उनकी शादी नहीं हो पाई. इसके पीछे का कारण थी राज सिंह द्वारा अपने पिता को दी गई शर्त. जिसमें उन्होंने कहा था कि वो किसी आम लड़की से शादी नहीं करेंगे.

हेमा से  कैसे बन गई लता मंगेशकर

लता दीदी के बचपन का नाम  कुछ और था जो एक नन्हे बच्चे को पहचान देता है. आपको बता दें कि 28 सितंबर, 1929 को जन्मी लता दीदी का नाम उनके पिता दीनदयाल मंगेशकर ने पहले हेमा रखा था. लेकिन होनी को तो कुछ और ही मंजूर था. अगर वो हेमा रहती तो ‘लता दीदी’ कैसे बनती. उनके पिता ने पांच साल की उम्र में उनका नाम बदलकर लता रख दिया.

लता दीदी को किसी एक गीत के रूप मे परिभाषित करना उनके विरासत का अधूरा समटेना जैसा  होगा . इस महान विरासत और उनके जीवन के शानदार यात्रा को उसी तरह देखा जाना  चाहिए ,जैसे लता  दीदी छोड़ कर जा चुकी है . उन्होंने कई बेहतरीन गाने गाए. जिन्हें सुनकर लोग आज भी उस समय को जी लिया करते हैं. उनके गाने इस कदर लोगों के दिलों को छूने लगे कि उन्होंने संगीत के दुनिया की हर बुलंदियों को छुआ. ऐसे में आज से लता दीदी  हमे अब कभी नहीं मिलेगी  लेकिन ‘गुनगुनाती  हुई लता” हर जगह होगी  किसी बीते हुए कल की तरह .. जो कभी खत्म नहीं होगा .. वह पल अमर है और लता दीदी उसी मे है .

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Ravindra Kirti Founder Mojo Patrakar
Ravindra Kirti Founder Mojo Patrakarhttp://mojopatrakar.com/
Ravindra Kirti is a well-rounded Marketing professional with an impressive academic and professional portfolio. He is IIM Calcutta alumnus & holds a PhD in Commerce, having written an insightful thesis on consumer behavior and psychology, which informs his deep understanding of market dynamics and client engagement strategies. His academic journey includes an MBA in Marketing, where he specialized in strategic management, international marketing, and luxury retail management, equipping him with a global perspective and a strategic edge in high-end market segments.In addition to his business expertise, Ravindra is also academically trained in law, holding a Master’s in Law with specializations in law of patents, IT & IPR, police law and administration, white-collar crime, and corporate crime. This legal knowledge complements his role as the Chief at Jurislaw Partners, where he applies a blend of legal acumen and strategic marketing.With such a rich educational background, Ravindra excels across a range of fields, from legal marketing to luxury retail, and event design. His ability to interlace disciplines—commerce, marketing, and law—enables him to drive successful outcomes in every venture he undertakes, whether as Chief at Jurislaw Partners, Editor at Mojo Patrakar and Global Growth Forum, Founder of CircusINC, or Chief Designer at Byaah by CircusINC.On a personal note, Ravindra Kirti is not only a devoted pawrent to his pet, Kattappa, but also an enthusiast of Mixed Martial Arts (MMA) and holds a Taekwondo Dan 1. This active lifestyle complements his multifaceted career, reflecting his discipline, resilience, and commitment—qualities he brings into his professional relationships. His bond with Kattappa adds a warm, grounded side to his profile, showcasing his nurturing and compassionate nature, which shines through in his connections with clients and colleagues.Ravindra’s career exemplifies versatility, intellectual depth, and excellence. Whether through his contributions to media, law, events, or design, he remains a dynamic and influential presence, continually innovating and leaving a lasting impact across industries. His ability to balance these diverse roles is a testament to his strategic vision and dedication to making a difference in every field he enters.
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