आजादी के बाद उत्तराखंड बना भारत का पहला UCC राज्य, आखिर क्या है UCC?

0
179

हाल ही में उत्तराखंड आजाद भारत का पहला UCC धारक राज्य बन चुका है… जानकारी के लिए बता दे कि उत्तराखंड की विधानसभा में UCC विधेयक बिल यानि समान नागरिक संहिता विधेयक बिल पारित हो गया है… लेकिन एक सवाल कि आखिर समान नागरिक संहिता होती क्या है और यह कैसे सभी धर्म को एक बनाती है? तो आज हम आपको इसी बारे में जानकारी देने वाले हैं!

आपको बता दें कि आजादी के बाद देश का पहला समान नागरिक संहिता विधेयक उत्तराखंड 2024 विधानसभा में पास हो गया। दो दिन लंबी चर्चा, बहस और तर्कों के बाद बुधवार की शाम सदन में विधेयक ध्वनिमत से पास हुआ। विपक्ष ने चर्चा के दौरान बिल प्रवर समिति को भेजने की सिफारिश की थी। उसका यह प्रस्ताव भी ध्वनिमत से खारिज हो गया। इसके बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि इस बिल से समाज का भेदभाव, कुरीतियां खत्म होंगी। कहा, इस कानून में संशोधन की भी गुंजाइश होगी। पास होने के बाद अब बिल राज्यपाल के माध्यम से राष्ट्रपति को भेजा जाएगा, जहां से मुहर लगने के बाद यह कानून राज्य में लागू हो जाएगा। सभी विधिक प्रक्रिया और औपचारिकताएं पूरी करने के बाद यूसीसी लागू करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य बनेगा। लेकिन एक सवाल कि आखिर यह UCC यानि समान नागरिक संहिता क्या होती है… तो आज हम आपको यही बताने वाले हैं… आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यूनिफॉर्म सिविल कोड में देश में सभी धर्मों, समुदायों के लिए एक सामान, एक बराबर कानून बनाने की वकालत की गई है. आसान भाषा में बताया जाए तो इस कानून का मतलब है कि देश में सभी धर्मों, समुदाओं के लिए कानून एक समान होगा. यानी मजहब और धर्म के आधार पर मौजूदा अलग-अलग कानून एक तरह  से निष्प्रभावी हो जाएंगे…. यूनिफॉर्म सिविल कोड संविधान के अनुच्छेद 44 के तहत आती है. इसमें कहा गया है कि राज्य पूरे भारत में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता सुनिश्चित करने का प्रयास करेंगे. इसी अनुच्छेद के तहत इस यूनिफॉर्म सिविल कोड को देश में लागू करने की मांग की जा रही है. इसके पीछे जनसंख्या को बिगड़ने से रोकना और जनसांख्यिकी को नियंत्रित करने की तर्क दी जाती है… यह मुद्दा एक सदी से भी ज्यादा समय से राजनीतिक नरेटिव और बहस के केंद्र बना हुआ है. बीजेपी ने हमेशा इसे अपने प्राइमरी एजेंडे में शामिल किया है. बीजेपी 2014 में सरकार बनने से ही UCC को संसद में कानून बनाने पर जोर दे रही है. 2024 चुनाव आने से पहले इस मुद्दे ने एक बार फिर जोर पकड़ लिया है. बीजेपी सत्ता में आने पर UCC को लागू करने का वादा करने वाली पहली पार्टी थी और यह मुद्दा उसके 2019 के लोकसभा चुनाव घोषणापत्र का हिस्सा था…. आइए जानते हैं कि UCC क्या है… तो बता दे कि विवाह, तलाक, गोद लेने और संपत्ति में सभी के लिए एक नियम रखेगा UCC… यही नहीं परिवार के सदस्यों के आपसी संबंध और अधिकारों में समानता.. जाति, धर्म या परंपरा के आधार पर नियमों पर समानता.. एवं सभी धर्मों के लिए समान नियम और कानून रखता है, समान नागरिक संहिता… बता दे कि सिविल कोड की उत्पत्ति औपनिवेशिक भारत में हुई जब ब्रिटिश सरकार ने 1835 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें अपराधों, सबूतों और अनुबंधों से संबंधित भारतीय कानून के संहिताकरण में एकरूपता की आवश्यकता पर बल दिया गया, विशेष रूप से सिफारिश की गई कि हिंदुओं और मुसलमानों के व्यक्तिगत कानूनों को संहिताकरण के बाहर रखा जाए। भारत में जाति और धर्म के आधार पर अलग-अलग कानून और मैरिज एक्ट हैं। इसके कारण सामाजिक ढ़ांचा बिगड़ा हुआ है। यही कारण है कि देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड की मांग उठती रही है जो सभी जाति, धर्म, वर्ग और संप्रदाय को एक ही सिस्टम में लेकर आए। एक कारण यह भी है कि अलग-अलग कानूनों के कारण न्यायिक प्रणाली पर भी असर पड़ता है। वर्तमान समय में लोग शादी, तलाक आदि मुद्दों के निपटारे के लिए पर्सनल लॉ बोर्ड ही जाते हैं। इसका एक खास उद्देश्य महिलाओं और धार्मिक अल्पसंख्यकों सहित अम्बेडकर द्वारा परिकल्पित कमजोर वर्गों को सुरक्षा प्रदान करना है, साथ ही एकता के माध्यम से राष्ट्रवादी उत्साह को बढ़ावा देना है। जब यह कोड बनाया जाएगा तो यह उन कानूनों को सरल बनाने का काम करेगा जो वर्तमान में धार्मिक मान्यताओं जैसे हिंदू कोड बिल, शरीयत कानून और अन्य के आधार पर अलग-अलग हैं। UCC के तहत शादी, तलाक, संपत्ति, गोद लेने जैसे मामले शामिल होते हैं… हर धर्म में शादी, तलाक के लिए अब एक ही कानून होगा…जो कानून हिंदुओं के लिए, वहीं दूसरों के लिए भी होगा… अब बिना तलाक के एक से ज्यादा शादी नहीं कर पाएंगे. यही नहीं शरीयत के मुताबिक जायदाद का बंटवारा नहीं होगा… अब ये सभी चीज़े समान नागरिक संहिता के अनुसार होगी…. जैसे ही समान नागरिक संहिता का नाम आता है लोगों के मन में थोड़ा सा विश्वास कम हो जाता है… तो आज हम आपको बताते हैं कि समान नागरिक संहिता से क्या-क्या परिवर्तित नहीं होगा… तो आपको बता दें कि धार्मिक मान्यताओं पर कोई फर्क नहीं ना ही धार्मिक रीति-रिवाज पर असर पड़ेगा….ऐसा नहीं है कि शादी पंडित या मौलवी नहीं कराएंगे.. सारे काम वैसे ही होंगे जैसे पहले होते हैं बस नियम और कानून बदल जाएंगे… साथ ही खान-पान, पूजा-इबादत, वेश-भूषा पर भी प्रभाव नहीं पड़ेगा… यानी सीधी सी बात यह है कि समान नागरिक संहिता सभी नागरिकों को समान नियम पालन करने के लिए कहता है… जिसमें शादी, विरासत, तलाक एवं गोद लेने जैसे मामले शामिल है… आपको यह जानकारी कैसी लगी, अपना जवाब हमारे कमेंट बॉक्स में जरूर दीजिएगा!