हाल ही में पीएम मोदी ने विदेशी शादी जोड़ी के लिए एक बयान दिया है! शादियों का मौसम है। जरूर आपके यहां इनविटेशन कार्ड आने लगे होंगे। 23 नवंबर से शादी के लिए शुभ मुहूर्त शुरू हो चुका है। यह 15 दिसंबर तक रहेगा। इस दौरान भारत में करीब 32 लाख शादियां होनी हैं। यह किसी से छुपा नहीं है कि भारतीय शादियों में कितना खर्च करते हैं। दौलतमंद भारतीय तो शादियों पर पानी की तरह पैसा बहाते हैं। यह अपनी शानो-शौकत दिखाने का उनके पास सबसे बड़ा मौका होता है। बीते कुछ सालों में इन अमीरों में एक और ट्रेंड बढ़ा है। ये विदेश जाकर शादियां करने लगे हैं। अंग्रेजी में इसे ‘फॉरेन डिस्टिनेशन वेडिंंग’ कहते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शादियों की इस ‘मेगा इकोनॉमी’ को बारीकी से पकड़ा है। रविवार को साप्ताहिक रेडियो प्रोग्राम ‘मन की बात’ में उन्होंने इसका जिक्र कर दिया। पीएम ने विदेश में ऐसे आयोजनों पर होने वाले बेशुमार खर्च पर पीड़ा जताई। साथ ही धनी परिवारों से अपील भी की कि वे भारत की धरती पर ही इस तरह के समारोह आयोजित करें। इससे देश का धन देश ही में रहेगा। पीएम मोदी की यह अपील बहुत लाजिमी और तर्कसंगत है। क्या परदेस जाकर ही घर बसाने की शुभ शुरुआत हो सकती है? पीएम मोदी के मैसेज में कई बातें छुपी हुई हैं। इन्हें समझेंगे तो प्रधानमंत्री की अपील के मायने समझ आ जाएंगे। भारत में शादी सिर्फ शादी नहीं होती है। यह एक लाइफटाइम इवेंट होता है। लोग इसे यादगार बनाने के लिए पैसे को पैसा नहीं समझते हैं। इसमें बहुत कुछ शामिल होता है। बैंक्वेट हॉल, होटल, फूल, टेंट, खानपान, लाइट-साउंड, डीजे, बैंड, ऑर्केस्ट्रा, कपड़े और न जाने क्या-क्या। फेहरिस्त बहुत लंबी है। लेकिन, इस फेहरिस्त से बिजनस जुड़ा है। कई स्तरों पर लोग इसमें हिस्सेदार बनते हैं। इन सभी को इसका फायदा होता है। इसमें छोटे से लेकर बड़े कारोबारी तक शामिल होते हैं। इसके अलावा भारत में न तो खूबसूरत लोकेशंस की कोई कमी है, न उन हाथों की जो सपनों की शादी को सपना जैसा बना दें। जब यही शादी का इवेंट विदेश में जाकर आयोजित होता है तो इसका फायदा हमारे लोगों को नहीं मिलता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने यही पीड़ा जाहिर की है। उन्होंने शादियों को ‘वोकल फॉर लोकल’मुहिम से भी जोड़ दिया है। इसी के तहत पीएम मोदी ने देशवासियों से ‘वोकल फॉर लोकल’ अभियान को सिर्फ त्योहारों तक ही सीमित न रखने की अपील की। साथ ही लोगों से यह भी कहा कि उन्हें शादी के मौसम में भी स्थानीय उत्पादों को महत्व देना चाहिए। उन्होंने इस दौरान कुछ व्यापार संगठनों के अनुमानों का हवाला भी दिया। प्रधानमंत्री ने बताया कि इस साल शादियों के मौसम में करीब पांच लाख करोड़ रुपये के कारोबार की उम्मीद है। प्रधानमंत्री ने विदेश में शादी करने के ट्रेंड पर सवाल उठाया। ऐसा करने वाले दौलतमंद परिवारों से कहा कि अगर वे भारत की मिट्टी में और भारत के लोगों के बीच शादी-ब्याह मनाएं तो देश का पैसा देश में रहेगा।
पीएम मोदी की यह अपील बहुत लॉजिकल है। इससे भारत में कमाई के मौके बढ़ते हैं। जिन हाथों में यह पैसा जाता है वो कुछ और बेहतरी में इसे खर्च करते हैं। यह अर्थव्यवस्था को मजबूत करता है। पीएम अर्थव्यवस्था को समझते हैं। वह जानते हैं कि इसमें जान फूंकने के लिए क्या-क्या किया जा सकता है। उन्होंने ऐसा बिल्कुल नहीं कहा कि शादियों पर जमकर खर्च नहीं करें। बस, उन्होंने यह अपील की है कि इसे विदेश में जाकर न उड़ाएं।’वोकल फॉर लोकल’ हो या ‘मेक इन इंडिया’। इन कैंपेन का मकसद एक ही रहा है। देश की चीजें देश में रहें और देशवासी इसके कंज्यूमर बनें। यह आत्मनिर्भर भारत के लिए जरूरी है। भारत दुनिया में सबसे बड़े मार्केट में से एक है। यह दुनिया को अपने इशारों पर नचाने की कुव्वत रखता है। पीएम की अपील उस क्षमता को चैनलाइज करने की दिशा में है। इन सभी को इसका फायदा होता है। इसमें छोटे से लेकर बड़े कारोबारी तक शामिल होते हैं। इसके अलावा भारत में न तो खूबसूरत लोकेशंस की कोई कमी है, न उन हाथों की जो सपनों की शादी को सपना जैसा बना दें। जब यही शादी का इवेंट विदेश में जाकर आयोजित होता है तो इसका फायदा हमारे लोगों को नहीं मिलता है।पीएम ने अमीरों से अपील के जरिये घर की लक्ष्मी घर में रहने देने की बात की है। यह न केवल देश को समृद्ध बनाने के लिए जरूरी है। अलबत्ता, 2047 तक भारत को विकसित देश बनाने के पीएम के लक्ष्य के भी अनुरूप है।