हाल ही में भारतीय उच्चायुक्त ने कनाडा के प्रधानमंत्री के बारे में एक बयान दे दिया है! किसी ने रिश्ता बिगाड़ने की ठान ली है तो बनाए रखने की कोई भी एकतरफा कोशिश सफल नहीं हो सकती। कनाडा ने भी मानो भारत से दो-दो हाथ करने का ही मन बना रखा है। फिर भारत करे भी तो क्या? इसलिए अब मौके पर मौका देकर रिश्ते सुधरने की आस में बैठने की जगह भारत ने अब सच्चाई खुलकर सामने रखना ही बेहतर समझा है। हालात और वक्त को देखते हुए भारत ने कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की सनक से दुनिया को रू-ब-रू करवाने की ठान ली है। कनाडा में भारत के उच्चायुक्त संजय वर्मा ने कहा है कि ट्रूडो ने रिश्तों का कबाड़ा करने को ठाना है, तो ये ही सही। ट्रूडो खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले में भारत की संलिप्तता का आरोप लगाने से बाज नहीं आ रहे, लेकिन उनके पास कोई सबूत नहीं है। उन्होंने खुद इसे स्वीकार किया है। लेकिन लगे हाथ वो ये भी कहते हैं कि निज्जर की हत्या में भारतीय उच्चायोग का हाथ था। उच्चायुक्त संजय वर्मा ने कनाडाई टीवी सीटीवी को दिए इंटरव्यू में बेझिझक कहा है कि इस मामले में प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने दोनों देशों के राजनीतिक संबंधों को तबाह कर दिया।
कनाडा ने निज्जर की मौत की जांच से जुड़े ‘पर्सन ऑफ इंट्रेस्ट’ (वैसे लोग जिन्हें निगरानी में रखा गया हो) के रूप में भारतीय राजनयिकों का नाम लिया था। इसके बाद भारत ने वर्मा और अन्य राजनयिकों को वापस बुला लिया। सीटीवी के कार्यक्रम ‘क्वेश्चन पीरियड’ में बातचीत के दौरान वर्मा ने कहा कि ट्रूडो और रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस (RCMP) की तरफ से लगाए गए आरोप राजनीति से प्रेरित हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या 18 जून, 2023 को ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में एक सांस्कृतिक केंद्र के बाहर हरदीप सिंह निज्जर की गोली मारकर हत्या में उनकी कोई भूमिका थी, वर्मा ने कहा, ‘कुछ नहीं।’ उन्होंने कहा, ‘कोई सबूत पेश नहीं किया गया। सारे आरोप राजनीतिक रूप से प्रेरित हैं।’ उन्होंने कहा कि ट्रूडो सबूतों के बजाय खुफिया जानकारी पर भरोसा कर रहे थे।
रविवार को प्रसारित प्रोग्राम में वर्मा ने कहा, ‘खुफिया जानकारी के आधार पर अगर आप रिश्ते का कबाड़ा करना चाहते हैं तो आपका स्वागत है, और उन्होंने यही किया।’ उन्होंने कहा, ‘पहले सबूत साझा किए जाने चाहिए थे, लेकिन किसी ने (ट्रूडो) ने संसद में खड़े होकर उस चीज के बारे में बात करने का फैसला किया जिसके लिए उन्होंने खुद कहा था कि कोई ठोस सबूत नहीं था। और जिस दिन उन्होंने ऐसा किया, तब से उन्होंने यह सुनिश्चित किया है कि भारत के साथ द्विपक्षीय संबंध केवल नीचे की ओर जाएं, नीचे की ओर जाएं।’
ट्रूडो और आरसीएमपी ने पिछले हफ्ते आरोपों के साथ सार्वजनिक रूप से कहा था कि भारतीय राजनयिक कनाडा में सिख अलगाववादियों को निशाना बना रहे थे और उनकी सरकार को उनके बारे में जानकारी दे रहे थे। उन्होंने दावा किया कि शीर्ष भारतीय अधिकारी उस जानकारी को लॉरेंस बिश्नोई गिरोह जैसे अपराधी समूहों को दे रहे थे, जो कनाडाई नागरिक कार्यकर्ताओं को ड्राइव-बाय शूटिंग, जबरन वसूली और यहां तक कि हत्या से निशाना बना रहे थे। भारत ने आरोपों को ‘बेतुका’ और ‘वाहियात’ बताया है। विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि ट्रूडो इसलिए भारत पर निशाना साध रहे हैं क्योंकि उन्हें चुनावों में खालिस्तानी तत्वों का समर्थन हासिल करने का लालच है। वर्मा ने इस बात से भी इनकार किया कि भारत सरकार कनाडा में सिख अलगाववादियों को निशाना बना रही है। उन्होंने कहा, ‘मैंने भारत के उच्चायुक्त के रूप में ऐसा कभी कुछ नहीं किया।’ भारतीय दूत ने निज्जर की हत्या की निंदा भी की। उन्होंने कहा, ‘कोई भी हत्या गलत और बुरी होती है। मैं निंदा करता हूं।’
भारत और कनाडा के बीच संबंध पिछले साल से तब से तनावपूर्ण हैं जब ट्रूडो ने कहा था कि उनके पास उनके देश में निज्जर की हत्या से भारतीय एजेंटों को जोड़ने के सबूत हैं। भारत ने आरोपों को निराधार बताया है और कहा है कि कनाडा ने अभी तक उनके साथ कोई सबूत साझा नहीं किया है। भारत बार-बार कनाडा सरकार की आलोचना करता है कि वह भारत विरोधी तत्वों का पनाहगाह बन गया है। कनाडा में रहकर खालिस्तानी आतंकी भारत को खुलेआम धमकी देते हैं, लेकिन वहां की सरकार कोई कदम नहीं उठाती। भारत ने ये भी कहा है कि उसने कनाडा से प्रत्यर्पण की करीब 70 अपील की है, लेकिन कनाडा ने किसी भी आवेदन पर कदम नहीं उठाया है।