वर्तमान में महाराष्ट्र चुनाव से पहले बीजेपी कांग्रेस पर हमलावर हो चुकी है! कर्नाटक में खरगे परिवार से संबंधित ट्रस्ट की तरफ से जमीन का आवंटन लौटाने के मुद्दे पर बीजेपी कांग्रेस पर हमलावर हो गी है। बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष ( सोनिया गांधी और राहुल गांधी ) से लेकर वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, कर्नाटक के वर्तमान मुख्यमंत्री सिद्धारमैया एवं उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार से लेकर अन्य राज्यों के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ, अशोक गहलोत और भूपेश बघेल तक कांग्रेस का सभी शीर्ष नेता गरीबों की जमीन हड़पने में शामिल हैं। उन्होंने कहा कि ये सब भ्रष्टाचार में और गरीब की जमीन हड़पने जैसे मामले में शामिल हैं। सुधांशु त्रिवेदी ने कटाक्ष किया कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी के विचारों से प्रेरित होकर कांग्रेस पार्टी देश में भू-हड़प अभियान चला रही है। उन्होंने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के परिवार के ट्रस्ट की तरफ कर्नाटक में आवंटित की गई जमीन को लौटाने के प्रकरण को भ्रष्टाचार की स्वीकारोक्ति बताते हुए कहा कि एक पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पर इस तरह के गंभीर आरोप लगे हैं, जिससे इसकी गंभीरता को समझा जा सकता है। उन्होंने खरगे के परिवार और इससे पहले सिद्धारमैया के परिवार द्वारा आवंटित जमीन को लौटाने पर कटाक्ष करते हुए कहा कि ये लोग इसलिए जमीन वापस नहीं कर रहे हैं कि इनकी आत्मा जाग गई है बल्कि अदालत की कार्यवाही के दौरान होने वाली जलालत से बचने के लिए ये जमीन वापस कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी और सोनिया गांधी को यह बताना चाहिए कि क्या जमीन वापस करने वालों को नैतिकता के आधार पर इस्तीफा नहीं देना चाहिए? अगर मान लिया कि गलती हुई है तो कर्नाटक सरकार एफआईआर कब करेगी?
इस मामले में कर्नाटक से बीजेपी सांसद जगदीश शेट्टार कहते हैं कि जब मल्लिकार्जुन खरगे के सिद्धार्थ ट्रस्ट पर आरोप लगे, तो वे केआईएडीबी को जमीन वापस करना चाहते हैं। अब वे इसे क्यों वापस करना चाहते हैं, इसका जवाब उन्हें देना होगा। मल्लिकार्जुन खरगे और प्रियांक खरगे जैसे जननेता सरकारी जमीन क्यों लेना चाहते हैं?…जब जांच ने उनके खिलाफ सार्वजनिक बहस को उकसाया, तो वे साइट वापस कर रहे हैं।
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की तरफ से MUDA घोटाले की जांच के बीच आवंटित जमीन लौटाने पर बीजेपी नेता राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि अब यह स्पष्ट हो गया है कि कांग्रेस चुनाव के दौरान गरीबों और जातिवाद की बात करती है, लेकिन जब वे सत्ता में आते हैं, तो उनका पहला काम अपने परिवार को जमीन देना होता है। खरगे साहब जो हमेशा आतंकवाद या संविधान की बात करते हैं, उन्हें पांच एकड़ जमीन वापस करनी पड़ी। यह कांग्रेस की नीति है, वे गरीबों के नाम पर राजनीति करते हैं। लेकिन जब वे सत्ता में आते हैं, तो वे लूटते हैं और जमीन हड़पते हैं।
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के परिवार की आलोचना करते हुए कहा कि वे केआईएडीबी की जमीन लौटाने की पेशकश कर रहे हैं। भाजपा प्रवक्ता ने तर्क दिया कि जमीन लौटाने से वे भ्रष्टाचार या सत्ता के दुरुपयोग से मुक्त नहीं हो जाते, बल्कि यह अपराध स्वीकार करने का संकेत है।
दरअसल, कर्नाटक में सिद्धार्थ विहार ट्रस्ट के अध्यक्ष राहुल एम. खरगे ने ‘बहु-कौशल विकास केंद्र, प्रशिक्षण संस्थान एवं अनुसंधान केंद्र’ स्थापित करने के लिए बेंगलुरु में पांच एकड़ जमीन के आवंटन के अपने अनुरोध को वापस ले लिया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे राहुल खरगे का यह कदम कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया की पत्नी पार्वती द्वारा मैसूरु शहरी विकास प्राधिकरण को 14 भूखंड वापस लौटाने के बाद आया है। लोकायुक्त पुलिस ने इस मामले को लेकर सिद्धरमैया, उनकी पत्नी और एक रिश्तेदार के खिलाफ मामला दर्ज किया था। इसके बाद बीजेपी के आईटी डिपार्टमेंट के इंचार्ज अमित मालवीय ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में प्लॉट अलॉटमेंट पर सवाल उठाया। मालवीय ने इसे ‘सत्ता का दुरुपयोग, भाई-भतीजावाद और हितों का टकराव’ करार दिया।
20 सितंबर को कर्नाटक औद्योगिक विकास बोर्ड (केआईएडीबी) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को लिखे पत्र में राहुल खरगे ने लिखा कि ‘मल्टी स्किल डेवलपमेंट सेंटर, ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट एवं रिसर्च सेंटर स्थापित करने के लिए प्लॉट अलॉटमेंट के हमारे अनुरोध को वापस ले लिया गया है। उन्होंने कहा था कि सिद्धार्थ विहार ट्रस्ट का उद्देश्य छात्रों और बेरोजगार युवाओं के लिए उभरती टेक्नोलॉजी में स्किल डेवलपमेंट के माध्यम से रोजगार के अधिक अवसर पैदा करना है। राहुल खरगे ने कहा कि ट्रस्ट ने केआईएडीबी इंडस्ट्रियल एरिया के भीतर एक प्लॉट को प्राथमिकता दी क्योंकि यह हाई डेवलपमेंट वाले इंडस्ट्रीज के निकट है। उन्होंने बताया था कि सिद्धार्थ विहार ट्रस्ट एक सार्वजनिक शैक्षिक, सांस्कृतिक और धर्मार्थ ट्रस्ट है, न कि एक व्यक्ति या परिवार की तरफ से संचालित ट्रस्ट।