आखिर इसराइल ने यमन पर क्यों किया हमला?

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Houthi fighters fire anti-tank grenades during a military manoeuvre near Sanaa, Yemen, October 30, 2023. Houthi Media Center/Handout via

यह सवाल उठना लाजिमी है कि इसराइल ने यमन पर हमला क्यों किया है ! इजरायल के लेबनान पर हमले और हिजबुल्लाह नेता हसन नसरल्लाह की मौत के बाद मध्य पूर्व एक बड़े खतरे की ओर बढ़ रहा है। इजरायल रक्षा बल (IDF) के लड़ाकू विमान लगातार लेबनान की राजधानी बेरूत में हिजबुल्लाह के गढ़ वाले इलाकों पर बम बरसा रहे हैं। इस बीच इजरायल ने यमन में हूती चरमपंथियों के ठिकानों पर भी हमला किया है। रविवार को एक बयान में इजरायली सेना ने बताया कि फाइटर जेट ने यमन के रास ईसा और होदेइदाह बंदरगाह पर हमला किया है। हूती समूह से जुड़े मीडिया ने बताया कि इजरायल के हमले में कम से कम चार लोग मारे गए हैं। इनमें एक बंदरगाह कर्मचारी और तीन इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हैं। ध्यान देने वाली है कि इजरायल ने हाल ही में दूसरी बार यमन पर हमला किया है। इसके पहले जुलाई में तेल अवीव में ड्रोन हमले के बाद इजरायली जहाजों ने होदेइदाह पोर्ट पर बम बरसाए थे। आखिर इजरायल और यमन एक दूसरे पर हमलें क्यों कर रहे हैं?

इजरायली सेना ने बताया कि रविवार को किया गया हमला, हाल ही में हूतियों के मिसाइल हमलों का जवाब था। हूती विद्रोहियों ने 28 सितम्बर को इजरायल पर बैलिस्टिक मिसाइल दागी थी। आईडीएफ ने कहा था कि उसने यमन से दागी गई सतह से सतह पर मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइल को रोक दिया था। मिसाइल ने इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू के विमान को निशाना बनाने की कोशिश की थी, जब वह बेन गुरियन हवाई अड्डे पर उतरने वाला था।

हूती नेता अब्दुल मलिक अल हूती ने कहा है कि हिजबुल्लाह के नेता हसन नसरल्लाह की मौत ‘बेकार नहीं जाएगी।’ इजरायल के गाजा में अभियान शुरू करने के बाद से ही हूती विद्रोही लाल सागर में इजरायल से जुड़े जहाजों को निशाना बना रहे हैं। इसके साथ ही हूतियों ने इजरायल के ऊपर ड्रोन भी भेजे हैं। हूतियों ने पिछले शुक्रवार को भी बैलिस्टिक मिसाइल और ड्रोन दागा था, जिसे आईडीएफ ने रोक दिया था।

हूती यमन के एक शिया मुस्लिम अल्पसंख्यकों से बना एक चरमपंथी समूह है, जिसकी अपनी सशस्त्र विंग है। 2010 के दशक की शुरुआत में अरब क्रांति की स्थिति का लाभ उठाकर इसने अपनी स्थिति मजबूत की। 2014 के आखिर में हूती लड़ाकों ने यमन की राजधानी सना पर नियंत्रण कर लिया और फरवरी 2015 तक उन्होंने देश पर नियंत्रण घोषित कर दिया। बता दें कि इजरायल ने यमन के होदेइदाह बंदरगाह पर जबरदस्त हवाई हमला किया है। यह हमला लेबनान में हिजबुल्लाह नेता हसन नसरल्लाह की मौत के एक दिन बाद किया गया है। इन हमलों में सैकड़ों की संख्या में हूती विद्रोहियों के हताहत होने की सूचना है। यह बंदरगाह पिछले कई वर्षों से हूती विद्रोहियों के कब्जे में है। हूती विद्रोही इस बंदरगाह का इस्तेमाल ईरान से हथियारों की तस्करी में भी करते हैं। इस बंदरगाह पर इजरायल पहले भी बमबारी कर चुका है। इजरायल ने यह हवाई हमला हूती विद्रोहियों के हालिया ड्रोन और मिसाइल हमलों के बाद किया है।

यमन का होदेइदाह बंदरगाह इजरायल के 1800 किलोमीटर दूर स्थित है। इतनी दूरी पर सटीक हमले करना काफी बड़ी बात मानी जाती है। हालांकि, पूरी दुनिया जानती है कि इजरायल के पास कई ऐसी मिसाइलें हैं, जो पिन पॉइंट एक्यूरेसी के साथ हमला करने में माहिर हैं। हालांकि, अभी तक इस बात की सूचना नहीं है कि इजरायल ने होदेइदाह बंदरगाह पर मिसाइल हमला किया है या फिर लड़ाकू विमानों से बम बरसाएं हैं। इससे पहले भी इजरायल ने लड़ाकू विमानों के जरिए यमन में हूती विद्रोहियों के ठिकानों पर हमले किए थे।

हूती विद्रोहियों की ताकत के दो प्रमुख राज हैं। पहला- उनका लोकेशन और दूसरा- उनको मिलने वाली सैन्य सहायता। हूती विद्रोही यमन में सक्रिय हैं। यमन दो तरफ से दो मुल्कों से घिरा है जबकि बाकी दो तरफ इसकी सीमा समुद्र से सटी हुई है। यमन की उत्तरी सीमा पर सऊदी अरब और पूर्वी सीमा ओमान स्थित है। वहीं, यमन दक्षिण में अदन की खाड़ी से सटा है जबकि पश्चिम में लाल सागर से। ऐसे में हूतियों को स्वेज नहर के रास्ते लाल सागर के होकर गुजरने वाले समुद्री जहाजों पर हमले का सटीक मौका मिलता है। वहीं, उसे ईरान से भारी मात्रा में सैन्य सहायता मिलती है, जिनमें अत्याधुनिक सैन्य ड्रोन, बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइलें शामिल हैं।