Tuesday, December 5, 2023
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क्या बीजेपी जीत पाएगी लालू यादव का गढ़?

यह सवाल उठना लाजिमी है कि बीजेपी लालू यादव का गढ़ जीत पाएगी या नहीं! बिहार में जातीय सर्वे के बाद भाजपा ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है। सर्वे में यादव जाति की सबसे अधिक संख्या के होने के बाद भाजपा ने पटना में यदुवंशी समाज का मिलन समारोह कर अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव और 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर नई सियासी जमीन तलाशने के संकेत दे दिए। यादव समाज को अब तक सत्ताधारी पार्टी राजद का वोट बैंक समझा जाता रहा है, लेकिन भाजपा की नजर अब इन्हीं यादवों पर टिकी है। भाजपा मंगलवार को पटना में यदुवंशी समाज मिलन समारोह में 21 हजार लोगों के भाजपा की सदस्यता ग्रहण करने का दावा कर रही है। हालांकि, इसमें किसी बड़े नेता का नाम शामिल नहीं है, फिर भी भाजपा ने इस समारोह के जरिए इतना तो साफ कर ही दिया कि अब उनकी नजर यादव मतदाताओं पर है। पाटलिपुत्र के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री रामकृपाल यादव कहते हैं कि कोई भी समाज किसी की जागीर नहीं हैं। मिलन समारोह में बड़ी संख्या में यदुवंशी समाज के लोगों ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की है। उन्होंने साफ लहजे में कहा कि ऐसा नहीं है कि यादव भाजपा के साथ नहीं हैं। जनसंघ के जमाने से यादव समाज भाजपा के साथ जुड़ा है। दरअसल, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के एनडीए का साथ छोड़कर महागठबंधन के साथ सरकार बनाने के बाद भाजपा राज्य में अपने दम पर सरकार बनाने के प्रयास में है। जाति गणना रिपोर्ट आने के बाद पार्टी ने अति पिछड़ा के साथ ही दलित एवं यादवों को साधना भी शुरू कर दिया है। माना यह भी जा रहा है कि भाजपा की कवायद यादव जाति के मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने का है।

पिछले लोकसभा चुनाव में बिहार के 40 में से 39 सीटें एनडीए के खाते में आई थी। अगले लोकसभा चुनाव में अगर यादव मतदाताओं का कुछ भी हिस्सा भाजपा के साथ आया तो पार्टी को जहां लाभ होगा, वहीं इसका सीधा नुकसान महागठबंधन को उठाना पड़ेगा। राजद के विधायक भाई वीरेंद्र भाजपा के मिलन समारोह को दिखावा बताते हुए कहते हैं कोई भी प्रलोभन यादवों को मिल जाए, लेकिन यहां यादव लालू प्रसाद को छोड़ने वाले नहीं हैं। उन्होंने तो यहां तक कहा कि नरेंद्र मोदी भी यहां आकर यादव सम्मेलन कर लें, लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है। बीजेपी की इस पूरी कवायद को लालू यादव ने मजाक में उड़ा दिया। हालांकि, यदुवंशी सम्मेलन में पहुंचे यादव समाज के लोगों ने लालू यादव के परिवार को भ्रष्ट बताते हुए बीजेपी को वोट देने की बात कही।

सियासी जानकार मानते हैं कि लालू यादव के परंपरागत वोट को खिसकाना कोई बच्चों का खेल नहीं। वरिष्ठ पत्रकार धीरेंद्र कहते हैं कि बिहार में यादव और अति-पिछड़ों को लेकर लालू यादव पहले से चलते रहे हैं। बिहार में हाल के दिनों में हुए उपचुनावों में उनका ये समीकरण काम करता नहीं दिखा। इतना ही नहीं, जेडीयू के वोट भी राजद के कैंडिडेट को समर्थन नहीं कर पाए। गोपालगंज और कुढ़नी सीट पर बीजेपी को विजय हासिल हो गई। जेडीयू और राजद के अंदर मंथन का दौर भी चला। बीजेपी जातिगत सर्वे की गंभीरता को समझती है। बीजेपी को लगता है कि अपनी प्लान में खासकर यदुवंशी को शामिल करने की बात कह कर वे लालू का टेंशन बढ़ा सकती है। बीजेपी ने वैसा ही किया है। बीजेपी ने बिहार के हजारों यादवों को इक्कठा कर ये दिखा दिया कि वे अब सिर्फ लालू समर्थक ही नहीं रह गए हैं।

बिहार में बीजेपी सभी जातियों को साथ लेकर चलने वाले सिद्धांत पर काम कर रही है। सम्राट चौधरी का प्रदेश अध्यक्ष बनना और विजय कुमार सिन्हा का नेता प्रतिपक्ष के रूप में नियुक्त होना। हरि साहनी का विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष बनना, इसके क्या मायने हैं। बीजेपी कमजोर और कच्ची खिलाड़ी नहीं है। बीजेपी की ओर से जो भी किया जाता है। वो पूरी सियासी प्लानिंग और रणनीति का हिस्सा होता है। बिहार में बीजेपी ने जातिगत सर्वे को अपना हथियार बनाएगी। अभी जातिगत सर्वे को लेकर महागठबंधन कुछ विचार कर रहा होगा। बीजेपी एक्शन में है। सर्वे की रिपोर्ट को आधार बनाकर बीजेपी की ओर से सियासी गुणा-गणित फिट बैठाने का काम शुरू कर दिया गया है। यदुवंशियों को एक प्लेटफॉर्म पर लाने के पीछे यही बहुत बड़ा कारण है। बीजेपी को पता है कि उनकी पार्टी में बड़े यादव चेहरे हैं। लालू कुछ भी यादव के खिलाफ बोलते हैं, उसका असर जरूर दिखेगा।

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