यह सवाल उठना लाजमी है कि क्या आने वाले समय में इजराइल हूतियों को हर पाएगा या नहीं ! इजरायल ने रविवार को हूतियों के खिलाफ दूसरी बार हवाई हमला किया। इन हमलों में इजरायली वायु सेना के दर्जनों विमान शामिल थे। इस दौरान लड़ाकू विमानों ने 1800 किलोमीटर की दूरी तय की, जिसके लिए उन्हें हवा में ही रिफ्यूल किया गया। इसे इजरायल के शक्ति प्रदर्शन के तौर पर भी देखा जा रहा है। हमले के दौरान इजरायली लड़ाकू विमानों ने यमन के होदेइदाह बंदरगाह पर जबरदस्त बमबारी की, जिससे पूरा इलाका दहल गया। खबरों के अनुसार, इस हमले में बड़ी संख्या में हूती विद्रोही हताहत हुए। हालांकि, यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या ऐसे हमले हूतियों को रोक सकेगा, जिसमें अमेरिका और ब्रिटेन भी नाकाम हो चुके हैं। अमेरिका और ब्रिटेन ने लाल सागर में हूतियों के हमलों को रोकने के लिए यमन पर कई बार जबरदस्त बमबारी की थी। इन बमबारियों में हूतियों के कई महत्वपूर्ण ठिकानों को तबाह कर दिया गया था। इसके बावजूद हूतियों के हमले रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं। अमेरिका और ब्रिटेन ने मिसाइलों, ड्रोन और लड़ाकू विमानों से हूतियों को निशाना बनाया। इलाके में अपने युद्धपोतों और एयरक्राफ्ट कैरियर को तैनात किया, लेकिन ये सभी नाकाफी साबित हुए। इसके उलट हूतियों ने लाल सागर से होने वाले व्यापार को ठप कर दिया, जिसका असर समुद्री परिवहन पर देखने को मिला।
आईडीएफ ने रविवार को कहा, “एक व्यापक, खुफिया-आधारित हवाई अभियान के दौरान, दर्जनों आईएएफ विमानों ने यमन के रस ईसा और होदेइदाह क्षेत्रों में हूती आतंकवादी शासन से संबंधित सैन्य लक्ष्यों पर हमला किया। लक्ष्यों में बिजली संयंत्र और तेल आयात करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक बंदरगाह शामिल था, जिसका इस्तेमाल हूती आतंकवादी शासन द्वारा सैन्य आपूर्ति और तेल के अलावा ईरानी हथियारों को क्षेत्र में स्थानांतरित करने के लिए किया जाता था।”
इजरायली सेना ने कहा कि यह हूतियों द्वारा हाल ही में किए गए हमलों, विशेष रूप से मध्य इजरायल के खिलाफ तीन लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल हमलों के जवाब में किया गया था। हूती विद्रोहियों ने 15 सितंबर, 27 सितंबर और 28 सितंबर को इजरायल पर मिसाइल और ड्रोन हमले किए थे। आईडीएफ ने अपने बयान में उल्लेख किया कि “पिछले एक साल से, हूतियों ने ईरान के निर्देशन और वित्त पोषण के तहत और इराकी मिलिशिया के साथ मिलकर इजरायल पर हमला करने, क्षेत्रीय स्थिरता को कमजोर करने और नेविगेशन की वैश्विक स्वतंत्रता को बाधित करने के लिए काम किया है।”
हूतियों के पास लंबी दूरी की मिसाइलें हैं। ईरान ने पिछले एक दशक में उन्हें बैलिस्टिक मिसाइलों, क्रूज मिसाइलों और कई खतरनाक हमलावर ड्रोन से लैस किया है। इससे हूतियों हे हथियारों के भंडार भरे हुए हैं। हूतियों ने यमन में सऊदी अरब और अन्य देशों द्वारा समर्थित सरकार के खिलाफ एक लंबी लड़ाई लड़ी और सफल भी हुए। इस तरह, उन्हें विशेष रूप से उन्नत हथियारों वाले देशों के खिलाफ लड़ने का अनुभव है।
पिछले एक साल में, हूती लड़ाके और भी साहसी हो गए हैं। उन्होंने वाणिज्यिक जहाजों पर हमला किया और अमेरिकी नौसेना और ब्रिटिश नौसेना के हमलों का सामना किया। उन्होंने इजरायल पर भी मिसाइल और ड्रोन से हमला किया और दर्जन भर अमेरिकी रीपर ड्रोन को मार गिराया। इससे हूतियों की महत्वकांक्षा और घमंड सातवें आसमान पर है। उन्हें लगने लगा है कि यमन और उसके आसपास के इलाकों में उनकी ताकत को चैलेंज करने वाला कोई नहीं है। यमन एक ऐसे इलाके में स्थित है, जहां युद्ध होने पर सीधे तौर पर वैश्विक नौवहन को खतरा पैदा हो सकता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह देखना बाकी है कि क्या इजरायल के हमले हूतियों की महत्वाकांक्षाओं को रोक सकते हैं। चूंकि, इजरायल हूती विद्रोहियों के खिलाफ सिर्फ हवाई हमले करने में ही सक्षम है। ऐसे में यह सवाल उठ सकता है कि क्या इजरायल हवाई शक्ति का उपयोग कर अपने सभी मिशन आब्जेक्टिव्स को हासिल कर सकता है या नहीं। इलाके में अपने युद्धपोतों और एयरक्राफ्ट कैरियर को तैनात किया, लेकिन ये सभी नाकाफी साबित हुए। इसके उलट हूतियों ने लाल सागर से होने वाले व्यापार को ठप कर दिया, जिसका असर समुद्री परिवहन पर देखने को मिला।लेबनान और गाजा में, ऐसा करना आसान है क्योंकि वे भौगोलिक रूप से इजरायल के करीब हैं। हालांकि, लंबी दूरी के मिशन, जैसे कि सीरिया में युद्धों के बीच अभियान, ईरानी खतरे को रोकने में सफल नहीं हुए हैं।