Saturday, December 21, 2024
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आखिर विदेश से पैसा कमा कर भारत में इन्वेस्ट क्यों कर रहे हैं एनआरआई?

वर्तमान में एनआरआई विदेश से पैसे कमा कर भारत में इन्वेस्ट कर रहे हैं! भारत के रियल एस्टेट बाजार में अप्रवासी भारतीयों ने फिर से दिलचस्पी दिखानी शुरू कर दी है। खासकर कोविड महामारी के बाद से, बड़ी संख्या में NRI भारत के विभिन्न शहरों में प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं। इसकी कई वजहें हैं, जैसे बेहतर सुविधाओं वाले सुरक्षित घर की चाहत। कुछ लोग अभी घर खरीद रहे ताकि वे अपने बुढ़ापे में यहां बस सकें। वहीं निवेश के लिहाज से भी रियल एस्टेट को स्थिर विकल्प मानते हैं। इसके साथ ही वो भारत के विकास की कहानी में शामिल होना चाहते हैं। कुछ महीने पहले, गुड़गांव में एक बड़े बिल्डर ने सिर्फ तीन दिनों में 7.5 करोड़ रुपये की शुरुआती कीमत वाले 1,100 लग्जरी अपार्टमेंट बेचकर सुर्खियां बटोरी थीं। इंडियास्पोरा के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि इनमें से 250 अपार्टमेंट NRI ने खरीदे थे। इंडियास्पोरा, वैश्विक भारतीय मूल के नेताओं का एक गैर-लाभकारी संगठन है। ऐसा नहीं है कि प्रवासी भारतीयों (PIO) और NRI का भारत से भावनात्मक जुड़ाव पहले कभी नहीं रहा। लेकिन कोविड के बाद हालिया वर्षों में, उन्होंने गुड़गांव से लेकर बेंगलुरु, हैदराबाद से लेकर कोलकाता और मुंबई से लेकर नोएडा तक, भारतीय शहरों में रियल एस्टेट में अपनी दिलचस्पी बढ़ा दी है।

इस प्रवृत्ति के पीछे कई ठोस कारण हैं। कुछ अपने प्रियजनों के लिए बेहतर सुविधाओं से लैस, बड़ा और सुरक्षित घर चाहते हैं। कुछ अब इसलिए खरीद रहे हैं ताकि वे अपने बुढ़ापे में यहां बस सकें। कुछ अपने या अपने बच्चों के लिए निवेश के तौर पर प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं। वैश्विक शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव के बीच रियल एस्टेट एक स्थिर प्रॉपर्टी साबित हुआ है। दुनिया भर में फैले 3.5 करोड़ से ज्यादा भारतीयों ने पिछले वित्तीय वर्ष में रिकॉर्ड 107 अरब डॉलर भारत भेजे। कोविड महामारी से पहले का आंकड़ा 83 अरब डॉलर था। हालांकि कोई निश्चित आंकड़ा नहीं है, लेकिन इंडस्ट्री के एक्सपर्ट्स का कहना है कि इसमें से एक बड़ा हिस्सा रियल एस्टेट में लगाया गया। इंडिया सोथबीज इंटरनेशनल रियल्टी के सीईओ अमित गोयल ने कहा, ‘महामारी के बाद, कई टॉप-एंड डेवलपर्स ने एनआरआई को रेजिडेंशियल यूनिट्स की बिक्री में वृद्धि की सूचना दी, जो अब उनकी नई प्रोजेक्ट बिक्री का लगभग 15 फीसदी हिस्सा बनाते हैं। भारत में अच्छी क्वालिटी की प्रॉपर्टी खरीदने में दिलचस्पी निश्चित रूप से लौटी है। कोविड के बाद देश में भेजे जाने वाले पैसों में काफी बढ़ोतरी हुई है। इस निवेश का एक बड़ा हिस्सा रियल एस्टेट में गया है।

अमित गोयल ने कहा कि कई NRI, जिनके पास पीढ़ियों से संपत्ति है वे अपनी पैतृक संपत्तियों को बेचकर अपने रियल एस्टेट पोर्टफोलियो को मजबूत कर रहे हैं और बेहतर सुविधाओं, सुरक्षा और संरक्षा वाले नए प्रोजेक्ट्स में निवेश कर रहे हैं। देश के साथ एक गहरा भावनात्मक जुड़ाव और अपने प्रियजनों को घर वापस सुरक्षित रखने की चाहत इस मांग के मुख्य कारण रहे हैं। गोयल ने कहा कि अब हम जिन NRI से बातचीत करते हैं, वे प्रॉपर्टी को न केवल एक निवेश के रूप में देखते हैं, बल्कि अपनी जड़ों से एक ठोस जुड़ाव के रूप में भी मानते हैं। वे इसे भारत की विकास गाथा और आर्थिक लचीलेपन को भुनाने के अवसर के रूप में भी देखते हैं।

डीएलएफ होम डेवलपर्स लिमिटेड के जॉइंट एमडी और चीफ बिजनेस ऑफिसर आकाश ओहरी भी इस राय से सहमत हैं। ओहरी ने कहा, ‘NRI बिजनेस पूरी तरह से चला गया था। आज मेरी टॉप लाइन में 25 फीसदी NRI बिजनेस है। इसका परिणाम ये है कि विदेशी मुद्रा भी देश में आ रही। सभी बॉक्स पर टिक लग गया है। NRI वापस आना चाहते हैं और देश में कुछ करना चाहता हैं। यहां निवेश करना चाहता है। वे ऐसा करने में प्रसन्न हैं क्योंकि उनका मानना है कि व्यवस्था बेहतर और अधिक मजबूत हुई है।’

आकाश ओहरी ने कहा कि NRI बेहद एक्टिव मोड के साथ वापस आए हैं। मैं सुपर लग्जरी नहीं कह रहा। मैं प्रीमियम और लग्जरी कह रहा हूं। मैं एक मिलियन डॉलर… आधा मिलियन डॉलर की बात कर रहा हूं। बेंगलुरु में, लग्जरी हाउसिंग की मांग ज्यादातर विदेशों में बसे टेक प्रोफेशनल्स करते हैं। प्रेस्टीज ग्रुप के सीनियर वीपी प्रवीर श्रीवास्तव ने बेंगलुरु में हाल ही में एक विला प्रोजेक्ट की सफलता के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि 7 करोड़ रुपये से 11 करोड़ रुपये की कीमत वाले 130 विला में से एक महत्वपूर्ण हिस्सा छह महीनों में बिक गया।

अमेरिका में बसे आंध्र प्रदेश के टेक प्रोफेशनल्स भी हैदराबाद में प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं। लेकिन टेक सेक्टर में मौजूदा अनिश्चितताओं के कारण हाल ही में इसमें मंदी आई है। एक प्रमुख निर्माण फर्म के मालिक ने कहा, यह ज्यादातर टेक बिजनेस ओनर या सीईओ हैं, जो विदेशों में बसे हैं, जिनकी जड़ें हैदराबाद में हैं, वे यहां निवेश कर रहे हैं। उनमें से ज्यादातर अमेरिका में हैं। उन्होंने कहा कि इन विदेशी निवेशों का टिकट साइज आवासीय यूनिट्स के लिए 3 करोड़ रुपये से 5 करोड़ रुपये के बीच है।

कन्फेडरेशन ऑफ रियल एस्टेट एसोसिएशन ऑफ इंडिया, बंगाल चैप्टर के अध्यक्ष सिद्धार्थ पंसारी ने कहा कि भारत की विकास गाथा उन लोगों को भी आकर्षित कर रही है, जो 30 और 40 के दशक में हैं और विदेशों में काम कर रहे हैं। लेकिन भारत में लगातार अवसरों की तलाश में हैं और वापस लौट सकते हैं। नाइट फ्रैंक इंडिया के सीनियर डायरेक्टर, ईस्ट, अभिजीत दास ने कहा कि कोलकाता में न्यू टाउन, राजारहाट और सदर्न बाईपास जैसे इलाकों में ज्यादातर बड़े कॉन्डोमिनियम प्रोजेक्ट्स में, लगभग 5-10 फीसदी अपार्टमेंट NRI ही खरीदते हैं। उन्होंने कहा कि कुछ लोग अपने माता-पिता के घरों को अपग्रेड करने के लिए खरीदते हैं। लेकिन उनमें से ज्यादातर खुद के लिए ये घर खरीदते हैं और इसे किराए पर दे देते हैं।

हीरानंदानी ने कहा कि NRI घर खरीदार भारतीय रियल एस्टेट बाजार को वैश्विक रियल्टी बाजारों में संकट के बीच एक स्थिर निवेश का विकल्प मानते हैं। NRI होमबायर्स अगले पांच वर्षों के भीतर अपने निवेश को एंड-यूज प्रॉपर्टीज में बदलने पर विचार कर रहे हैं, जो एक सकारात्मक प्रवृत्ति है। कुल मिलाकर, हमने NRI बिक्री में 7-9 फीसदी की वृद्धि देखी है, जो हमारे कुल बिक्री पोर्टफोलियो का 22 फीसदी है। यूके और यूरोप स्थित NRI के एक ग्रुप ने उन समस्याओं की ओर इशारा किया जिनका सामना उन्हें अपने लिए हुए घरों में करना पड़ता है। लंदन स्थित एक NRI, जिसने हाल ही में दिल्ली-एनसीआर में दो अपार्टमेंट खरीदे हैं, ने कहा कि उदाहरण के लिए, यूके में, NHS (राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा) वर्षों से भयानक है। अगर चीजें जल्द ठीक नहीं हुई तो हमें सर्जरी के लिए भारत आना पड़ सकता है। हालांकि, हाल ही में कानून व्यवस्था में गिरावट इस देश को रहने लायक नहीं बनाने की धमकी दे रही है और अगर चीजें तेजी से नहीं सुधरती हैं तो हमें घर लौटना पड़ सकता है।

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