Sunday, May 19, 2024
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क्लाइमेट चेंज व ग्लोबल वार्मिंग का हल आदिवासी समाज से मिलेगा – मोदी

भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री ‘सबका साथ’, ‘सबका विकास ‘ की बात करते हैं, तो उनका मतलब समाज के हर जाति समुदाय या वर्ग का विकास करना है, जो समाज की मुख्यधारा में चाहे तो आया ना हो या आने के लिए संघर्ष कर रहा हैl आदिवासी समाज भारत की सबसे प्राचीन समाज माना जाती हैl नरेंद्र मोदी की सरकार में एक आदिवासी महिला को राष्ट्रपति के पद पर आसीन करना आदिवासी समाज के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को स्पष्ट करता है l

औद्योगिकरण के पीछे पागल दुनिया समाज और पर्यावरण से ज्यादा आर्थिक हित को महत्व दे रही हैl इसके विपरीत आदिवासी समाज पर्यावरण को संरक्षित करने में अपनी मुख्य भूमिका अदा कर रहे हैं l उनकी मेहनत और लगन को ध्यान में रखते हुए ही प्रधानमंत्री ने यह कहा कि आदिवासी समाज के उत्थान के लिए वर्तमान सरकार पूरी तरह से प्रतिबद्ध है l

मेजर ध्यान चंद नेशनल स्टेडियम में ‘आदि महोत्सवAdi mahutshav‘ के उद्घाटन में उन्होंने कहा कि ” जब सस्टेनेबल डेवलपमेंट की बात करते हैं तो हम गर्व से कह सकते हैं कि दुनिया को हमारे आदिवासी समाज से बहुत कुछ सीखने की जरूरत है हम कैसे पेड़ों से, जंगलों से ,नदियों से, पहाड़ों से, हमारी पीढ़ियों का रिश्ता जोड़ सकते हैं ,कैसे प्रकृति के संसाधन लेकर भी उन्हें संरक्षित करते हैं l उनका संवर्धन करते हैं इसकी प्रेरणा आदिवासी समाज से लेने की जरूरत है इस दौरान प्रधानमंत्री ने कारीगरों के बनाए उत्पादों को भी देखा और उनसे बात भी की l

 इसके साथ ही उन्होंने एकलव्य मॉडल आवासीय स्कूलों की संख्या में वृद्धि पर भी बात की उन्होंने कहा कि 2004 से 2014 तक सिर्फ 90 स्कूल थे, परंतु 2014 से 2022 तक इसकी संख्या 500 हो गई है l जिसमें 400 विद्यालयों में पढ़ाई शुरू हो गई है l उन्होंने यह भी कहा कि आदिवासी समाज से उनका भावनात्मक संबंध हैl

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