Friday, May 17, 2024
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क्या इजरायल जैसा सुरक्षा कवच भारत के पास भी है?

यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या भारत के पास इजरायल जैसा सुरक्षा कवच है या नहीं! ईरान ने एकसाथ सैकड़ों ड्रोन और मिसाइलों से इजरायल पर हमला बोल दिया। हालांकि, गिनती की कुछ मिसाइलों के सिवा ईरान का एक भी हमला कामयाब नहीं हो सका। ईरान के एकमुश्त हमलों को नाकामयाब बनाने का श्रेय इजरायल के ‘आयरन डोम’ को जाता है। आयरन डोम इजरायल का वह कवच है जो आसमान से आने वाले घातक से घातक हथियारों को पहचानकर नेस्तनाबूद कर देता है। एक विदेशी पत्रकार ने सोशल मीडिया एक्स पर ईरानी हमलों के खिलाफ आयरन डोम की सफलता की गाथा लिखी है। उन्होंने बताया, ‘इजरायल की आयरन डोम एंटी मिसाइल डिफेंस सिस्टम कमाल का है। इसने इजरायल पर ईरान से आई 331 मिसाइलों और ड्रोन में से सभी 185 कामिकेज ड्रोन को मार गिराया। इसने 110 बैलिस्टिक मिसाइलों में से 103 को मार गिराया। साथ ही, सभी 36 क्रूज मिसाइलों को भी मार गिराया। सिर्फ 7 बैलिस्टिक मिसाइलों का ही असर इजराइली क्षेत्र पर हुआ।’ इस पर भारतीय उद्योगपति आनंद महिंद्रा ने इजरायल के पास आयरन डोम समेत एयर डिफेंस बाकी सिस्टम्स भी गिना दिए। उन्होंने एक्स पर लिखा, ‘इजरायल के पास आयरन डोम से भी ज्यादा है। उनके पास डेविड स्लिंग नामक एक लंबी दूरी का इंटरसेप्शन सिस्टम है। उनके पास एरो 2 और 3 सिस्टम भी हैं। लेजर का उपयोग करने वाला आयरन बीम भी है। अभेद्य डिफेंस इंटरसेप्शन सिस्टम होना आज आक्रामक हथियारों के जखीरे जितना ही महत्वपूर्ण है।’ महिंद्रा ने भारत में भी बेहद ताकतवर डिफेंस सिस्टम पर फोकस और खर्च बढ़ाने की जरूरत बताई है।

महिंद्रा का कहना सौ फीसदी सही है। भारत भी इजरायल जैसे ही चीन-पाकिस्तान जैसे दुश्मनों से घिरा है। दोनों ही पड़ोसी देश परमाणु हथियारों से लैस हैं। हमारे पास भी परमाणु हथियार हैं। दरअसल, परमाणु हथियार युद्ध को एक सीमा तक सीमित रखने के लिए होते हैं ताकि संपूर्ण विनाश की नौबत नहीं आए। यही वजह है कि दुश्मन के हमलों को निष्प्रभावी करना ही सर्वोच्च प्राथमिकता होती है, उनके इलाकों में ज्यादा से ज्यादा तबाही मचाना दूसरी। यह स्वाभाविक ही है कि युद्ध की परिस्थिति में दुश्मन को नुकसान पहुंचाने से ज्यादा जरूरी खुद का बचाव करना है। तो सवाल है कि क्या भारत इसके लिए तैयार है? क्या भारत के पास भी आयरन डोम जैसा कोई एयर डिफेंस सिस्टम है जो दुश्मन के हथियारों को हवा में ही मार गिराए? भारत का बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस प्रोग्राम एक दोहरी प्रणाली है जिसमें दो भूमि और समुद्र आधारित इंटरसेप्टर मिसाइलें शामिल हैं। पृथ्वी वायु रक्षा (PAD) मिसाइल हाई अल्टिट्यूट पर इंटरसेप्शन जबकि उन्नत वायु रक्षा (AAD) मिसाइल लो अल्टिट्यूड पर इंटरसेप्शन के लिए है। यह द्वीस्तरीय ढाल 5,000 किलोमीटर दूर से छोड़ी गई किसी भी आने वाली मिसाइल को रोकने में सक्षम है। इस सिस्टम में प्रारंभिक चेतावनी और ट्रैकिंग रडार और कमांड एंड कंट्रोल पदों का एक ओवरलैपिंग नेटवर्क भी शामिल है।

अब इसका नाम बदलकर प्रद्युम्न बैलिस्टिक मिसाइल इंटरसेप्टर कर दिया गया है। इसे 50 किलोमीटर से ऊपर की ऊंचाई (एक्सो-वायुमंडलीय) पर आने वाली मिसाइलों को रोकने के लिए डिजाइन किया गया है। यह एएडी के साथ भारत की द्वीस्तरीय बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणाली का हिस्सा है। भारत के बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा कार्यक्रम का एक हिस्सा एएडी एक एंटी बैलिस्टिक मिसाइल प्रणाली है जिसे 15-25 किलोमीटर की ऊंचाई पर एंडो एटमॉसफेयर में आने वाली मिसाइलों को रोकने के लिए डिजाइन किया गया है। इसका उद्देश्य शहरों और रणनीतिक संपत्तियों को बैलिस्टिक मिसाइल हमलों से बचाना है।

भारत और इजरायल ने इसे संयुक्त रूप से विकसित किया है। बराक 8 एक उन्नत, लंबी दूरी की मिसाइल रक्षा और वायु रक्षा प्रणाली है। बराक 8 एयर डिफेंस सिस्टम कम और लंबी दूरी, दोनों पर हवाई खतरों को रोकने में सक्षम है और इसका उपयोग भारतीय और इजरायली दोनों सशस्त्र बल करते हैं। यह सिस्टम बहुमुखी है और इसे जहाजों के साथ-साथ जमीन पर भी तैनात किया जा सकता है। इस मिसाइल का नौसैनिक संस्करण समुद्र में अपने युद्धपोतों को निशाना बनाने के लिए आ रही दुश्मन की क्रूज मिसाइलों और लड़ाकू जेट को रोक सकती है। इसे भारतीय वायु सेना और थल सेना में भी शामिल किया जाना है। भारत ने रूस से एस-400 एयर डिफेंस खरीदा है। भारत ने अपनी रक्षा प्रणाली को अभेद्य बनाने के लिए अमेरिकी चेतावनियों की बिल्कुल परवाह नहीं की और रूस से एस-400 खरीद लिया। भारत ने पाकिस्तान और चीन से दो तरफा खतरे से निपटने के लिए उत्तर-पश्चिम और पूर्व में पहले तीन S-400 स्क्वाड्रन तैनात किए हैं। S-400 सबसे उन्नत वायु रक्षा प्रणालियों में से एक माना जाता है। इसमें रडार, नियंत्रण उपकरण और लगभग सभी प्रकार के हवाई लक्ष्यों विमान, ड्रोन, बम, क्रूज मिसाइलों और बैलिस्टिक मिसाइलों का पता लगाने और नष्ट करने के लिए कई प्रकार की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें शामिल हैं।

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