हाल ही के दिनों में सुखोई और मिराज क्रैश हो गए! मध्य प्रदेश में भारत के दो ताकतवर लड़ाकू विमान अचानक दुर्घटनाग्रस्त हो गए। दुश्मन की धड़कनें बढ़ा देने वाला सुखोई-30 और मिराज-2000 के टुकड़े-टुकड़े हो गए। वीडियो में जेट के मलबे से आग की लपटें उठती देखी गईं। आसपास के लोग पायलटों को बचाने के लिए दौड़ पड़े। गनीमत यह रही कि मुरैना के पास हुए इस बड़े प्लेन हादसे में दोनों पायलटों को सुरक्षित बचा लिया गया है। दोनों प्लेन ने ग्वालियर के एयरबेस से उड़ान भरी थी। ये कोई आम जेट नहीं थे इसलिए भारतीय एक्सपर्ट इसे बहुत बड़ा नुकसान बता रहे हैं। पूर्व सैन्य अधिकारी बीएस जसवाल ने एक टीवी चैनल से बातचीत में कहा कि ये दोनों हमारे फ्रंटलाइन एयरक्राफ्ट्स हैं। अभी यह पता नहीं चल सका है कि दोनों प्लेन एक साथ कैसे गिरे, क्या वे आपस में टकराए? वायुसेना ने जांच के आदेश दे दिए हैं। गणतंत्र दिवस समारोह की परेड के दो दिन बाद इस तरह का नुकसान बड़ा झटका माना जा रहा है। ये दोनों जेट भारत की ताकत कहे जाते हैं। जी हां, जब भी एयरफोर्स ने किसी मिशन के बारे में सोचा इन्हें जरूर शामिल किया गया। मिराज 2000 लंबे समय से भारतीय वायुसेना का हिस्सा रहा है। आपको याद होगा 2019 की फरवरी में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी ठिकानों को ध्वस्त करने के लिए भारतीय वायुसेना के 12 फाइटर जेट ने नियंत्रण रेखा पार की थी, वे मिराज-2000 ही थे।
इस तरह भारत ने पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आतंकी हमले का दो हफ्ते के भीतर ही बदला लिया था। मिराज-2000 जेट को फ्रांस की कंपनी दसॉ एविएशन ने बनाया है। यही कंपनी राफेल लड़ाकू विमान भी बनाती है जो अब भारतीय वायुसेना में शामिल हो चुके हैं। मिराज की ताकत ऐसे समझिए कि यह 1000 किलो लेजर गाइडेड बम गिरा सकता है। बॉर्डर पार करने की खबर सुनने के बाद लोग यह जानकर हैरान रह गए थे कि IAF ने तीसरी पीढ़ी के ‘बूढ़े’ फाइटर जेट मिराज-2000 का इस्तेमाल बालाकोट स्ट्राइक में किया। जबकि भारत के पास ज्यादा एडवांस्ड सुखोई Su-30MKI भी मौजूद था। बताया गया था कि एयरफोर्स ने काफी सोच-समझकर यह फैसला लिया था। वायुसेना को मिराज की क्षमता पर काफी भरोसा था। कारगिल युद्ध के दौरान भी मिराज की ताकत देख पाकिस्तान हिल गया था।
बालाकोट के समय भारतीय वायुसेना पाकिस्तान के रेडार को चकमा देना चाहती थी इसीलिए उसने मिराज को चुना था क्योंकि सुखोई पकड़ में आ सकता है। इतना ही नहीं, भारत ने जिस इजरायली स्पाइस-2000 सिस्टम को मिराज में फिट किया था, वह सिर्फ इसी जेट में संभव था। यह एक तरह की लेजर गाइडेड प्रणाली थी जो दूर से ही दुश्मन के टारगेट को तबाह करने के लिए किसी भी बम को जीपीएस संचालित मिसाइल में तब्दील कर देती है। पूर्वी लद्दाख में जब चीन के साथ तनातनी बढ़ गई तो यही दोनों प्लेन उड़ान भरकर बॉर्डर पर चीन को चुनौती दे रहे थे।
हाल के समय में मिराज 2000 एयरक्राफ्ट को अपग्रेड करने की काफी बातें हुई हैं लेकिन काम अटकता रहा। 2.5 अरब डॉलर के प्लान के तहत फ्रांस की कंपनी दो जेट को फ्रांस में अपग्रेड करने वाली है और बाकी तकनीक ट्रांसफर की मदद से बेंगलुरु में होना है। भारत ने जिस इजरायली स्पाइस-2000 सिस्टम को मिराज में फिट किया था, वह सिर्फ इसी जेट में संभव था। यह एक तरह की लेजर गाइडेड प्रणाली थी जो दूर से ही दुश्मन के टारगेट को तबाह करने के लिए किसी भी बम को जीपीएस संचालित मिसाइल में तब्दील कर देती है। पूर्वी लद्दाख में जब चीन के साथ तनातनी बढ़ गई तो यही दोनों प्लेन उड़ान भरकर बॉर्डर पर चीन को चुनौती दे रहे थे।इसमें नई टेक्नॉलजी फिट की जानी है। यह एक साल पहले होना था लेकिन नहीं हो सका।
मुरैना में जो दूसरा प्लेन Su-30 MKI गिरा है उसे भी फोर्स अपग्रेड करना चाहती है। सुखोई फाइटर जेट रूस की कंपनी बनाती है। यह करीब 20 साल से भारत के पास है। हालांकि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध छिड़ने के चलते इसे अपग्रेड करने में देरी हुई। रूस-यूक्रेन जंग के बीच कुल 35000 करोड़ रुपये का प्लान बना है। पिछले दिनों खबर आई थी एयरफोर्स सुखोई को ज्यादा ताकतवर रेडार और युद्धक क्षमता से लैस करना चाहती है। यह मेड इन इंडिया के तहत होना है और इस कारण थोड़ी देरी भी हुई है। सरकार चाहती है कि आयात की जगह भारतीय रक्षा उत्पादों को तवज्जो दिया जाए।