Tuesday, May 21, 2024
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क्या बच्चों की मानव तस्करी का मामला बढ़ता ही जा रहा है?

वर्तमान में बच्चों की मानव तस्करी का मामला बढ़ता ही जा रहा है! हाथों में भीख का कटोरा, शरीर में चोट के निशान कभी ट्रैफिक सिग्नल पर, कभी मंदिरों के बाहर, कभी सिनेमा हॉल तो कभी किसी और पब्लिक प्लेस पर आपने छोटे-छोटे बच्चों को भीख मांगते जरूर देखा होगा। कभी सोचा है कौन होते हैं ये बच्चे, कभी सोचा है क्यों ये बच्चे इस हॉल में होते हैं। एक डाटा के मुताबिक पिछले 5 सालों में एक देशभर से 2.75 बच्चे लापता हो चुके हैं। आखिर कहां जाते हैं ये बच्चे। ये डाटा चौंकाने वाले हैं, बच्चों की ऐसी दुर्दशा भी दर्दनाक है और कड़वी हकीकत ये है कि दोनों एक दूसरे से जुड़ीं हुई हैं। ये दोनों ही बातें जुड़ी चाइल्ड ट्रैफिकिंग से। बच्चों की तस्करी एक ऐसा मामला जो बेहद डरावना है। महाराष्ट्र में पिछले कुछ समय से पुलिस को पिछले कुछ समय से मासूम बच्चों की तस्करी की खबरें मिल रही थीं। पुलिस इस पर नजर बनाए हुए थी। मुंबई क्राइम की नजर में एक मामला सामने आया था जिसमें नशे के लिए एक माता-पिता ने अपने बच्चे को बेच दिया था।

मुंबई क्राइम ब्रांच इस केस की जांच में जुटी तो नए-नए मामले जुड़ते गए। पता चला कि इस तरह के कई मामले में महाराष्ट्र में सामने आए हैं जहां बच्चों की तस्करी हुई है। मासूम बच्चों को बेचा गया है। इस रैकेट के एक-एक कर 10 लोग अब तक गिरफ्तार हो चुके हैं। गैंग के कुछ लोग मुंबई की अंधेरी से काम कर रहे थे, जबकि कुछ के तार महाराष्ट्र के चिपलुन से जुड़े हुए थे। ये भी खबरें सामने आ रही हैं कि ये रैकेट सिर्फ महाराष्ट्र ही नहीं बल्कि आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में भी बच्चों की खरीद-फरोख्त कर रहा था। हालांकि अभी तक ये पता नहीं चल पाया है कि बच्चों को कहा बेचा गया। मासूमों की तस्करी की खबरें अक्सर सामने आती रहती हैं। इसी साल बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने संसद में चौंकाने वाला डाटा पेश किए थे। इनके मुताबिक पिछले सालों में अब तक यानी 2018 से जून 2023 तक कुल 2,75,125 बच्चे गायब हुए, इनमें से 2,12,825 लड़कियां हैं। हर एक घंटे में 9 बच्चे पूरे देशभर से गायब होते हैं। ये जो बच्चे गायब होते हैं दरअसल इन्हें मानव तस्करी का शिकार बनते हैं। बच्चों की ट्रैफिकिंग के कई तरीके वो हम आपको आगे बताएंगे, लेकिन उससे पहले जान लीजिए वो राज्य जहां सबसे ज्यादा बच्चों के लापता होने के मामले सामने आते हैं।

संसद में पेश इसी रिपोर्ट ही देश के 7 राज्यों को रेड जोन में रखा गया था। ये वो राज्य हैं जहां से सबसे ज्यादा बच्चे चोरी होने की वारदात सामने आई हैं। इन्हीं राज्यों में ऐसे रैकेट काम करते हैं जो बच्चों को दूसरे राज्यों में ले जाकर बेच देते हैं। रिपोर्ट के अनुसार सात राज्यों मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, कर्नाटक, गुजरात, दिल्ली और छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा बच्चे गायब हुए हैं। ये वो बच्चे हैं जिनके लापता होने की रिपोर्ट दर्ज हो चुकी होती हैं, लेकिन ऐसे भी मामले हैं जहां बच्चों के गायब होने की रिपोर्ट तक दर्ज नहीं करवाई जाती। वजह कई होती हैं जैसे कई बार खुद माता-पिता अपने फायदे के लिए या मजबूरी में अपने बच्चों को बेच देते हैं।

बच्चों की तस्करी करना ऐसे गिरोहों के लिए काफी आसान होता है। कई बार बच्चों को बहला फुसलाकर, कई बार उन्हें किडनैप करके तो कई बार माता-पिता को ही लालच देकर बच्चों को उठा लिया जाता है। मकसद होता है तस्करी से पैसे कमाना। ये गैंग कई लेवल पर काम करता है जो एक दूसरे से जुड़े हुए होते हैं। एक राज्य से उठाए गए बच्चों को दूसरे राज्य में बेचा जाता है। ज्यादातर ये बच्चे गरीब परिवारों से ताल्लुक रखते हैं और इसलिए इनके माता-पिता इनकी ज्यादा खोजबीन भी नहीं कर पाते।

बच्चों की तस्करी के कई मकसद हैं जिन्हें जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे। बच्चों को बेचकर उनसे भीख मंगवाने के काम करवाए जाते हैं। देशभर में कई ऐसे रैकेट चल रहे हैं जो बच्चों से भीख मंगवा कर पैसा बनाते हैं और ये गैंग ही बच्चों को किडनैप करते हैं या फिर बहला फुसलाकर उनसे भीख मंगवाते हैं। शहरों में काम करवाने के मकसद से भी बच्चों की तस्करी की जाती है। गरीब बच्चों को खरीदकर शहरों में लोगों के घरों में नौकर बनाकर भेजा जाता है और इसके बदले में मोटी रकम ऐंठी जाती है।वेश्यावृत्ति के लिए बाल तस्करी की जाती है। जो बच्चों के गायब होने के डाटा दिए गए हैं उनमें लड़कियों की संख्या सबसे ज्यादा है। इन बच्चियों को वेश्यावृत्ति के मकसद से ही बेचा जाता है। कई बार सस्ते लेबर के रूप में भी इन बच्चों का इस्तेमाल किया जाता है।

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