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क्या वर्तमान में एनडीए में चल रही है उठापटक?

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क्या वर्तमान में एनडीए में चल रही है उठापटक?

आज हम आपको बताएंगे कि वर्तमान में एनडीए में उठापटक चल रही है या नहीं! केंद्र की सत्ताधारी बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन में क्या सबकुछ ठीक नहीं चल रहा? महाराष्ट्र से लेकर बिहार तक सियासी गलियारों से जैसी खबरें आ रहीं कम से कम वो तो यही इशारा कर रही। पहले बात करें बिहार की तो वहां रेलवे स्टेशन के नाम बदलने की मांग को लेकर बीजेपी और जेडीयू आमने-सामने आते दिख रहे। इसकी शुरुआत कैसे हुई आगे बताएंगे उधर बिहार से ही एनडीए में शामिल एलजेपी रामविलास के मुखिया चिराग पासवान भी लगातार अलग फॉर्म में दिख रहे। जातीय जनगणना, लैटरल एंट्री से पोस्टिंग पर उन्होंने बीजेपी नेतृत्व से अलग रुख दिखाया। इससे सवाल खड़े होने लाजमी है कि आखिर पीएम मोदी के ‘हनुमान’ की प्लानिंग क्या है। वहीं बात करें महाराष्ट्र की तो वहां चुनाव से ठीक पहले अजित पवार की एनसीपी नाराज दिख रही। ऐसा हुआ शिंदे गुट की शिवसेना के एक नेता की ओर से दिए गए विवादित बयान से, आखिर पूरा मामला क्या है जिससे चुनाव से ठीक पहले महायुति की एकजुटता पर सवाल खड़े होने लगे हैं। महाराष्ट्र में बीजेपी, शिवसेना (शिंदे गुट), एनसीपी (अजित पवार गुट) एक साथ महायुति गठबंधन में सरकार चला रही है। इसी बीच स्वास्थ्य मंत्री और शिवसेना (शिंदे गुट) के नेता तानाजी सावंत ने गुरुवार को ऐसा बयान दिया जिस पर घमासान तेज हो गया। उन्होंने कहा कि वह कैबिनेट की बैठकों में अजित पवार के बगल में बैठते तो हैं लेकिन बाहर आने के बाद उन्हें उल्टी आने जैसा महसूस होता है। सावंत ने गुरुवार को एक कार्यक्रम में कहा कि वह एक कट्टर शिव सैनिक हैं और एनसीपी के नेताओं के साथ उनकी कभी नहीं बनी। भले ही कैबिनेट बैठकों में हम एक-दूसरे के बगल में बैठते हों, लेकिन बाहर आने के बाद मुझे उल्टी सी आने लगती है। बस जैसे ही उनका ये बयान सामने आया एनसीपी अजित पवार खेमे ने नाराजगी जाहिर कर दी।

एनसीपी ने महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे से तानाजी सावंत पर एक्शन की मांग कर दी। उधर शरद पवार की एनसीपी ने भी मौके का फायदा उठाने की कोशिश की। एनसीपी (एसपी) के प्रवक्ता महेश तापसे ने दावा किया कि अजित पवार अपना आत्मसम्मान खो चुके हैं। एनसीपी के साथ गठबंधन को लेकर शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के भीतर असंतोष बढ़ रहा है। मैंने कभी नहीं सोचा था कि राकांपा में कभी अत्यधिक सम्मान पाने वाले अजित दादा सत्ता के लिए अपने स्वाभिमान से समझौता कर लेंगे। उन्होंने कहा कि अजित पवार को सरकार में शामिल करने को लेकर शिवसेना के सदस्यों में बढ़ती बेचैनी अब सावंत की टिप्पणी से स्पष्ट रूप से सामने आ गई है। मंत्री तानाजी सावंत के बयान ने अजित दादा की राजनीतिक प्रतिष्ठा को पूरी तरह खत्म कर दिया है और फिर भी उनकी अपनी पार्टी के सदस्य चुप हैं। उन्होंने ये भी दावा किया कि मौजूदा हालात को देखते हुए एनसीपी अजित गुट को महाराष्ट्र में आगामी विधानसभा चुनावों में 25 सीट भी नहीं मिलेंगी और इसी हताशा के कारण ऐसा अपमानजनक व्यवहार किया गया है।

अब बात बिहार की करें तो लोकसभा चुनाव से ठीक पहले महागठबंधन छोड़कर एनडीए में लौटे नीतीश कुमार की पार्टी ने तेवर तल्ख कर लिए हैं। ये तब हुआ जब बीजेपी नेता और नीतीश कुमार सरकार में मंत्री नीरज सिंह बबलू ने बिहार के बख्तियारपुर रेलवे स्टेशन का नाम बदलने की डिमांड कर दी। उन्होंने कहा कि बिहार में भी रेलवे स्टेशन और शहरों के नाम बदलना जरूरी है। इस पर जेडीयू ने करारा पलटवार किया। जेडीयू ने कहा कि बीजेपी नेता को इतिहास का ज्ञान नहीं है, इसलिए ऐसी डिमांड कर रहे हैं। फिलहाल अचानक सामने आए इस मुद्दे से जेडीयू-बीजेपी में घमासान की आहट महसूस होने लगी है।

कुल मिलाकर देखा जाए तो महाराष्ट्र से लेकर बिहार तक एनडीए में सब ठीक नहीं होने का इशारा साफ नजर आ रहा। सवाल ये कि आखिर बीजेपी नेतृत्व क्या इन मामलों में जल्द कोई बड़ा फैसला लेगा। ऐसा इसलिए क्योंकि जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में विधानसभा चुनाव की तारीखें आ चुकी हैं। जल्द ही महाराष्ट्र और झारखंड में भी विधानसभा चुनाव हैं। ऐसे में अजित पवार की नाराजगी से पार्टी को महाराष्ट्र में नुकसान हो सकता है। उधर झारखंड चूंकि बिहार का पड़ोसी राज्य है। ऐसे में बीजेपी चाहेगी कि जेडीयू और चिराग पासवान का साथ उन्हें इन राज्यों में मिले। ऐसा नहीं भी होता है तो भी केंद्र की मोदी सरकार की स्थिरता के लिए इन सभी को एकजुट रहना जरूरी होगा।