नई दिल्ली : कर्नाटक के वरिष्ठ कांग्रेस नेता और एमएलए जमीर अहमद ने दिया विवादित बयान, हालांकि अभी मामला हाईकोर्ट में है और हाईकोर्ट ने फैसला आने तक स्कूल में धार्मिक पोशाक पहनने पर रोक लगा दी है। मामला सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंचा था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए इस मामले की सुनवाई करने से इनकार कर दिया कि पहले हाई कोर्ट का फैसला आने देना चाहिए।। हिजाब पर बैन के खिलाफ अपील करने वाली छात्राओं के वकील देवदत्त कामत ने अपनी दलीलें पेश की। इस दौरान कर्नाटक हाई कोर्ट ने मीडिया से की अपील, कहा मीडिया से हमारा सबसे अनुरोध है कि अधिक जिम्मेदार बनें। इसी बीच कर्नाटक हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई कल तक के लिए स्थगित कर दी है।
इसी बीच कर्नाटक कांग्रेस के एक नेता ने हिजाब विवाद पर बेहद आपत्तिजनक टिप्पणी की है। कांग्रेस नेता जमीर अहमद ने हिजाब को लेकर चल रहे विवाद पर कहा, जब महिलाएं हिजाब नहीं पहनतीं तो उनका रेप हो जाता है। इस्लाम में हिजाब का मतलब परदा होता है। जमीर अहमद ने कहा भारत में रेप की दर सबसे ज्यादा है। परदे में ना रहना, इसके पीछे की बड़ी वजह है। हिजाब लड़कियों की खूबसूरती छिपाने के लिए है यह उसकी सुंदरता को छुपाता है.’ वे बोले, ‘मेरा मानना है, आज भारत में, बलात्कार की दर सबसे अधिक है. क्या कारण है? क्योंकि महिलाएं गोश-ए-पर्दा (हिजाब) के अधीन नहीं हैं. यह आज से नहीं है और यह अनिवार्य भी नहीं है. जो इसे पहनना चाहता है, उसकी सुंदरता की रक्षा के लिए, वे इसे पहनते हैं और यह आज से नहीं है. यह कई सालों से है.’ उन्होंने कहा कि, आर्टिकल 25 में धार्मिक मान्यताओं के पालन की आजादी दी गई है। वरिष्ठ अधिवक्ता कामत आगे कहते हैं कि हिजाब की अनुमति है या नहीं, यह तय करने के लिए कॉलेज कमेटी को प्रतिनिधिमंडल पूरी तरह से अवैध है। कामत ने कहा कि हिजाब के बारे में फैसला लेने का अधिकार कॉलेज कमेटियों को सौंपना पूरी तरह गैरकानूनी है। राज्य का कहना है कि सिर पर स्कार्फ पहनना एक समस्या हो सकती है क्योंकि अन्य छात्र अपनी धार्मिक पहचान प्रदर्शित करना चाहते हैं। इसका जवाब एससी ने दिया है, राज्य को अनुकूल माहौल बनाना है। कामत ने कहा कि, संविधान कहता है कि अनुच्छेद 25 सार्वजनिक व्यवस्था के अधीन होगा। राज्य का कहना है कि सार्वजनिक व्यवस्था वही होगी जो एक विधायक समिति द्वारा तय की जाएगी। सार्वजनिक व्यवस्था एक आवश्यक राज्य कार्य है। विधायक समिति पर नहीं छोड़ा जा सकता? मैं यह कहने का साहस करता हूं कि जिस व्यक्ति ने इस शासनादेश का मसौदा तैयार किया है, उसने अनुच्छेद 25 को नहीं देखा है। सीडीसी का यह पूरा प्रतिनिधिमंडल यह तय करना है कि हेडस्कार्फ़ पहनने की अनुमति दी जाए या नहीं, यह राज्य की जिम्मेदारी का पूर्ण परित्याग है